: रामनगरी में राक्षसी और पैशाचिक ताकतों ने मंदिरों को कब्जाने की साजिशें बुननी शुरू : वयोवृद्ध महंथ ने जिलाधिकारी और एसएसपी से शिकायत :
दोलत्ती संवाददाता
अयोध्या : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की नगरी में तपस्वियों के तब और हवन आदि अनुष्ठानों को निष्फल करने के लिए अयोध्या में अब राक्षसी और पैशाचिक अपना ठीहा बनाने में जुट गयी हैं। इन राक्षसी ताकतों का पहला हमला यहां के विख्यात ऋणमोचन घाट स्थित सरयू केलिकुंज मंदिर पर हुआ है। बताते हैं कि यह पूरा विवाद अब इस मंदिर को हड़पने को लेकर है। लेकिन हैरत की बात है कि इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी उंगलियां उठने लगी हैं।
केलिकुंज मंदिर अयोध्या का एक प्रख्यात मंदिर माना जाता है। इस मंदिर-स्थल की प्रतिष्ठा सदियों से सुरक्षित और संरक्षित है। लेकिन हाल की घटनाओं को देखते हुए लगता है कि यहां पैशाचिक और राक्षसी हरकतें अब अराजक, निर्द्वन्द्व और स्वेच्छाकारी कुकृत्यों का अड्डा बन जाएगा। लेकिन यह विवाद तब खड़ा हुआ जब मंदिर के वृद्ध महंत राघवेंद्र शरण पर पक्षाघात यानी लकवा पड़ गया। मौका देखते ही कुछ साधुवेशधारियों ने मंदिर पर कब्जा करने का प्रयास किया। हालांकि स्थानीय लोगों ने इस कब्जे का विरोध किया, लेकिन इन राक्षसों ने उलटे उन्हें भी जान-माल की धमकी दी जाने लगी।
बताते हैं कि इस मामले में पुलिस की भूमिका शुरू से संदिग्ध रही। स्थानीय लोगों को सबसे आक्रोश और नाराजगी तो इस बात पर है कि पुलिस ने इस मामले में आरोपी पक्ष पर कार्रवाई न कर मंदिर के बड़े महंत सियापियारी शरण से अभद्रता की और उन्हें अपमानित किया। उस पर दूसरे पक्ष ने खुलेआम धमकियां देते हुए निपट लेने की चेतावनी भी दे डाली।
आपको बता दें कि सरयू केलिकुंज मंदिर के वृद्ध महंत राघवेंद्रशरण ने सियापियारी शरण को बड़ा और अवध किशोर शरण को छोटा महंत बनाया था। चंद दिनों पहले मंदिर में किराये पर रहने वाले कुछ साधुवेशधारियों ने मंदिर की संपत्ति पर कब्जे का प्रयास किया। पड़ोस में रहने वाले जानकी शरण और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। आरोप है कि अयोध्या कोतवाली प्रभारी ने कब्जा कर रहे लोगों पर कार्रवाई न कर मंदिर के महंत की मदद करने वाले जानकीशरण को फोन पर जेल भेजने की धमकी दी।
मंगलवार को जानकीशरण ने मीडिया से बातचीत में इस बात का खुलासा किया और संपूर्ण प्रकरण में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए शिकायत एसएसपी और जिलाधिकारी से की है।