: इसी कुशीनगर में पहले तब महात्मा बुद्ध को मोक्ष मिला था, अब संवेदनाओं का कत्ल होता है : जियो अखिलेश यादव, मान लिया कि तुम और तुम्हारा प्रशासन वाकई बहुत बहादुर है : आओ, तुम्हारी बलायें उतार लूं युवा और 1090 वाले मुख्यमंत्री जी : जिस काम के लिए तैनाती है, वह करता ही नहीं एसपी, डीएम फोन नहीं उठाता : मीटिंग के नाम पर खुद लिया भरते हैं खर्राटे, फोन थमा दिया सिपाही को : डीएम का फोन उठाने के बजाय सीधे सरकारी टोन आती रही कि:- चुआ चोंप, चुआ चोंप :
कुमार सौवीर
लखनऊ : महात्मा गौतम बुद्ध ने इसी कुशीनगर में अपनी सांस लेकर महापरिनिर्वाण कर लिया था। उनके जीवन का एकमेव मकसद था:- मानव और प्राणी का कल्याण। पूरी जिन्दगी बुद्ध ने इसी लक्ष्य को समर्पित कर दिया। लेकिन आज बुद्ध के 2600 साल बाद बुद्ध की लाश अब पुलिस और प्रशासन के लोग धनिक-पैसे वाले लोगों का खजाना खाली करने के लिए आम आदमी का जीना हराम किये हुए हैं। अखिलेश यादव भले ही चाहे कितना भी हल्ला-दंगा करते रहें, लेकिन सरकार के डीएम और एसपी जैसे बड़े नौकर लोग अखिलेश सरकार के मकसदों का तार-तार बिखरने पर आमादा हैं। आम आदमी का जीना हराम कर दिया है इस सीमान्त जिले के अफसरों ने।
कुशीनगर में अब लगातार यही सवाल उठना शुरू हो गया है कि :- अखिलेश यादव, कुशीनगर के थाने में आखिर क्यों दो दिन से पुलिस ने एक निरीह और बलात्कार बिटिया को क्यों थाने में बन्द कर रखा है। उसका दोष क्या है कि वह युवती है। क्या उसका यह दोष है कि उसके साथ जिले के एक बड़े व्यवसायी के घरवालों ने सामूहिक बलात्कार किया है। क्या उसका यह दोष है कि वह बहुत गरीब परिवार की बच्ची है। क्या यह दोष है उस बिटिया का, कि वह औरत है। क्या औरत होना और बलात्कार का पीडि़त होना किसी कानून या समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार में जघन्य अपराध बन चुका है। क्या तुम्हारी यह सरकार केवल अधिकार-सम्पन्न लोगों की ही सुरक्षा करेगी। आम आदमी का जीना हराम हो जाएगा अखिलेश सरकार में।
जी हां। यह हालत है कुशीनगर की। यहां के करीब सात लाख की आबादी वाले विशाल कस्बे पडरौना के एक होटल सिद्धार्थ-इन में शुक्रवार की रात एक युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार किया गया। फिलहाल जो खबरें छन कर आ रही हैं, कि इस बलात्कार में उसके पति की संलिप्तता भी शामिल हैं। लेकिन उसका पति फिलहाल लापता है। वह भागा है या उसे भगाया गया है, यह अब तक सोचने तक की जरूरत पुलिस ने नहीं उठायी है। लेकिन होटल के मालिक के घरवालों की साजिश का भी आरोप लगाया जा रहा है। इस होटल में अपने पति के साथ जलपान करने गयी थी, उसी होटल में उसके साथ यह कृत्य हुआ। इस 20 साल की बच्ची को अब होश तक नहीं है कि उसके साथ क्या-क्या हुआ। सिवाय इसके कि जब वह जागी तो वह पूरी तरह निर्वस्त्र थी और उसके शरीर पर नोंच-खसोट के बेहिसाब जख्म थे।
शनिवार की सुबह जब इस पर हंगामा हुआ तो पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन उसके साथ हुए बलात्कार जैसे किसी आशंका को खारिज ही कर दिया। उसे जांचने के लिए उसका मेडिकल तक नहीं कराया पुलिस ने। खबर तो यह तक आयी है कि यह बच्ची पहले महिला थाने पर ही गयी थी, लेकिन वहां उसकी किसी ने सुनी ही नहीं। ऐसे में वह सीधे कोतवाली पहुंची, वहां भी कुछ नहीं हुआ। फिर उसे नागरिक जुटे और उसे अस्पताल तक पहुंचा, तब पुलिस सक्रिय हुई।
उसके बाद से ही अब तक दो दिन से ज्यादा बीत चुका है, लेकिन उसे थाने में ही रखा गया है। जबकि उस बच्ची की मां थाने में घंटों बिलखती रही, लेकिन पुलिस ने उस बच्ची को उसकी मां की सिपुर्दगी में नहीं दिया। वह बच्ची अभी तक बिना किसी गुनाह के थाने में बिठायी गयी है। पुलिस ने उसकी मां से कहा है कि अगर वह थाने से बाहर निकलेगी तो उसका पति उसे जान से मार डालेगा। हैरत की बात है कि इस महिला थाने की प्रभारी एक महिला ही है। जन-चर्चाओं के अनुसार पुलिस इस मामले में डील करने में आमादा है।
अभी मैंने कुशीनगर के पुलिस कप्तान से मोबाइल पर बातचीत की कोशिश की। यह रात का करीब 11 बजे का वक्त था। कुछ घंटी के बाद जब फोन उठा तो मैंने पूछा कि पडरौना के सिद्धार्थ-इन होटल में हुए आदसे में पीडि़त बच्ची को पुलिस ने आखिर किस अपराध में तीन दिनों से थाने पर रोके रखा है। लेकिन यह फोन उठाने वाले ने खुद को एसपी के बजाय, एसपी का अर्दली बताया और बताया कि:- साहब अभी बहुत जरूरी मीटिंग हैं। उनसे इस समय बात नहीं हो सकती है।
मैंने पूछा कि फिर कब हो सकती है उनसे बातचीत, तो उसने बताया कि:- जब साहब खाली हों तो फिर फोन कीजिएगा।
मेरी समझ में ही नहीं आया कि साहब कब खाली हो पायेंगे। इसके बाद मैंने कुशीनगर के जिलाधिकारी को फोन किया, लेकिन वह फोन नहीं उठा। कई बार बार तक। हां, लगातार वही सरकारी टोन आती रही कि:- चुआ चोंप, चुआ चोंप