लोटा में नहीं, अब मेडिकल-छात्रों के लिए साक्षात पुस्‍तक बन गयीं मेरी मां

बिटिया खबर

: अब मानव-शरीर की जटिल संरचनाओं की गुत्थियां सुलझाता ही रहेगा मां की पार्थिव-देह : उन्‍होंने अपनी कुछ शर्तों में इस जगत को तो बहुत कुछ दे डाला, जिसकी कल्‍पना कोई सामान्‍य व्‍यक्‍त ही नहीं कर सकता :

कुमार सौवीर
लखनऊ : मां की अन्तिम शर्त थी:-देह-दान।
आज वो भी पूरी हो गई।
आज सुबह वे लोटे में सिमटने के बजाय चिकित्सा-छात्रों के लिए स-शरीर पाठ्य-पुस्तक बन चुकी हैं।
पूरा जीवन अपनी शर्तों पर ही जिया है मेरी मां, यानी श्रीमती सत्यप्रभा त्रिपाठी ने।
अचानक ब्रेन स्ट्रोक पड़ा और बेहोश होकर वे बाथरूम में गिर पड़ीं। लखनऊ के लोहिया इंस्टीच्यूट में भर्ती थीं। असर दिमाग में नहीं, लेकिन जुबान पर भारी पड़ा था। बोल तो खूब रही थीं, लेकिन अधिकांश बातें समझ से परे। बाकी दवाइयों के साथ ही साथ नींद की दवाई का भी असर। नींद टूटने पर मुझे, बड़े भाई श्री आर्तिमान त्रिपाठी और भाभी श्रीमती ज्योत्स्ना त्रिपाठी को देखते ही फूट-फूट कर रोने लगती। कल 27 अगस्‍त-18 की सुबह उन्‍होंने इस जगत से नाता तोड़ दिया और ब्रह्माण्‍ड-व्‍यापी हो गयीं।
अब यहीं तो किसी भी मानव को आत्म-मनन और आत्म-विश्लेषण की जरूरत पड़ती है। मां बहुत वृद्ध और अशक्तता की डगर पर थीं। उम्र 85 बरस। हम सब भी कुछ बरस बाद उसी राह पर होंगे। लेकिन नई पीढ़ी को तो हम सिखा-समझा तो सकते ही हैं। बशर्ते यह नव-पाठ के लिए हम ईमानदारी से प्रयास करें। माना कि जीवन में शर्तें होना अनिवार्य होता है। उसके लाभ और प्राप्तियां भी बहुत सुकून देती हैं। लेकिन केवल उसी से जीवन कठिन ही नही, कष्टप्रद भी हो जाता है। अपरिहार्य।
तो पहला पाठ तो यही होना चाहिए कि:-
“जीवन में केवल अपनी ही शर्तें महत्वपूर्ण नहीं होती हैं। दूसरों की शर्तें भी बहुत महत्व भले अनिवार्य न हों, लेकिन आत्म के साथ ही दूसरों की शर्तों का सामंजस्य बिठाना ही असली जीवन है।”
लेकिन इसके साथ ही उन्‍होंने अपनी कुछ शर्तों में इस जगत को तो बहुत कुछ दे डाला, जिसकी कल्‍पना कोई सामान्‍य व्‍यक्‍त ही नहीं कर सकता। वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका शरीर न जाने कितने मेडिकल छात्रों को मानव-शरीर की जटिल संरचनाओं की गुत्थियां सुलझाता ही रहेगा।
मां का यह रूप काश हर मां में बस जाए।

2 thoughts on “लोटा में नहीं, अब मेडिकल-छात्रों के लिए साक्षात पुस्‍तक बन गयीं मेरी मां

  1. अनुकरणीय जीवन दर्शन प्रदान कर गयीं वन्दनीया माता जी
    हार्दिक श्रद्धांजलि प्यारी मां…..!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *