: निर्वीर्य और थके लोग दिवास्वप्न दिखा रहे हैं यूपी की सत्ता हासिल का : युवा-जोश के शोरगुल में चुवा-चोप हो जाएंगे अखिलेश के मुंगेरी सपने : खुद को श्रेष्ठ प्रबन्धकों कहलाने वालों ने सपा में कुंआ खोद कर लुटिया डुबाने का अभियान छेड़ दिया : अखिलेश के ताजा फैसलों में अनुभवहीनता की मात्रा ज्यादा, और युवा-जोश बेहद कमजोर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बहरहाल, इसके कि समाजवादी पार्टी में चल रहे कुनबाई-नौटंकी का हमेशा-हमेशा के लिए परदा गिर जाए, जरूरत इस बात की है कि आखिरकार उन आधारों पर अब अनछुए पहलुओं को भी बे-पर्दा कर दिया जाए, जिसके बल पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार की पार्टी और अपने पिता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बगावती झण्डे फहराना शुरू कर दिया। जानकार बताते हैं कि सपा में छिडी अन्दरूनी तलवार-बाजी और बिगड़े रिश्तों का मौलिक आधार दरअसल निराधार विश्वास है, जिसमें अनुभवहीनता की मात्रा ज्यादा, लेकिन युवा-जोश बेहद कमजोर होता है। माना जा रहा है कि 40 साल की राजनीतिक अनुभवों को केवल साढ़े चार साल की कवायद के बल पर कत्ल कर डालने की कवायद अन्तत: मूर्खतापूर्ण ही साबित होगी। खास तौर पर तब, जबकि अखिलेश ने अपने जोश के चलते रिश्तों की अवमानना करने का दुस्साहस कर दिया ।
सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस मामले में अखिलेश ने सिरे से ही मनमर्जी की। उन्हें चाहिए था कि वे केवल नेता जी पर ध्यान देते। आखिरकार मुलायम सिंह यादव ने अपना पूरा ताज-तख्तोताउस अखिलेश को थमा दिया था। उसका सम्मान करना चाहिए। वे नेताजी को समझाते। लेकिन अखिलेश ने ऐसा किया नहीं। नतीजा, अब सपा अब खुद ही अपनी कब्र खोद कर लेट गयी है।
एक अन्य पदाधिकारी का कहना है कि अखिलेश यादव को एसआरएस यादव, राजेंद्र चौधरी और अभिषेक मिश्र जैसी मूर्ख-मण्डली ने फंसा दिया है। बरगला दिया है नेता जी के खिलाफ। यूथ बिग्रेड का नाम देकर। जबकि इन नेताओं में न हड्डी है, न रीढ। अपने बल पर एक श्वास तक ले पानी की क्षमता नहीं है उनमें। केवल हल्ला-बवाल। सब के सब चुके कारतूस हैं, जो अखिलेश यादव की छीछालेदर का संकल्प लिये बैठे-तत्पर हैं।
ऐसे अभिषेक मिश्र, राजेंद्र चौधरी और यादव जैसी मंडली ने अखिलेश को समझा दिया है कि वे इंदिरा गांधी के नये अवतार हैं। भाड़ में जाए पार्टी। आप खुद में ही पार्टी हैं। आप में ओज है, वीर्य है, क्षमता है। दिन-रात यही रट्टा सिखाते-चढ़ाते-पढा़ते यह लोग अखिलेश यादव को। रूपहले सपने दिखाते हैं कि अगली सरकार अखिलेश ही बना लेंगे। सिंडीकेट जीतेगा।
मलाई दोना दिखा रहे हैं अखिलेश को। अखिलेश को समझा रहे हैं कि क्रांति रथ के सामने युवा-वर्ग का भारी-भरकम वोट-साम्राज्य भरभरा कर गिरेगा अखिलेश के चरणों में।
एक वरिष्ठ पत्रकार भी यही मानते हैं। उनका कहना है कि अपने थके-चुके-हांफते सिपहसालारों ने अखिलेश में यही भ्रम पैदा कर उन्हें किसी चक्रव्यूह की तरह घेर लिया है। हैरत की बात है कि इस चक्रव्यूह कई बड़े अफसर और पत्रकारों की भूमिका भी बेहद संदिग्ध है।
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