: डॉक्टर्स डे पर अस्पतालों का चेहरा काला : सुभारती, लोकप्रिय, आनंद समेत पश्चिम यूपी के अस्पतालों में हत्यारों का डेरा : डॉक्टरों के धंधे में बनियों का कातिल नजर : रुपयों पर हंगामा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पश्चिम उत्तर प्रदेश के निजी अस्पतालों में बनियों की घुसपैठ अब हत्याओं को आमंत्रित कर रही है। मेरठ के विख्यात आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद ने जिस तरह सल्फास खा कर आत्महत्या की है, उसने पश्चिम उप्र में इस डॉक्टरी धंधे को पूरी तरह नंगा करना शुरू कर दिया है। पता चला है कि यह मामला पांच सौ करोड़ के आसपास था, जिसमें हरिओम आनंद ने अपनी सम्पत्ति हड़पने का आरोप अपने पूर्व साथियों के साथ ही साथ कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर लगाया था। फिलहाल आनंद हॉस्पिटल के मालिक की आत्महत्या का मामला अब पुलिस के पास पहुंच चुका है, लेकिन इस मामले ने कई लोगों के लपेटे में लिये जाने की आशंका जतायी जा रही है।
आनंद अस्पताल मेरठ का बड़ा दिग्गज अस्पताल माना जाता है, जिसके मालिक थे हरिओम आनंद। पिछले 27 जून को हरिओम आनंद ने अस्पताल में ही जहर खा कर आत्महत्या कर ली थी। हरिओम आनंद की बेटी मानसी आनंद ने आज मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक तीन पेज का एक पत्र भेजा है, जिसमें कई बड़े-बड़े और शिक्षा तथा चिकित्सा प्रतिष्ठानों के मालिकों को अपने पिता को मारने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। मानसी ने कहा है कि इन लोगों की करतूतों और धमकियों के डर कर ही उनके पिता ने आत्महत्या की है।
मानसी के पत्र के मुताबिक हरिओम आनंद यहां के प्रतिष्ठित सुभारती चैरिटेबल ट्रस्ट के आजीवन ट्रस्टी थे। इस में दो अन्य ट्रस्टी भी थे। एक थे डॉक्टर अतुल कृष्ण भटनागर और उनकी पत्नी मुक्ति भटनागर। पत्र में मानसी ने आरोप लगाया है कि सन-05 में उनके पिता को ट्रस्ट से अवैधानिक तरीके से हटा दिया था, और डॉक्टर अतुल कृष्ण व उनकी पत्नी मुक्ति ने करोड़ों रुपयों को हड़प लिया। मामले को निपटाने के लिए इन लोगों के बीच कई बार वार्ता हुई। आखिरकार इन दोनों ने हरिओम आनंद को बताया कि इतनी बड़ी रकम वे संस्थान से नहीं निकाल पायेंगे। यह कर पाना असम्भव है। लेकिन एक रास्ता सुझाया गया, जिसके तहत हरिओम आनंद को अतुल कृष्ण भटनागर और मुक्ति भटनागर ने आश्वासन दिया कि हरिओम आनंद अपनी सम्पत्ति पर कर्ज ले लें। और उसके भुगतान यानी करीब पांच करोड़ रुपयों की किश्तें वह दम्पत्ति नियमित रूप से जमा करते रहेंगे।
मानसी के पत्र के मुताबिक हरिओम आनंद ने मजबूरन यही किया, लेकिन जब भुगतान की हालत आयी तो उन्होंने एक भी एक भी पैसा देने से इनकार कर दिया। इसके चलते हरिओम आनंद मानसिक तनाव में आ गये। उधर आनंद अस्पताल के शेयर धारक जीएस सेठी, ललित मोहन भारद्वाज, आकाश खन्ना राहुल दास , मुमताज, कामरान और उसके साथियों ने भुगतान को लेकर परेशान करना शुरू कर दिया। समय सिंह सैनी ने तो बैंक के रुपयों के लिए एक एफआईआर भी दर्ज रकरा दी थी।
मानसी के पत्र के मुताबिक दरअसल जीएस सेठी, ललित मोहन भारद्वाज, राहुल दास, आकाश खन्ना, हरिओम आनंद से सारे वित्तीय अधिकार चाहते थे। लेकिन इसके बाद हरिओम आनंद हमेशा-हमेशा के लिए बर्बाद हो जाते। इसके बावजूद जीएस सेठी और ललित मोहन भारद्वाज ने एक डीड अपने सीए विजय कपूर के द्वारा हरिमोहन आनंद द्वारा दिलवाया था। इस डीड पर आकाश खन्ना के भी दस्तखत हैं।
इसके बाद तो हालत बदतर हो गयी। मानसी ने लिखा है कि ललित मोहन, राहुल दास व जीएस सेठी ने मुझे आतंकित किया कि सारे वित्तीय स्थानांतरित कर दो, वरना वे मुझे और मेरी मां मीना आनंद को अस्पताल से निकाल बाहर कर देंगे।
पिछले 24 जून को जीएस सेठी ने फोन कर हरिओम आनंद को बुरी तरह धमकाया। 26 जनवरी को हरिओम आनंद ने मेरठ के एसएसपी को एक पत्र लिखा, इसके साथ ही एक पत्र जीएस सेठी को भी लिखा गया। इस पर अभियुक्तों ने हरिओम को फिर बुरी तरह उत्पीडि़त किया।
नतीजा यह हुआ कि 27 जून को हरिओम आनंद ने जहर खा लिया। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर ऐकम खान, सलमान अशरफ, मुनेश पंडित व अपने पूरे परिवार के सामने एक लिखित पत्र दिया और बताया कि उन्होंने आत्महत्या इसलिए की है क्यों डॉक्टर अतुल कृष्ण भटनागर, मुक्ति भटनागर, जीएस सेठी, ललितभरद्वाज, राहुल दास, समय सिंह सैनी, मुताज और अज्ञात लोगों ने उनको बुरी तरह प्रताडि़त कर रखा है।
हालांकि यह अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि मानसी आनंद की बेटी के इस पत्र पर पुलिस ने क्या कार्रवाई की है और इस पर बाकी आरोपितों का क्या पक्ष है। हम लगातार आरोपितों से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही हमें उनका पक्ष मिल जाएगा, हम उसे जस का तस प्रकाशित कर देंगे।