15 बरस से दिल्ली में बसा हुआ था मनोज
दिल्ली पुलिस के मुताबिक गांधीनगर इलाक़े में बलात्कार की शिकार हुई पांच साल की बच्ची 40 घंटे तक कमरे में बंद रही और संदिग्ध मनोज कुमार शायद उसे मरा समझकर भाग गया था। मामले में संदिग्ध मनोज को शुक्रवार देर रात बिहार में हिरासत में ले लिया गया था। आज देर शाम दिल्लीस पुलिस की टोली मुजफ्फरपुर से ट्रांजिट वारंट लेकर पटना लायी और फिर हवाई जहाज से सीधे दिल्लीर पहुंच गयी। इस मामले में दिल्ली पुलिस के कई अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है।
पूर्वी दिल्ली के डीसीपी प्रभाकर ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “वो करीब 40 घंटे कमरे में बंद थी. एमएलसी की रिपोर्ट और मनोज से हुई प्रारंभिक पूछताछ से लगता है कि शायद उसने बच्ची को मरा समझकर छोड़ दिया था.” उन्होंने बताया कि बच्ची 15 अप्रैल की शाम को लापता हुई थी और मनोज उसी दिन शाम सात बजे घटनास्थल से चला गया था. वो स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस से छपरा होते हुए पहले अपने गांव पहुंचा और फिर ससुराल.
“वो करीब 40 घंटे कमरे में बंद थी. आरोपी से जो प्रारंभिक पूछताछ हुई है उससे लगता है कि वो उसे मरा समझकर छोड़ दिया था” प्रभाकर, डीसीपी, दिल्ली पुलिस। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मनोज को मुजफ्फरपुर जिले में उसके ससुराल चिकनौता से गिरफ्तार किया गया. ट्रांजिट रिमांड लेने के बाद अब उसे दिल्ली लाया जा रहा है.
कौन है मनोज: डीसीपी ने कहा मनोज की उम्र 22 साल है और वो पिछले 15 साल से दिल्ली में रह रहा है. उसके पिता ओल्ड सीलमपुर इलाक़े में जूस की रेहड़ी लगाते हैं और वो गारमेंट फैक्ट्रीज में दिहाड़ी मज़दूर हैं.
डीसीपी ने बताया कि मनोज मूल रूप से मुजफ्फरपुर जिले के भरतुआ गांव का रहने वाला है. वो 15 अप्रैल को वो स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस से छपरा के रास्ते अपने गांव पहुंचा और फिर अपने ससुराल पहुंचा.
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ हुई है और इस बारे में वो अभी ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं. ये पूछने पर कि क्या इस अपराध में मनोज के साथ कोई और भी शामिल था, डीसीपी ने कहा कि मनोज और पीड़िता के बयान के बाद भी इस बारे में स्पष्ट हो जाएगा. साभार: बीबीसी
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