सपा की अपर्णा यादव, नाम एक बचकानी प्रत्याशी का

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: चुनावी माहौल में ऐसे बयानों को लेकर भाजपा ने भांजना शुरू कर दिया पैतरों का दांव : मुलायम की चहेती बहू अपर्णा के इस बयान ने राजनीति की भट्ठी को बैठे-ठाले एक ज्वलंत मुद्दा थमा दिया : यूपी के सूचना आयुक्त अरविंद बिष्ट की बेटी है अपर्णा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में चुनावी गहमागहमी के बीच समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बेहद चहेती छोटी बहू अपर्णा यादव आरक्षण विरोधी बयान देकर राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गयी है। अपर्णा के आरक्षण विरोधी बयान पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि भाजपा ने यूपी की चुनावी राजनीति वाली पतीली में जबर्दस्त उबाल कर दिया है। हालत यह है कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अपर्णा के बयान देने के बाद मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जवाब मांगा है।

आपको बता दें कि आज एक साक्षात्कार के दौरान मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने जातिगत आरक्षण समाप्त करने को लेकर बयान दे दिया था। अपर्णा के आरक्षण विरोधी बयान के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर आरक्षणी जिन्न निकलकर बाहर आ गया है। जाहिर है कि अब तक गहरे ठंढे माहौल में बेहद खामोश-जमे रहे इस जिन्न ने यूपी के ताजा चुनावी सरगर्मी में एक जबर्दस्तं गर्मी उछाल दी है। इतना ही नहीं, राजनीति को समझने वाले लोगों का तो यहां तक मानना है कि अपर्णा के इस बयान ने इस चुनाव में केवल अपना ही नहीं, बल्कि पूरी समाजवादी पार्टी की राजनीति के पांवों पर कुल्हाड़ी मार दिया है।

आपको बता दें कि अपर्णा यादव इस चुनाव में लखनऊ की कैंट सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर पत्या्शी हैं। अपर्णा का नाम शिवपाल सिंह यादव के खेमे से जुड़ा होने की चर्चाओं के चलते अपर्णा के टिकट को लेकर खासा विवाद खडा हो चुका था, लेकिन बाद में अखिलेश ने पारिवारिक तनाव से बचने के लिए अपर्णा को टिकट दिला ही दिया। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि ऐन चुनावी महासमर के दौरान इस तरह की बयानबाजी राजनीतिक अपरिपक्वता और बचकानी मानसिकता का परिचायक है। इसको लेकर समाजवादी पार्टी को खासा नुकसान पहुंच सकता है। अनेक विश्लेषकों ने अपर्णा के इस बयान को महामूर्ख समान माना है।

आपको बता दें कि अपर्णा यादव लखनऊ के टाइम्स आफ इंडिया के संवाददाता रहे अरविंद सिंह बिष्ट की बेटी है। अपर्णा यादव ने जिससे विवाह किया, वह समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रमुख रहे मुलायम सिंह यादव की दूसरी की पत्नी के बेटे है। जगजाहिर है कि मौजूदा मुख्य्मंत्री अखिलेश यादव अपने पिता की इस दूसरी पत्नी के बेटे की  पत्नी अपर्णा यादव बिष्ट से खासी दूरी बनाये रखते हैं। जबकि आरटीआई आंदोलन से जुडे कार्यकर्ताओं के अनुसार मुलायम सिंह यादव की इच्छा का सम्मान करते हुए अखिलेश यादव ने अपने सौतेले भाई की पत्नी् के पिता को यूपी के सूचना आयोग में आयुक्त के तौर पर नियुक्त कराया था। कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं के अनुसार मुलायम सिंह यादव का समधी होने के चलते बिष्ट को यह अनुकम्पा नौकरी दिलायी गयी थी।

बहरहाल, एक न्यूज वेबसाइट को दिये साक्षात्कार में अपर्णा यादव ने स्वयं को जातिगत आरक्षण का विरोधी बता दिया है। अपर्णा के इस साक्षात्कार के सार्वजनिक होने के बाद भाजपा के नेताओं ने इसे हाथोंहाथ लपक लिया और आनन-फानन में मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जवाब तक मांग लिया गया। उत्तर प्रदेश में राजनीति के दिग्गजों का कहना है कि सपा ने भाजपा को बैठे-बिठाये मुद्दा दे दिया है। अब हालत यह है कि अपर्णा की इस मूर्खता बयानबाजी से सपा तो सकते में आ गयी है, जबकि भाजपा का रवैया हमलावर बन चुका है।

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 41 फीसदी अन्य पिछड़ी जाति के मतदाता हैं. वहीं, 21 फीसदी आबादी दलितों की है। देखा जाये, तो उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों को 49.5 फीसदी आरक्षण मिलता है। इसके अलावा, मतदाताओं के लिहाज से देखें, तो अन्य पिछड़ा वर्ग में यादव मतदाताओं की संख्या करीब आठ फीसदी के आसपास है। वहीं, अन्य पिछड़ा वर्ग में ही लोध जाति की आबादी सात फीसदी, मौर्य, शाक्य व कुशवाहा समाज की संख्या 14 फीसदी और कुर्मी मतदाताओं की आबादी तीन से चार फीसदी के करीब है. बताया यह भी जाता है कि यादव जाति के लोगों को छोड़कर बाकी जातियों पर भाजपा की अच्छी पकड़ है।

यादवों को छोड़कर अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक का बड़ा हिस्सा भाजपा के पक्ष में है। यही वजह है कि भाजपा इस मुद्दे को हवादेने में जुटी है। वहीं  अपर्णा इस मामले में अपनी सफाई देकर विवाद को ठंडा करने की कोशिश में जुट गयी है। समाजवादी पार्टी की ओर से अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा चुकी है।

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