: राजस्थान की विधायक ने राज्यसभा चुनाव में सुभाष की टांग खींची : जी-टीवी समूह के मुखिया हैं सुभाष चंद्रा, चिल्ड्रेन पार्क एक्सेल-वर्ल्ड से पत्रकारिता तक का धंधा : हिन्दी भाषा-भाषी क्षेत्र में सांप्रदायिक पत्रकारिता के सबसे निकृष्ट प्रयोगकर्ता : झूठ और अतिरंजित अफवाहों को खबर के तौर पर पेश करने के मदारी :
दोलत्ती संवाददाता
राजस्थान : सांप्रदायिकता और झूठे अफवाहों को खबरों के तौर पर पेश करने में माहिर जी-टीवी समूह के मालिक सुभाष चंद्र को राज्यसभा चुनाव में करारी चोट पहुंची है। बीजेपी की धौलपुर से विधायक शोभारानी कुशवाहा की ओर से क्रॉस वोटिंग किए जाने के बाद उनका वोट खारिज कर दिया गया है। यहां कभी वसुंधरा राजे खेमे की विधायक माने जाने वाली शोभारानी कुशवाहा ने क्रॉस वोटिंग कर दी, तो सुभाष चंद्रा को चारोंखाने चित्त होना पड़ा। जिसके बाद बीजेपी खेमे में हड़कंप मच गया है। दोलत्ती इतनी भारी पड़ी है कि इससे आहत और भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा मतगणना से पहले ही दिल्ली लौट गए हैं। हालांकि इस घटना ने इस चर्चा को भी हवा दे दी है कि इस चुनाव ने भाजपा के भीतर गहरी फूट पैदा कर दी है। बहरहाल, देश के प्रमुख वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने दो-टूक शब्दों में इस मामले में साफ कह दिया है कि:- राजस्थान ने सुभाष चंद्र को राज्यसभा चुनाव में हराकर सांप्रदायिक पत्रकारिता के प्रश्रय-संचालन को ख़ारिज किया है।
आपको बता दें कि राजस्थान के राज्यसभा चुनावों में एस्सेल ग्रुप के मालिक और हरियाणा से राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा ने इस बार राजस्थान से राज्यसभा चुनाव लड़ा है। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा, निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों के दम पर वे चुनाव जीत लेंगे। मतदान के बाद से जिस तरह के रुझान सामने आए और भारतीय जनता पार्टी में ही क्रॉस वोटिंग हो गई। इसके बाद उनकी जीतने की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई थी।
राज्यसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को भरोसा था कि वे बीजेपी के साथ-साथ निर्दलीय विधायक का समर्थन जुटा लेंगे। उन्हें विश्वास था कि कांग्रेस में अदरूनी कलह -फूट का लाभ भी उन्हें मिलेगा। पिछली बार की तरह ही राज्यसभा चुनाव में हरियाणा की तरह ही कोई चमत्कार होने की उम्मीद भी थी, लेकिन यहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति के आगे सुभाष चंद्रा की उम्मीदें धरी रह गई। सुभाष चंद्रा को अपनी संभावित हार नजर आ रही थी, इसके चलते ही उन्होंने मतगणना से पूर्व हुई दिल्ली जाना उचित समझा।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस के दबदबे के बाद शोभारानी ही एक विधायक है, जिन्होंने पूरे भरतपुर संभाग में से बीजेपी के लिए धौलपुर से एक सीट निकाली थी। धौलपुर की अपनी सीट से महिला विधायक शोभारानी ने कमल खिलाया था। धौलपुर में एक मर्डर केस में पति बीएल कुशवाहा के जेल जाने के बाद उपचुनाव में जीतकर शोभारानी राजस्थान विधानसभा पहुंची। पति बीएल कुशवाहा बसपा से विधायक थे।
मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी अगले विधानसभा चुनाव में शोभारानी को बाड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाना चाहती थी। यहां से कांग्रेस के विधायक के तौर पर गिर्राज मलिंगा जनप्रतिनिधि है। शोभारानी नहीं चाहती थी कि उन्हें बाड़ी से चुनाव लड़वाया जाए। इसे लेकर पार्टी से उनकी नाराजगी थी। शोभारानी को पार्टी से अलग थलग कर दिए जाने को लेकर भी कई बार चर्चाएं रही हैं। वहीं यह भी कहा जाता रहा है कि वो पार्टी से अलग थलग होने के बाद कांग्रेस में शामिल होने की तैयारी कर रही थी।
इधर वहीं बांसवाड़ा के गढ़ी से भाजपा विधायक कैलाश चंद मीणा से भी वोट डालने में गलती होने की भी खबर मिली है, ऐसे में माना जा रहा है कि उनका वोट खारिज हो सकता है, हालांकि इसे लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि वोट क्रॉस हुआ या खारिज हुआ, यह सब वोटिंग पूरी होने के बाद तय होगा। बीजेपी खेमे से शोभारानी और मीणा के गलत वोट डालने के साथ यह भी खबर मिली है कि बीजेपी विधायक सिद्धि कुमारी ने भी वोट डालने में गलती है, जिससे सुभाष चंद्रा को नुकसान हुआ है।