पत्रकारों में सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत टूट चुकी

बिटिया खबर

: इस सरकार में कितने पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज हुए : पत्रकार संगठनाें की सरकार से अपेक्षा क्‍या होनी चाहिए :
सैयद अख्‍तर अली
लखनऊ : किसी पत्रकार संगठन के पास ये जानकारी है कि रिपोर्टिंग को आधार बनाकर विगत दिनों कितने पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज हुए है?
किन धाराओं में?
कितनों को जेल भेजा गया?
उनके परिवार का क्या हाल है?
किसी पत्रकार संगठन ने सरकार से उपरोक्त जानकारी हासिल करने की कोशिश किया?
प्रदेश के वर्तमान माहौल में पत्रकारों का मनोबल बढ़ाने, उनके पत्रकारीय दायित्व के मार्ग में आ रही चुनौती को हटाने, उन्हें सुरक्षा का एहसास कराने की ज़िम्मेदारी किसकी है?
निस्संदेह पत्रकार संगठनों की प्राथमिकता में ये काम होना चाहिए।
आज हालात ये हो गए हैं कि अधिकतर पत्रकारों में सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत टूट चुकी है।
ऐसे में पत्रकार संगठनों की निष्ठा और औचित्य पर सवाल उठना लाजिमी है

1 thought on “पत्रकारों में सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत टूट चुकी

  1. उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के भ्रष्टाचारी सूचना आयुक्तों के काले कारनामों का भण्डाफोड़ करने के एवज में मेरे ऊपर भी साजिशन फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। बावजूद इसके कोई पत्रकार या पत्रकार संगठन साथ देने के लिए आगे नहीं आना चाहता,इसका मतलब क्या निकाला जा सकता है?
    संजय आजाद तो भरसक प्रयास करता है कि जनहित में जहां तक हो सके अपने उत्तरदायित्वों और कर्त्तव्यों का निर्वहन करते चलूं । शायद उसी का खामियाजा आयेदिन संजय आजाद भुगतता भी रहता है।
    आपने बहुत ही अच्छा सवाल उठाया है, मैं संजय आजाद आपसे वादा करता हूं कि जल्द ही सरकार से अपने पत्रकार भाईयों के पक्ष में लिखित में पूछूंगा।
    शुभकामनाओं सहित!
    आपका अपना हमसफर,
    संजय आजाद,
    पत्रकार एवं आरटीआई सलाहकार।

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