पतंजलि वाले रामदेव: जब सरकार ही राष्‍ट्रभक्‍त हो, तो कीमत कौन चुकाए

सैड सांग

: रामदेव वाले पतंजलि उत्‍पाद का आंवला-रस के खोखलेपन ने साबित कर दिया कि सरकार अब राष्‍ट्रभक्‍तों के सामने साष्‍टांग : सवाल यह है कि सेना जैसे संवेदनशील मसलों पर भी कैसे बिना किसी जांच के आपूर्ति का आदेश दे दिया सरकार ने : देश को तबाही की ओर ले जा रहे हैं रामदेव जैसे लोग :

संवाददाता

लखनऊ : राष्‍ट्रभक्ति का सबसे मजबूत पहरूआ होता है अंध-भक्ति। वही, जो सेना ने किया, और जिस पर सरकार ने अपने निहित स्‍वार्थों के चलते मजबूर किया। देश के सबसे बड़े कांणे-उस्‍ताद बाबा का चेहरा अगर आप पहचाना चाहते हों, तो पतंजलि लाजवाब नजीर है।

ताजा मामला है रामदेव की धंधेबाजी का समूह वाला आंवला रस, जो अब पूरी तरह केवल घटिया ही नहीं मिला है, बल्कि उसमें कई गम्‍भीर अराजक बीमारियों का अड्ढा भी बरामद हुआ है। पता चला है कि इसमें गुणवत्‍ता की बात तो दूर बात थी, उसमें जो गुण थे, वे मानव-स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहद घातक थे। शर्मनाक बात तो यह है कि यह आवंला रस की आपूर्ति सेना में हो रही थी। खैर, ताजा खबर है कि इस उत्‍पाद को सरकार ने प्रतिबंध कर दिया है।

शीतल सिंह इस मामले में खासे गम्‍भीर हैं। उन्‍होंने इस मामले में खासा खुलासा किया। उधर प्रखर पत्रकार श्रीकांत अस्‍थाना ने भी इस मामले में जमकर सरकार को कोसा। अपने एफबी पर अस्‍थाना ने लिखा है कि रामदेव के और भी कई उत्पाद निम्नस्तरीय और भ्रामक प्रचार वाले साबित हो चुके हैं। लेकिन, प्रचार तंत्र की शक्ति और अपने देश के लोगों की विवेचन क्षमता पर ध्यान दीजिये कि पिछले तीन वर्षों मे इस कम्पनी का व्यवसाय देश में किसी दूसरी कम्पनी की तुलना में तेजी से बढ़ा है। आंख मूंदकर प्रचार पर भरोसा करना और धोखा खाना हमारी सामाजिक प्रवृत्ति का हिस्सा है। जांचो, परखो पर हम यकीन नहीं करते। प्रचार के भरोसे अच्छा मान लिया तो अच्छा है..खराब मान लिया तो खराब। प्रचार कमजोर रहे तो अच्छा माल भी बेकार। पूरे देश की ही चाल ऐसी है। तकलीफ क्यों और कैसी।

शीतल लिखते हैं कि:- सेना को ज़बरन रामदेव कंपनी के खाद्य पदार्थ खरिदवाये जा रहे थे । जैसे ज़बरन अनिल अंबानी की कंपनी के जरिये लाये गये हथियार लड़ाकू जहाज़ खरिदवाये जा रहे हैं । करीब तीन लाख करोड़ की सालाना ख़रीद वाली सेना क्रोनी कैपिटल का नया चारागाह है !

पर सेना ने टेस्ट में पाया कि रामदेव का आँवला जूस सिवाय ठगी के कुछ नहीं है । सेना ने इसके स्तेमाल पर रोक लगा दी और बचा स्टाक रामदेव को वापस कर दिया ।

अब देखिये देशभक्ति क्या क्या और करती है ? रिपोर्ट देने वाली लैब ही न बंद मिले या उसका मुखिया बदल जाय ?

अब जरा अस्‍थाना की पोस्‍ट पर आयी प्रतिक्रियाओं पर भी एक नजर डाल लीजिए:-

Yogendra Dubey प्रचार तंत्र के भरोसे तो सरकार भी चल रही है .

Himanshu K Mishra देधभक्ति का रस इतना गहरा घुला है कि कोई तर्क काम नहीं करता।

Swamiumesh Shukla yahi hai aaj ka sach.

Swamiumesh Shukla maharishi patanjali ne kabhi kaarobaar men haath azmaya hota to ye desh unhe maharishin nahi karobaari kahkar yaad karata.

Ajay Shukla 100% True..Bhai..

सुमन झा सहमत सर। पतंजलि का उत्पाद मतलब नाम बड़े और दर्शन छोटे। लेकिन स्वदेशी के नाम पर सब चल रहा है

Bibhas Kumar Srivastav बिलकुल सही। कोई भी काम क़ानूनी ढंग से नहीं चल रहा है।

राजेश भारद्वाज बाकी कम्पनी के उत्पादों के बारे में क्या राय है?

Shrikant Asthana राजेश जी, मेरी बात किसी कम्पनी या उत्पाद तक सीमित नहीं है।

Raghvendra Dubey आपसे सहमत हूं । जिस आदमी ने शारीरिक व्यायाम को ही योग प्रचारित कर दिया , उसके बारे में क्या कहूं ।

Ved Prakash Vatuk jab nirantar jhooThe prachaar se desh kee gaddee paayee jaa saktee hai to

Sanjay Bhatnagar Agree

Bhuwan Bhaskar थोड़ा नज़रिया बदलेंगे को नज़ारे भी बदल जाएंगे… पतंजलि की सफलता प्रचार तंत्र की सफलता कत्तई नहीं थी… ये उपभोक्ता जगत में फैले अविश्वास और निराशा के बीच आए एक ऐसे उत्पाद की लोकप्रियता थी, जिसका ब्रांड एम्बेस्डर एक संन्यासी था… इसलिए महज़ कुछ सालों …See more

Shrikant Asthana भुवन, आपकी बात ‘धोखा खाने’ वाले परिदृश्य के बाद की है। उससे सामाजिक प्रवृत्ति के स्तर पर जड़ जमाये बैठी विवेकहीनता पर कहां असर पड़ा। वैसे भी मेरी टिप्पणी किसी कम्पनी या उत्पाद तक सीमित नहीं है।

Yogesh Gupta Sir hamari sarkar ko yesi utpado ko band hi kae dena chahiyi

Ravindra Shrivastava पूरी तरह सहमत। एक और बात…. स्वदेशी के नाम पर लोगों को भावुक करने वाली इस कंपनी का प्रचार शंकरवर्णी विदेशी भाषा में होता है, मसलन… पातंजलि राइस-सबसे नाइस।

(अपने आसपास पसरी-पसरती दलाली, अराजकता, लूट, भ्रष्‍टाचार, टांग-खिंचाई और किसी प्रतिभा की हत्‍या की साजिशें किसी भी शख्‍स के हृदय-मन-मस्तिष्‍क को विचलित कर सकती हैं। समाज में आपके आसपास होने वाली कोई भी सुखद या  घटना भी मेरी बिटिया डॉट कॉम की सुर्खिया बन सकती है। चाहे वह स्‍त्री सशक्तीकरण से जुड़ी हो, या फिर बच्‍चों अथवा वृद्धों से केंद्रित हो। हर शख्‍स बोलना चाहता है। लेकिन अधिकांश लोगों को पता तक नहीं होता है कि उसे अपनी प्रतिक्रिया कैसी, कहां और कितनी करनी चाहिए।

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