व्‍यंग्‍य-कविता: पहचानिये ऐसे पत्रकारों को

दोलत्ती बिटिया खबर

: व्‍यंग्‍यकार आत्माराम यादव पीव बता रहे हैं अधिकांश पत्रकारों का चाल-ढाल : यह व्‍यक्ति नहीं हैं, बेफिक्र घूमते सांड़ होते हैं। समाज पर भार हैं :
आत्माराम यादव पीव
शहर में इनकी खूब चर्चा है
अतिक्रमण हटाने वाली टीम के
अधिकारियों से चलता खर्चा है।
ये शौकीनमिजाज है
सभी जगह खबू चरते-फिरते है
सांडों को इनपर नाज है।
ये सरकारों से बड़े है
इनका नाम खूब चलता है
ये सरदार बड़े है।
ये जो तंबूओं से तने बने है
नौकर इनके पढ़े लिखे है
ये अंदर ही अंदर जले भुने है।
ये दमदार है इनमें बड़ा दम है
बड़ा हाजमा है इन्हें सब हजम है
ये ऐसे वैसे नहीं छटी हुई रकम है।
कम नापना-तौलना इनका काम
ये नेता बड़े है ला पढ़े है
कम जाचना-तौलना इनके नाम।
ये सोने के पलने में चान्दी से चलते है
इनके ओठों पर लाली,गाल गुलाबी है
ये साझ ढ़लते ही गर्मी में मचलते है।
ये सायकल पर अटके कभी न भटके
खरे सिक्के से चलते रहे है
ये बिना पंख के है सभी से जरा हटके ।
ये दिखते गुटके से है गजब लटके से
किसी पेटूबाला सा पेट मटका है
इनके अजूबेपन का देश में खटके है।
ये दिमाग गिरवी रखते है बुद्धिवंद है
अक्ल के दरवाजे सदा रखते बंद है
पीव खेलते-खाते ये रहते स्वच्छन्द है।
यहा के पत्रकार बहुमुखी है बहुमत से दूर
अखबार चैनलों के पीव ये है परिपोषक
निर्दन्दी है अपने अधिकार पाने मतिमन्द भरपूर।

आत्माराम यादव पीव
स्वतंत्र लेखक एवं व्यंगकार

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