: दिल्ली के निजी अस्पताल में मरे सरकारी डॉक्टर असीम गुप्ता : क्यों निजी अस्पताल मैक्स ले जाया गया असीम को : चिकित्सा बीमा के धंधे ने अट्टालिकाओं का अभेद्य जंगल खड़ा कर दिया इलाज के नाम पर :
कुमार सौवीर
नई दिल्ली : ऐसी कौन सी खासियत होती है जो मरीज तो मरीज, एक सरकारी डॉक्टर को भी निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है। क्या वजह है कि एक डॉक्टर हजारों कोरोना संक्रमितों का इलाज कर उनको चंगा कर देता है, लेकिन खुद कोरोना बीमार होने पर उसे निजी अस्पताल में दम तोड़ना पड़ता है। वह भी तब, जब कोविड-19 मरीजों के लिए खास तौर पर विकसित किये गये सरकारी अस्पताल में भी ठीक वही सुविधाएं होती हैं, जो निजी क्षेत्र के अस्पताल में होती हैं। सिवाय इसके कि सरकारी अस्पताल में इलाज मुफ्त होता है, जबकि कोरोना मरीज के इलाज में लाखों रुपयों की उगाही हो जाती है।
आइये, इस रहस्य को खुलासा समझा जाए। दिल्ली का एक बड़ा चिकित्सा केंद्र है लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल। यह सरकारी अस्पताल है, जिसका संचालन दिल्ली सरकार के हाथों में है। दरअसल यह अस्पताल ही नहीं, दिल्ली और आसपास के राज्यों से आने वाले उन बेहाल मरीजों के लिए जीवन-दान की एक पवित्र किरण भी है, जो महंगे निजी अस्पतालों की दहलीज पर पांव रखना तो दूर, उनका नाम भी नहीं अपनी जुबान से नहीं निकालने का साहस नहीं कर सकते। ऐसी हालत में लोकनायक जय प्रकाश अस्पताल उनकी उम्मीदों की लौ जगाये रखता है।
लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल यानी एलएनजेपी अस्पताल। इसे दिल्ली सरकार ने कोरोना-स्पेशल हॉस्पिटल के तौर पर तैयार किया था। इसी अस्पताल में काम करते थे डॉक्टर असीम गुप्ता। 56 साल के डॉक्टर असीम गुप्ता यहां बेहोशी के डॉक्टर के पद पर तैनात थे। कोरोना से संक्रमित गम्भीर मरीजों की देखभाल करना उनका जिम्मा था। दिल्ली में कोरोना मरीजों की भीड़ लगातार जिस तरह बढ़ती जा रही थी, असीम गुप्ता भी बेहद व्यस्त होते जा रहे थे। इसके बावजूद वे मधुमेह के गम्भीर थे, लेकिन पर्याप्त विश्राम न कर लगातार अपनी ड्यूटी निभाते जा रहे थे। जाहिर है कि इसका प्रतिकूल प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर लगातार बढता ही जा रहा था।
विगत दिनों न जाने किस मरीज के सम्पर्क में आकर असीम को यह संक्रमण हो गया, वह जान ही नहीं पाये। लेकिन जब तक उनको पता चल पाता, उनकी पत्नी भी कोरोना संक्रमित हो गयीं। उनकी पत्नी खुद एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।
लोकनायक जय प्रकाश अस्पताल की तरफ से आए बयान में कहा गया है, ‘वह एनेस्थीसिया के डॉक्टर थे जो ड्यूटी करते समय कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे। हल्के लक्षण मिलने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां छह जून को उनमें संक्रमण की पुष्टि हुई थी। हालत बिगड़ने पर उन्हें सात जून को लोकनायक जय प्रकाश अस्पताल की आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया।’
बताते हैं कि आठ जून को डॉक्टर असीम गुप्ता को साकेत के मैक्स स्मार्ट की आईसीयू में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर गुप्ता का पिछले दो हफ्तों से इलाज चल रहा था और पिछले कुछ दिनों से वे वेंटिलेटर पर ले जाया गये थे। लेकिन रविवार को डॉक्टर असीम गुप्ता की मौत हो गई। उनकी स्त्री रोग विशेषज्ञ पत्नी भी कोरोना की चपेट में आई थीं, लेकिन वो कुछ दिन पहले ही इससे उबर गई थीं।
लेकिन इस मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य और सवाल सिर उठा रहे हैं। आपको बता दें कि दिल्ली में 80 हज़ार के पार हो चुका है दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा। पिछले 24 घंटे के भीतर नये 2948 मामले भी आने से दिल्ली की हालत का अंदाजा डरावने के हर बैरोमीटर को तोड़ रहा है। दिल्ली सरकार ने एलएनजेपी अस्पताल को केवल कोविड-19 मरीजों के इलाज वाले अस्पताल के रूप में तब्दील किया है। यहां अबतक 2700 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं।
लेकिन यह सवाल नहीं है। असल प्रश्न तो यह है कि जब लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल को कोविड-19 मरीजों के इलाज के तौर पर तब्दील किया गया था, और डॉ असीम गुप्ता यहां के मरीजों के लिए अपनी जान लड़ा रहे थे। तो ऐसी कौन सी दिक्कत थी जिनके चलते डॉ असीम को लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के बजाय निजी क्षेत्र के मैक्स स्मार्ट को भर्ती कराया गया ? जिस अस्पताल के डॉक्टर असीम गुप्ता जैसे जुझारू डॉक्टरों और गैर-डॉक्टरी स्टॉफ पर अपनी आंख मूंद कर लोग अपने मरीज को पूरे विश्वास और आस्था के साथ यहां पहुंचते हैं, वहां के डॉक्टर असीम गुप्ता को मैक्स स्मार्ट जैसे खर्च के मामले में कुख्यात निजी अस्पताल में क्यों ले जाया गया ? सवाल यह भी है कि लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में ऐसी कौन सी दिक्कत या असुविधा थी, जो मैक्स स्मार्ट जैसे निजी में नहीं थी ? या फिर कोई चिकित्सकीय शिकायत अथवा कमी महसूस की गयी लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में ?
जाहिर है कि वह वजह थी निजी अस्पताल में मरीज के साथ होने वाली खुली लूट, जो बीमा कम्पनियों के बल पर फल-फूल रही हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे निजी अस्पताल मेंऐश-ओ-आराम का तो पंच-सितारा इंतजाम होता है, लेकिन इलाज के मामले में पूरे दिल्ली में खासी खुसुर-पुसुर सुनी जाती है।