ये हैं बलरामपुर “रिचार्ज कूपन” पत्रकार

सैड सांग

: रिचार्ज-कूपन वाले पत्रकार जी तो केवल लातों के भूत हैं, बातों से कैसे मानेंगे : केवल लन्‍तरानियां और झूठ-बकवादी अंदाज के चलते लोग उनके झांसे में आ जाते हैं : माना कि आप वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेकिन यह तो बताइये कि किस समाचार-संस्‍थान से हैं आप :

मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता

बलरामपुर : अब यह बात कोई कहे या न कहे, कोई उनकी सुने या न सुनाये, लेकिन इन साहब को ऐसी लत पड़ चुकी है खुद को वरिष्‍ठ पत्रकार के तौर पर पेश करने की। अंदाज है किसी लतिहड़ नशेड़ी की तरह। अक्‍सर वे किसी ने किसी के दरवाजे पर फर्शी सलाम देते मिल जाते हैं। चूंकि लन्‍तरानियां और झूठ-बकवादी अंदाज के चलते लोग उनके झांसे में आ जाते हैं, इसलिए उन्‍हें जल्‍दी ही कहीं न कहीं खुद को फिट करने में कोई बड़ी दिक्‍कत नहीं होती है। पहले विश्‍वास जमाना और फिर उससे रकम झटक लेना उनके बायें हाथ का काम है। लेकिन उनकी करतूतें तो ऐसी हैं कि बहुत जल्‍दी ही उनका एक्‍सपोजर हो जाता है। ऐसे में वे फिर किसी दूसरे के दरवाजे पर हांका लगाते दिख जाते हैं।

लेकिन जी हां, रिचार्ज कूपन। सच बात तो यही है कि बलरामपुर में इनका नाम ही यही पड़ गया है। पूरे जिले में अपने इस नये नाम से कुख्‍यात हो चुके हैं। कहने को तो यह साहब खुद को बड़े और वरिष्‍ठतम पत्रकार के तौर पर पेश किया करते हैं। लेकिन आज तक यह किसी को भी नहीं पता चल पाया कि वे कभी किसी अखबार या किसी अन्‍य समाचार संस्‍थान में रहे भी हैं या नहीं। हां, सोशल साइट्स और खास कर वाट्सऐप में ग्रुप में अपनी उल्‍टी-पुल्‍टी और मूर्खतापूर्ण हरकतों का प्रदर्शन करते रहते हैं।

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जिले में कुख्‍यात हो चुके इस पत्रकार के बारे में खुलासा हो चुका है कि यह महोदय अगर फेसबुक वाट्सएप पर फटफटा रहे हैं, तो साफ समझो कि इन्हें तत्‍काल खुराक की जरूरत है। एकदम मोबाइल फोन के प्रीपेड कूपन की तरह। इन जनाब की सबसे बड़ी खासियत हैं कि ऐसी हालत में वे खुद अपना ही पिछवाड़ा पीटने दिख जाएंगे। मसलन यह कि मैं ही सबसे बड़ा पत्रकार हूँ, मेरी कलम मेरे निजी पेन की स्याही से चलती हैं, मैंने अगर मैंने हग मारा तो जिसकी दुर्गंध बर्दाश्त करने की क्षमता किसी की नहीं है। डीएम-एसपी को अगर डांट दूं, तो लोग मूत मारें।

आखिर होगा भी कैसे स्याही ही ऐसी है। इन्हें किसी भी नवजवान नेता की बढ़ती ताकत देखकर उनमें छटपटाहट होने लगती हैं। अगर उस नेता ने इनकी दावात में अपना सहयोग डाल दिया तो ठीक है, रिचार्ज करा दिया तो ठीक, वरना वे बदबू फैलाना शुरू कर देते हैं। अब छोटा श जिला और नन्‍हा सा शहर है बलरामपुर। कौन बवालियों से झंझट पाले। लेकिन इसी चक्कर में कई नौसिखिए नेताओं ने इनकी दावात तक को फाड़ भी डाला है।

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रिचार्ज कूपन चढ़वाने-भरवाने का अभ्यास वे नियमित रूप से करते रहते हैं। लेकिन जब इनको लगने लगता है कि दूसरा उनको रिचार्ज करने में आनाकाना कर रहा है, या अपनी जेबें सिकोड़ने लगा है, तो ते दूसरों के दरवज्‍जे पर अरदास लगाना शुरू कर देते हैं। लेकिन इसी बीच पहले वाले आसामी को गंधाय देने का अभियान भी छेड़ देते हैं। हालत यह है कि केवल नेता लोग ही नहीं, बल्कि अधिकारियों तक से भी वे अपना रिचार्ज कूपन चढ़वा लेते हैं। उन्‍हें समझने की इच्‍छा हो तो सीधे बलरामपुर चीनी मिल परिसर में पहुंचिये। वहां के एक ठेकेदार टाइप नेता से आपको उनकी असलियत का अहसास हो जाएगा।

एक नये नवजात नेता ने नेतागिरी शुरू की तो इस रिचार्ज कूपन ने दूसरों के कहने पर उनका माफिया आदि बनाना शुरू कर दिया। अचानक चौरतफा हमले से भौंचक्‍के जब उसने इसको रिचार्ज का बड़ा कूपन थमाया तो यह उसके साथ होकर उसका भजन कीर्तन करने लगा। लेकिन इसी फिराक में उस रिचार्ज-कूपन अपने एक पुराने आका से दुश्मनी पाल बैठे। नतीजा यह हुआ कि गैसड़ी ब्लाक प्रमुख के चुनाव में फिर ऐसा-ऐसा हो गया, कि फिर मत पूछो। नौशहरा कांड, सदरिया विधायक और एक माननीय नागधारी बाबा भी उन्‍हें ठीक से फुंफकार चुके हैं।

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