खबर कौन खोजे ? कचरा छापता है शशिशेखर का हिन्‍दुस्‍तान

बिटिया खबर

: बड़े पत्रकार की बीवी वाली बीमा एजेंसी में व्‍यस्‍तता इतनी, कि खबर कहां खोजें : जौनपुर के संवादसूत्र के भाई-भौजाई पर ही फोटो-समेत खर्रा ठेल दिया हिन्‍दुस्‍तान अखबार ने : खबर लिखने के लिए खबर खोजने, उसके लिए औकात जुटाने और लिखने की भसोट भी हो तो जरूरी होती है :

दोलत्‍ती संवाददाता

जौनपुर : हिन्‍दुस्‍तान अखबार की एक बड़ी दिक्‍कत है। दिक्‍कत भी ऐसी, जो न शाही शफाखाना दुरुस्‍त कर सकता है, और न ही डॉक्‍टर जैन या वैद्य राणा। हकीम अब्‍दुल भी नहीं ठीक कर सकते हैं, और न ही गुप्‍तज्ञान उड़लने की चौंसठ वाली किताब।
दरअसल, मसला है कमजोरी का। कमजोरी भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि खबरों को लेकर है। स्‍टाफ ऐसा है कि जिसमें न तो खबर खोजने की औकात है, न उसको लिख पाने का माद्दा। कमजोरी इतनी कि घर की दहलीज से बाहर निकल कर दफ्तर जाने की हिम्‍मत तब ही हो पाती है, जब बात नौकरी पर बन जाती है। ऐसे में हिन्‍दुस्‍तान के ऐसे पत्रकार, जो खुद को बहादुर, जांबाज और खोजी, मगर ताकत न रखने की ख्‍वाहिश, क्षमता, साहस दिखाने का दमखम न होने के बावजूद अपनी मर्दानगी अखबार के काले अक्षरों में दिखाने के लिए मजबूर होते हैं, वे जो भी मन आता है उसे अंट-शंट या अंट-बंड की तरह छितरा देते हैं।
दरअसल, इस अखबार के स्‍टाफ की दिक्‍कत काफी बड़ी है। किसी को अपनी बीवी की बीमा एजेंसी में व्‍यस्‍तता इतनी होती है, कि खबर कहां खोजें। अफसर, डॉक्‍टर, बिजनेसमैन और नेता-प्रधान तक की एलआईसी या एंश्‍योरेंस में बिजी रहते हैं। ऐसे में खबर कहां से खोज पायें, लिखें और छाप कर अपनी बिड़ला जी के अखबार में अपनी दिहाड़ी नक्‍की करते रहें।
ऐसे में यहां के रिपोर्टरों ने एक नायाब तरीका खोज लिया है। एक विश्‍वस्‍त सूत्र का कहना है कि अब वे अपनी कल्‍पनाओं के घोड़े छोड़ते हैं, और अपने आसपास के उन अपने संवादसूत्रों के माध्‍यम से अपने रिश्‍ते मजबूत कर लेते हैं, जिनके माध्‍यम से उसे बिजनेस मिल सकता है। न काम करने की जहमत, न कोई बवाल का झंझट। खबर लिखने के लिए खबर खोजने, औकात दिखाने और लिखने की भसोट भी हो तो जरूरी है न।
आप आज के अंक में इसका नजारा साफ देख सकते हैं। यहां के एक रिपोर्टर ने अपने ही एक संवादसूत्र की भाई-भौजाई पर ही फोटो-समेत खर्रा पेल दिया और हिन्‍दुस्‍तान अखबार का जिन्‍दाबाद कर लिया। सवाल उठाने की जरूरत नहीं है कि उत्‍तराखंड की फोटो में इन सरकारी शिक्षिक-दम्‍पत्ति को कैसे फिट कर लिया गया। अरे यह दोनों ही सरकारी शिक्षक-दम्‍पत्ति खासे रसूख वाले हैं। पति अमित सिंह तो सरकारी शिक्षकों के संगठन में जिला मंत्री हैं, जबकि इन महानुभाव शिक्षकों के भाई सिकरारा क्षेत्र में हिन्‍दुस्‍तान के संवादसूत्र होने के साथ ही साथ खुद भी सरकारी शिक्षक भी तो हैं।
इतना ही नहीं, खबर लिखने वाले रिपोर्टर की पत्‍नी भी सरकारी शिक्षक भी हैं।

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