राज्यसभा से इस्तीफा: नासमझी, या कुशल राजनीतिज्ञ होने का प्रमाण

सैड सांग

: इस्‍तीफा तीन पन्ने का नहीं, सिर्फ दो लाइन का होता है : मायावती का ये क़दम भी भावावेश में उठाया गया क़दम तो नहीं लगता : विकल्‍प यह बचा कि वे सन-19 लोकसभा चुनाव लड़ें :

उस्मान सिद्दीक़ी

नई दिल्‍ली : उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को भेजे गए तीन पन्ने के इस्तीफे में उन्होंने सहारनपुर कांड और देश के अन्य हिस्सों में दलितों पर हो रहे अत्याचार पर उन्हें बोलने ना देने की बात कही है. माया ने लिखा है कि उन्हें इस गम्भीर मुद्दे पर बोलने के लिए सिर्फ तीन मिनट का समय दिया गया. क्या इतने कम समय में इस मुद्दे पर बोला जा सकता है? इस पर सत्ता पक्ष के सदस्य लगातार शोर भी मचाते रहे. सभापति से आग्रह करने के बाद भी उन्हें तो शोर मचाने से नहीं रोका गया लेकिन मुझे बैठने के लिए कह दिया गया. माया ने लिखा है कि मैंने उपसभापति को बोला कि जब सदन में बोल ही नहीं सकते तो मैं सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगी लेकिन उसके बावजूद उनकी बात नहीं सुनी गई. शाम होते-होते उन्होंने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को अपना इस्तीफा भेज दिया.

क्यों दिया मायावती ने इस्तीफा?

ये इस्तीफा कई बिंदुओं पर मंथन करने को विवश करता है. परिणाम जो भी निकले लेकिन राजनीति में हर कदम फूंक-फूंककर उठाया जाता है. मायावती का ये क़दम भी भावावेश में उठाया गया क़दम तो नहीं लगता. मायावती लंबे वक़्त से राजनीति में हैं इसलिए वो अच्छी तरह से जानतीं हैं कि वो किस मुद्दे पर बोलने जा रहीं हैं और सत्ता पक्ष की ओर से इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी और इसके बाद उन्हें क्या फैसला लेना है.

दरअसल 8 महीने बाद स्वत: ही खत़्म हो रही है माया की राज्यसभा

उत्तर प्रदेश के 2012 विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव के हाथों करारी हार के बाद उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था. उस वक़्त वो उत्तर प्रदेश विधानपरिषद की सदस्य थीं. उन्होंने विधानपरिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिया और उसी दौरान रिक्त हुई राज्यसभा की सीट के लिये पर्चा भरकर संसद चली गईं. उस वक़्त उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीएसपी के 80 सदस्य थे और 33 वोटों के हिसाब से वो आसानी से राज्यसभा के लिए चुन ली गईं. अब ये कार्यकाल अप्रैल 2018 में समाप्त हो रहा है.

हाल ही में हुये उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 में मात्र 19 सीटों पर ही बसपा सदस्य जीत हासिल कर सके. ये संख्या इतनी कम है कि बीएसपी न तो किसी को विधानपरिषद और न ही किसी को राज्यसभा सदस्य बना सकती है इसलिये अब माया के सामने 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ना ही एकमात्र विकल्प है. उनका राज्यसभा का कार्यकाल ख़त्म होने में महज़ 8 महीने का वक़्त बचा है इसलिए इस्तीफा देने पर माया को कोई ख़ासा नुकसान नहीं है.

राज्यसभा से इस्तीफा देकर अब क्या करेंगी मायावती?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य वर्तमान में क्रमशः गोरखपुर और इलाहाबाद जिले के फूलपुर से सांसद हैं. उपरोक्त पद पर बने रहने के लिए सांसद की सीट से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव जीतना होगा. लोकसभा की ख़ाली हुई सीट के लिए भी उप-चुनाव होगा. आम लोगों के बीच चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ की ख़ाली हुई सीट पर तो भाजपा फिर से परचम लहराएगी लेकिन फूलपुर सीट से मायावती मैदान में उतर सकती हैं और उन्हें विपक्ष के सभी दलों का समर्थन भी मिल सकता है.

उप-चुनाव में भाजपा, बसपा और गठबंधन की प्रतिष्ठा होगी दांव पर

बीएसपी सुप्रीमो मायावती के फूलपुर उपचुनाव लड़ने की स्थिति में भाजपा को इस सीट को बचाने के लिए काफी मशक़्क़त करनी पड़ सकती है. मायावती के राजनीतिक करियर के लिए भी ये ख़ास चुनाव होगा. यदि वो इस उप-चुनाव में विजयी हुईं तो 2019 का लोकसभा का आम चुनाव भाजपा की कड़ी परीक्षा लेगा. यदि हार गईं तो कैरियर 22 साल पीछे चला जायेगा. यानी उप चुनाव में भाजपा, बसपा और यदि गठबंधन बना तो तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी.

इस्तीफा स्वीकार होगा या नहीं?

मायावती ने तीन पन्ने का इस्तीफा दिया है. नियम के मुताबिक़ त्यागपत्र सिर्फ दो लाइन का होता है. इसमें सफाई और कारण का विवरण नहीं होता. ऐसे में क्या इस्तीफा स्वीकार होगा? या सिर्फ शिगूफा है? क्या इस इस्तीफे के स्टंट से दलितों तक ये संदेश पहुंचाना है कि उनकी आवाज़ को सदन में दबाया जा रहा है और अगले लोकसभा चुनाव में वो बसपा के ज़्यादा से ज़्यादा सदस्यों को चुनाव जिताएं जिससे कोई उनको न तो नुकसान पहुंचा सके और न ही उनकी आवाज़ को दबा सके. ख़ैर ये तो चर्चा और आकलन का विषय है लेकिन इसका कारण या तो सिर्फ मायावती जानतीं हैं या फिर वक़्त अपने आप बता देगा.

(लेखक उस्मान सिद्दीक़ी उत्तर प्रदेश के युवा एवं जुझारू पत्रकार हैं. कई अखब़ारों, पत्र-पत्रिकाओं और समाचार चैनलों में काम कर चुके उस्मान वर्तमान में नोएडा की फिल्मसिटी स्थित एक नेशनल न्यूज़ चैनल में कार्यरत हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *