फिर खुली बसपा की माफिया-सुधार फैक्‍ट्री, बम्‍पर भर्तियां शुरू

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अरूण शंकर शुक्‍ल उर्फ अन्‍ना को लतियाने बाद फैक्‍ट्री-बंदी की कसम खायी थी मायावती ने : मुख्‍तार अंसारी और उनके परिवार को बसपा की उंगली पकड़ा दिया बसपा सुप्रीमो ने : दरअसल सत्‍ता में पहुंचने में कोई भी चूक नहीं करना चाहती है मायावती : बसपा और मुसलमान- एक :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह सन-20110 की जून की बात है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और तब की मुख्‍यमंत्री मायावती ने अपने पांच कालीदास मार्ग पर पत्रकारों को आनन-फानन आमंत्रित किया था। नोटिस केवल एक घंटे की थी। तब मैं महुआ न्‍यूज चैनल का प्रदेश मुखिया था। मुख्‍यमंत्री की अर्जेंट प्रेस-कांफ्रेंस की खबर मिलते ही मैंने अपना सारा कामधाम छोड़ा और ओवी वैन समेत पूरे क्रू के साथ मायावती के सरकारी आवास पर पहुंच गया। थोड़ी ही देर में हॉल खचाखच भर गया। खुसफुसाहटें तेज होती जा रही थीं, हर व्‍यक्ति इस अचानक बुलायी गयी प्रेस काफ्रेंस के कारणों को खोजने-बीनने में जुटा था।

कुछ ही देर में क्रीम कलर में सूट और भारी-भरकम पर्स लटके हुए मायावती हॉल में नमूदार हुईं। उनके पीछे थे कैबिनेट सेक्रेट्री शशांक शेखर सिंह, मुख्‍य सचिव अतुल गुप्‍ता और उसके पीछे डीजीपी समेत कई सचिवों की टोली। मायावती ने बिना किसी औपचारिकता की, सीधे डायस पर अपना बैग रखा और माइक को अपनी ओर हल्‍का सा खींच कर बोलना शुरू किया।

मायावती ने बिना लाग-लपेट के, बोलना शुरू कर दिया। लेकिन इसके पहले कि मायावती कुछ बोलतीं, पत्रकार दीर्घा से दो-तीन आवाजें खुसफुसाती हुईं फिजां में पसर गयीं कि:-  उपस्थित मीडिया बन्‍धुओं।

दरअसल, यह अंदाज था मायावती का, जिसका उच्‍चारण कुछ मजाकिया पत्रकार मायावती की शैली में हल्‍के से बोल पड़ते थे। पत्रकारों से बात करने से पहले मायावती पत्रकारों से इसी शैली में आज भी सम्‍बोधित करती हैं:- उपस्थित मीडिया बन्‍धुओं। लेकिन इस बार की इस खुसफुसाहट पर कोई ज्‍यादा फुसफुसाहट नहीं उमड़ी। पत्रकार उस वक्‍त केवल इतना ही जानना चाहते थे कि सीएम की इस पीसी की वजह क्‍या है।

मायावती बोलीं:- हमारी पार्टी हमेशा गलत रास्‍ते पर और भटक गये लोगों के कल्‍याण के लिए हमेशा सोचा करती है। इसीलिए हमारी पार्टी ने जाने-अनजाने में अपराध की दुनिया में आ गये लोगों को समाज की मुख्‍य धारा में वापस लौटाने की हर कोशिश की थी। इसी के क्रम में कई गुण्‍डों, अपराधियों, माफियाओं और समाज के खिलाफ काम कर रहे लोगों को हमारी पार्टी ने उन्‍हें सुधारने की कोशिश की थी। यह लोग विभिन्‍न राजनीतिक पार्टियों में सक्रिय थे। लेकिन उनमें से कई ने हमारी पार्टी से बताया कि वे अब अपनी ऐसी हरकतों से परेशान होकर, आजिज आकर बहुजन समाज पार्टी की शरण में आकर समाज की मुख्‍य धारा में शामिल कर समाज को मजबूत करना चाहते हैं, तो हमने उन्‍हें अपने साथ ले लिया। लेकिन साथ ही यह भी बात कह दी कि अगर वे भविष्‍य में अपराध में लिप्‍त हुए मिले तो उन्‍हें बसपा फौरन पार्टी से निकाल देगी।

मायावती लगातार बोलती जा रही थीं:- इसी के क्रम में समाजवादी पार्टी के एक गुण्‍डे अरूण शंकर शुक्‍ला उर्फ अन्‍ना को भी हमारी पार्टी ने सुधारने की कोशिश की थी। लेकिन यह गुण्‍डा अपनी आदतों से बाज नहीं आया। उसने अपनी माफियागिरी, अपराध और गुण्‍डागर्दी की राह नहीं छोड़ी। ऐसी हालत में हमारी पार्टी ने आज फैसला किया है कि इस गुण्‍डे को पार्टी से निकाल कर बाहर दिया जाए। (क्रमश:)

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