साजिश सा है गायत्री प्रजापति की जमानत पर खबरों का लहजा

दोलत्ती

: एक वक्‍त हुआ करता था जब गायत्री के जेल-गमन पर राष्‍ट्रीय चर्चाएं होती थीं : अब चैनल खामोशी अख्तियार किये हैं, असली वकील के नाम तक से परहेज : दिग्‍गज वकील टापते ही रहे, जीत गयी चीफ जस्टिस की बेटी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : याद कीजिए वह दौर, जब अखिलेश यादव सरकार में दुलरुआ रहे गायत्री प्रजापति को योगी सरकार के आते ही जेल में भीतर कर दिया गया था। लेकिन उसके पहले ही नहीं, बल्कि उसके बाद भी समाचार जगत में खासा गायत्री का नाम खूब चर्चित रह चुका है। चाहे उनका मंत्री बनने का प्रकरण रहा हो, या फिर उनको बलात्‍कार के मामले में लपेटने का किस्‍सा अथवा जेल भेजने की कवायद और या फिर जेल से छूटने की उनकी उठापटक का शोर। हर बार मीडिया ऐसी हर घटना को दुनिया की सबसे बड़ी घटना के तौर पर पेश करता रहा है।

लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। बहुत शांत, चुपचाप और पिन-ड्रॉप साइलेंस। चाहे नेशनल चैनल रहे हों, या फिर लोकल-फोकल अथवा चालू धंधेबाज चैनल ही नहीं, बल्कि बड़े अखबारों ने गायत्री प्रजापति की जमानत हो जाने की घटना को तनिक भी तवज्‍जो नहीं दी। अभी कुछ ही महीनों तक जिस शख्‍स को सर्वाधिक अमीर नेताओं में शुमार किया जाता था, उनकी जमानत की खबर को कुछ इस तरह पेश की गयी, मानो गायत्री प्रजापति नहीं, बल्कि दुर्घटना में घायल किसी लाचार-अपाहिज हो और जिसका जिक्र करना खबरों की दुनिया को अनावश्‍यक स्‍थान देना हो।

लेकिन जानकारों का कहना है कि इस मामले में गायत्री की जमानत हो जाना एक बड़ी खबर तो है ही, साथ ही साथ उससे भी बड़ी-बड़ी खबरें भी इस खबर के पीछे दबी हुई हैं। लेकिन किसी भी खबरची ने इस खबर का हालचाल लेने की जरूरत नहीं समझी। ऐसी हालत में बस असल सवाल तो यही है कि आखिर इस खबर के पीछे खड़ी खबरों को सामने लाने की जरूरत क्‍यों नहीं समझी गयी। पूरा मामला गुपचुप ही क्‍यों रह गया। मीडिया ने क्‍यों इस मामले को दबाया, छुपाया, बेवजह समझा या उसे तोड़मरोड़ कर पेश किया।

आपको बता दें कि गायत्री प्रजापति की जमानत को लेकर शुरू से ही जबर्दस्‍त हंगामा होता रहा है। केवल समाज, या राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि न्‍यायपालिका में भी गायत्री प्रजापति की स्थित किस अछूत से कमतर नहीं हो चुकी थी। इसके बावजूद इस खबर को आज नहीं दिखाया मीडिया ने। दूसरी बात यह है कि इस केस में लखनऊ हाईकोर्ट के वकीलों की शीर्ष संस्‍था अवध बार एसोसियेशन की निवर्तमान कमेटी के अध्‍यक्ष आनंदमणि त्रिपाठी और सचिव बालकेश्‍वर श्रीवास्‍तव समेत कई वकीलों ने अपना वकालतनामा दाखिल कर रखा था।

लेकिन अचानक कल जब जमानत का आदेश जारी हुआ, तो उसमें उन दिग्‍गज वकीलों का नाम ही नदारत था। जजमेंट के अनुसार इस केस में बाल केश्‍वर श्रीवास्‍तव, आनंद मणि त्रिपाठी, अविनाश चंद्रा, शशांक कुंवर, सुशील कुमार सिंह और विवेक तिवारी के वकालतनामा का जिक्र है। मगर जमानत देने वाले जज ने अपने आदेश में सबसे पहले पैराग्राफ में ही यह जिक्र कर दिया है कि उन्‍होंने रुक्मिणी बोवड़े और सुशील कुमार सिंह को सुना। बाकी के पैराग्राफ में केवल रुक्मिणी बोवड़े के नाम के साथ ब्‍योरा दिया गया है। आपको बता दें कि रुक्मिणी बोवड़े दिल्‍ली की वकील हैं, और पिछले 12 बरसों से वकालत कर रही हैं। एक सूत्र ने बताया कि रुक्मिणी बोवड़े दरअसल सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्‍च न्‍यायाधीश की बेटी हैं।

विधि-व्‍यवसाय से सम्‍बद्ध विशेषज्ञ बताते हैं कि इस मामले में असल हैरत की बात तो यही है कि लखनऊ के इतने बड़े-बड़े वकीलों की पावर लगे होने के बावजूद इन वकीलों ने खुद बहस नहीं की, बल्कि इस मामले पर रुक्मिणी ने ही गायत्री प्रजापति का पक्ष प्रस्‍तुत किया। इतना ही नहीं, हिन्‍दी के राष्‍ट्रीय अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण, अमर उजाला और हिन्‍दुस्‍तान आदि अखबारों ने इस घटना को तीसरे पन्‍ने पर भी छापने की जरूरत नहीं समझी। जागरण ने तो इतनी छोटी खबर छापी, कि गायत्री प्रजापति उसे पढ़ते तो अपने जीवन को ही निरर्थक मान लेते।

उधर दैनिक डेली न्‍यूज एक्टिविस्‍ट, तरुणमित्र, नवभारत टाइम्‍स, जनसंदेश टाइम्‍स, राष्‍ट्रीय सहारा आदि ने इस खबर को अपने पहले पन्‍ने पर स्‍थान दिया। केवल इकलौता अखबार रहा राष्‍ट्रीय सहारा जिसने रुक्मिणी बोवड़े का नाम भी छापा, लेकिन रुक्मिणी बोवड़े के नाम के साथ वर्तनी की छेड़खानी भी कर दी।

लेकिन शर्मनाक बात तो यह रही कि अमर उजाला ने इस खबर में पत्रकारिता का नाम ही चुल्‍लू भर पानी में डुबोने लायक कर दिया। आदेश में यह साफ होने कि मामले की सुनवाई रुक्मिणी बोवड़े के साथ सुशील कुमार सिंह ने की है, इसके बावजूद अमर उजाला ने लिख मारा कि गायत्री प्रजापति की ओर से अधिवक्‍ता बाल केश्‍वर श्रीवास्तव व अन्‍य वकीलों ने पक्ष रखा।

1 thought on “साजिश सा है गायत्री प्रजापति की जमानत पर खबरों का लहजा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *