बोली बढिया, तो जहर होगा, कड़वा बोलेंगे, मगर दिल साफ होगा : जरा उनसे दो कदम की दूरी बनाने की कोशिश कीजिए, जो मित्रता में पॉलिटिक्स करते हैं : देखिये जरा, कहीं आप आत्मप्रशंसा के जहर के नशेबाज तो नहीं हो गये :
शिवानी कुलश्रेष्ठ
लखनऊ : कुछ लोगों की भाषा बहुत अच्छी होती हैं पर स्वभाव बहुत खराब होता हैं। मीठे-मीठे शब्द बोलकर जहर उगलते हैं। कुछ लोगों की भाषा अच्छी होती हैं पर चरित्र खराब होता हैं। कुछ का सब अच्छा होता हैं, पर पॅालिटिक्स करते हैं।
कुछ लोगों में जानकारी का अभाव होता हैं। कुछ लोग भाषा की जानकारी के अभाव में, दूसरी भाषा को अश्लील समझ लेते हैं। आपको तो पता ही है कि हिन्दी का स्तर कितना गिर गया हैं। हाँ पर मै स्वयं में सुधार करना चाहती हूँ। चाहे इसके लिए मुझे हिन्दी शब्दकोश ही क्यों न याद करना पड़े। मैं भी अच्छे शब्दों में लोगों को नीचा दिखाया करूगीं क्योंकि ऐसे ही लोग सफल है समाज में। साधारण भाषा बोलने वाले और सीधी सादी अभिव्यक्ति वाले को लोग पागल समझते हैं। दुष्प्रचार करते हैं।
यह बात तो रही शिवानी कुलश्रेष्ठ की। मेरे अनुभव भी ठीक इसी लीक-लकीर पर हैं। आप किस शब्द का अर्थ अपनी मन-मानसिक अवस्था से जोड़ कर सामने वाले को पूरी तरह खारिज ही नहीं, बल्कि उसे अशिष्ट, अभद्र और अश्लील तक साबित कर दें, आपको खुद पता नहीं होता। आप खुद देखिये, और मेरा भी मानना है, कि जो साफ-सपाट बात कर देता है, वह दूसरों की आंख की किरकिरी बन जाता है। भले ही वह कितना भी आपके प्रति समर्पण का भाव रखता हो। लेकिन आप जब भी मौका मिलेगा, उसे खारिज करने से कोई भी मौका नहीं छोड़ेंगे।
जबकि यह जानते हुए भी कि सामने वाला आदमी आपकी ऐसी की तैसी करने का जाल बुनने में जुटा है, लेकिन आप उससे संतुष्ट रहेंगे। वजह यह कि आप उसकी बोलचाल पर प्रसन्न हो चुके हैं। मतलब यह कि आप दर्प में जी रहे हैं। आत्म-प्रशंसा का जहर भर चुका है आपमें। जानबूझ कर आप गरल पी रहे हैं।
शिवानी कुलश्रेष्ठ मूलत: फिरोजाबाद की रहने वाली हैं। लखनऊ में न्यायिक सेवा के लिए प्रयासरत शिवानी अपने उन्मुक्त लेखन को लेकर खूब चर्चित हैं।