“आरएसएस ने खोला खजाना, कोई भी भूखा नहीं मरेगा”

दोलत्ती

: लखनऊ में आरएसएस के लोगों की शर्मनाक हरकत : हरेक को तीस किलो राशन देने का दावा, थमायी ढाई सौ ग्राम की पुडिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए कमर कस ली है। मकसद यह है कि कैसे भी हो, इस महामारी से कोई भी आम आदमी भूखा न मर जाए। इसके लिए राजधानी लखनऊ के दर्जनों इलाकों में आरएसएस के लोगों ने शिविरों की स्थापना कर राशन का वितरण शुरू कर दिया है।
लेकिन यह तो है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस यानी संघ के लोगों का दावा। सच बात तो यही है कि ऐसा दावा केवल ढपोरशंख ही साबित हुआ है। संघ की ऐसी रणनीति का खोखलापन साबित करते हुए पटेलनगर के संपर्क विभाग ने बीती शाम जो राहत पैकेट वितरित किया गया है, उसमें अधिकतम ढाई सौ ग्राम सामग्री ही है। हालांकि चर्चा तो यह भी चल रही है कि वाकई इस पैकेट में राशन ही मौजूद था, या कूडा:करकट। शर्मनाक तो यह रहा कि इस संपर्क विभाग के प्रमुख राजेश सिंह ने राहत सामग्री पैकेट की जो फोटो अखबारों में छपवायी है, उसमें केवल एक ही किशोर का चेहरा है, जबकि राजेश सिंह पूरी सजधज से उस किशोर को राहत बांट रहे हैं। जाहिर है कि यह पूरी कार्रवाई केवल घटिया स्तर पर प्रचार के लिए वितरित की गयी है। कमाल की बात तो यह है कि इस किशोर अपने कान में इयर:फोन लगाये है, और अपने दाहिने हाथ में प्लास्टिक के ग्लास को थामे है। इस फोटो पर एक पाठक ने चुटकी ली है कि इस किशोर को इस पैकेट में चबैना और ग्लास में दारू थमायी गयी होगी।
आपको बता दें कि संघ द्वारा प्रचारित एक खबर में लिखा गया है कि संघ के सेवा विभाग की ओर से स्थापित शिविरों में दस किलो आटा, पांच किलो चावल, तीन किलो दाल, एक किलो नमक, पांच किलो आलू, आधा किलो सरकसों का तेल और सब्जी आदि राशन का पैकेट रोजाना जरूरतमंदों को बांटा जाएगा।
हालांकि इस खबर पर सम्पर्क करने पर आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ राष्ट्र और मानवता के प्रति एक पूर्ण समर्थित संगठन है, जहां इस तरह की हरकत हो पाना असंभव है।
अब आप इस मामले की छपी खबर को बांच लीजिए।

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