: अलाव से ज्यादा पिता के स्नेह की उष्मा से भागी होगी बेटी की ठंड : मां की अंत्येष्टि के फौरन बाद बेटी को इग्जाम दिलाने पहुंचे पाटीदार :
अमित मंडलोई
उज्जैन : विक्रम यूनिवर्सिटी कैम्पस में सुबह 7.30 बजे एक्जाम से पहले बच्चों के आने की शुरुआत हुई। एक्जाम 8 बजे शुरू होना थी, लेकिन अब तक डिपार्टमेंट के गेट भी नहीं खुले थे। बाहर ठंड अलग ही परीक्षा ले रही थी। वातावरण में नमी 43 फीसदी थी और आठ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही हवाएं हडि्डयों तक को कंपा रही थी।
तभी एक कोने में कुछ आहट हुई। पार्किंग शेड के पास किसी ने अलाव सुलगा दिया। एक जोड़ी हाथ अलाव जला रहे थे और दूसरी जोड़ी उनका ताप आत्मसात कर रही थी। कुछ और हाथ जुट गए। डिपार्टमेंट से पहले ठंड का पेपर हल होने लगा।
वे कमलकिशोर पाटीदार थे, अपनी बेटी को एक्जाम दिलाने उज्जैन से कोई 35 किमी दूर तराना से लेकर आए थे। बाकी पेपर में तो उसे एक दिन पहले ही ले आते हैं। रात उज्जैन में ही रुकते हैं, ताकि सुबह वह इत्मीनान से परीक्षा दे सके। इस बार कुछ और ही होना लिखा था।
बेटी के पेपर के एक दिन पहले ही उनकी मां चल बसी। अंत्येष्टी के तुरंत बाद बेटी को लेकर निकला ठीक नहीं लगा। इसलिए सुबह आए। लेकिन यहां भी वे अकेले नहीं आए थे। खेत से पूरा एक बोरा भरकर सोयाबीन के सूखे पौधे भी बाइक पर साथ ही लेकर आए थे। जैसे ही यहां पहुंचे ठंड से ठुठरती बेटी के लिए अलाव सुलगा दिया। ताकि उसकी अंगुलियों की जकड़न खुल सके, कंपकंपी दूर हो सके और वह बिना किसी उलझन के परीक्षा दे सके। हर बार आग ठंडी पड़ते ही वे उसमें नई टहनियां डाल देते, बेटी, कभी हाथ बढ़ाती, कभी पैरों को आगे कर देती।
जानता हूं, बेटी की ठंड इस अलाव से ज्यादा पिता के स्नेह की उष्मा से भागी होगी। एक ही परीक्षा में बेटी से पहले पिता अलाव बनकर पास हो गए। हालांकि पता है उनकी यह कॉपी कभी कोई नहीं जांच पाएगा, जांच सकेगा।
आप गजब लिखते हैं। मजा आ जाता है।