: माफिया से नेता की दोस्ती में हांफने लगती है पुलिस : कानपुर मुठभेड़ में पुलिसकर्मी मारे गए, तीन बदमाशों के मारे जाने की भी अपुष्ट खबर : जनता से पुलिस जब कटने लगेगी, तो ऐसे ही हादसे होंगे :
विजय शंकर सिंह
कानपुर : यहां के बिकरु गांव में वहां के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी एक पुलिस पार्टी से मुठभेड़ में आज एक डीएसपी देवेन्द्र मिश्र, और एसओ चौबेपुर सहित 8 पुलिसजन मारे गए। कर्तव्य पालन में हुयी यह बेहद दुःखद मृत्यु उत्तर प्रदेश के हाल के अपराध के इतिहास की एक बड़ी घटना है।
बिकरु न तो बीहड़ का कोई गांव है और न ही विकास दुबे किसी संगठित गिरोह का सरगना। शहर से बहुत दूर भी यह गांव नहीं है। विकास दुबे, एक आपराधिक चरित्र का व्यक्ति है और किसी समय बसपा का एक छोटा मोटा नेता भी था। इलाके में इसकी क्षवि एक दबंग और पेशेवर बदमाश की है और यह है भी। पुलिस की इस ऑपरेशन में क्या कमियां रही हैं इस पर तो तभी कुछ कहा जा सकता है जब सिलसिलेवार पूरा घटनाचक्र पता चले।
2001 में, इसने शिवली थाने में ही भाजपा के एक नेता संतोष शुक्ल की हत्या कर दी थी। यह हत्या थाने के अंदर कार्यालय में ही हुयी थी। मैं उस समय कानपुर में ही नियुक्त था, लेकिन जिले में नहीं बल्कि एसपी एन्टी डकैती ऑपरेशंस में था। लेकिन तब मैं घटनास्थल पर यह सूचना मिलने पर गया था।
आप यह जान कर हैरान रह जाएंगे कि दिन दहाड़े और थाने के ऑफिस में हुयी हत्या की उस घटना में विकास दुबे बरी हो गया था। उस समय वह उसी क्षेत्र के एक बसपा नेता के काफी करीब था। उसके अलावा और भी बहुत सी आपराधिक घटनाएं हैं जिनमे यह मुल्जिम है।
इस मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिसजन को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। यह बहुत बड़ा नुकसान है। यह कोई पेशेवर दस्यु गिरोह या संगठित आतंकी गुट के के साथ हुयी मुठभेड़ नहीं थी। न ही यह किसी बीहड़ आदि ऐसी जगह पर हुयी घटना है जिसमें जनहानि की अधिक संभावना रहती है। यह भी खबर आ रही है कि तीन बदमाश भी पुलिस जवाबी फायरिंग से मरे हैं, पर अभी उनकी डिटेल किसी अधिकृत सोर्स से नहीं मिली है।
विकास दुबे पकड़ा भी जाएगा, और अगर कोई मुठभेड़ हुयी तो वह मारा भी जाएगा। यह भी हो सकता है कि वह खुद ही अदालत के सामने हाज़िर हो जाय। पर राजनीति के अपराधीकरण का यह दुष्परिणाम पुलिस को जो भोगना पड़ता है, उसका यह एक
उदाहरण है।
( अपनी सक्रिय कार्यशैली, तीखी नजर और साफबयानी को लेकर आईजी रहे विजय शंकर सिंह का नाम पुलिस विभाग में खासा चर्चित है।)
केवल यूपी ही नहीं, दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे इस वक्त पूरे देश में सबसे ज्यादा चर्चा में है, जिसने पिछले दिनों कानपुर में आठ पुलिस कर्मचारियों को गोलियों से भून कर उनको मौत के घाट उतार दिया। लेकिन उसके साथ ही अब एक नया नाम जुड़ गया है प्रदेश के एक बड़े कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक का। वजह है विकास दुबे के साथ एक फोटो में अंतरगता के साथ खड़े मंत्री ब्रजेश पाठक।
इस कांड और ब्रजेश पाठक से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए अगर आप इच्छुक हों, तो निम्न लिंक पर दर्ज खबरों के शीर्षक पर क्लिक करें:-
कानून मंत्री ब्रजेश पाठक का खासमखास है दुर्दांत विकास दुबे
दुर्दांत विकास दुबे चाहिए ? पार्टियों के दफ्तर में होगा
मूल-प्रश्न: कौन किसके साथ फोटो खिंचवाने को आतुर था
नीला नहीं, “ब्रजेश संग विकास” की फोटो भगवा-काल की है
बीजेपी में आते ही ब्रजेश पाठक के पांव भारी: कैमरा छीना, पत्रकार को थप्पड़ मारा
धंधा मारपीट व अवैध कब्जा: ब्रजेश पाठक ने हड़पी सरकारी सुरक्षा