: बॉडकॉस्टर्स गिल्ड के एनके सिंह की आशंका है कि अगर प्रसून पर एक्शन किया जाए, तो बात को बदल भी सकते हैं पुण्यप्रसून बाजपेई ने : गिल्ड के साथ अब तक कोई भी सम्पर्क नहीं किया है पुण्यप्रसून ने : मतलब तो यही है कि अपनी लड़ाई खुद ही लड़ेंगे पुण्यप्रसून, यानी मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पुण्यप्रसून बाजपेई हरफन मौला पत्रकार हैं। तेज-तीखी खबरों भी करते हैं, और अपनी इतिहास के सबसे बड़े दलालों के पक्ष में बुनी खबरों को भी खेलते हैं। चाहे सौ करोड़ रूपयों की दलाली वाली खबरें हों, या फिर ऐसी फर्जी खबरों को गढ़ने वालों का प्रश्रय देना जिनकी करतूतों से एक महिला शिक्षिका को दिल्ली में पूरी नंगी कर कर पीटा गया था। हाथ मसलने की अपनी अदा से आजिज हो चुके पुण्यप्रसून बाजपेई इस बार पहली बार इतने लम्बे दिनों खाली हैं, और इस बीच सोशल साइट्स पर हल्की-फुल्की पोस्ट ही डाल रहे हैं। ताजा पोस्ट तो संसद में बैठे सांसदों की दो कौड़ी की औकात पर पेश किया जाना महत्वपूर्ण आदि प्रमुख है।
हमेशा विवादों में ही रहे है पुण्य प्रसून। उनका शगल है कि जब वे कहीं संकट में फंसते हैं, तो फिर उस विवाद को सीधे सत्ता के षडयंत्रों से भी जोड़ने की साजिश करते हैं। भारी हंगामा-बवाल कराने की कोशिश करते हैं, हालांकि चूंकि अधिकांश पत्रकार उनकी हरकतों से परिचित हैं, इसलिए अब वे ऐसी किसी घटना को पत्रकरिता या पत्रकार पर पड़े हमले के तौर पर नहीं देख रहे हैं आज भी हंगामा चल रहा ।
बाजपेई के मामले में सबसे पहले कमर वहीद नकवी ने हमला किया था। यह कहते हुए इस आग में पेट्रोल फेंक दिया है कि ब्रॉडकॉस्टर्स गिल्ड एडीटर्स गिल्ड की चुप्पी खतरनाक है। इस बयान से मीडिया में खलबली बच गयी। हमें भी साफ लगा कि बड़े मालिकों का दबाव ब्रॉडकॉस्टर्स गिल्ड का गला दबोच रहा होगा। वैसे एक बात जरूर है कि कमर वहीद नकवी की चिंता बिलकुल जायज भी है। पुण्यप्रसून बाजपेई ने भले ही कितने भी पुण्य-अपुण्य बटोरे हों, लेकिन सच बात तो यही है कि हिंसा या अराजक पर आमादा सरकार की साजिशें किसी भी अराजक या भ्रष्ट पत्रकार की करतूतों से लाखों गुना खतरनाक साबित होती हैं। इसीलिए मैं पुण्यप्रसून बाजपेई के साथ खड़ा हूं।
इस विवाद को समझने के लिए दोलत्ती डॉट कॉम ने ब्राडकॉस्टर्स गिल्ड के अध्यक्ष रहे एनके सिंह से बातचीत की तो पता चला कि पुण्य प्रसून बाजपेई ने अब तक गिल्ड से कोई सम्पर्क ही नहीं किया। जबकि गिल्ड गम्भीर हैं, लेकिन बाजपेई अपने मामले को पहले गिल्ड तक तो पहुंचायें। एनके सिंह की सबसे बड़ी चिंता तो यह थी गिल्ड आज इस पर तत्काल हस्तक्षेप करे, और बाद में बाजपेई बाद में खारिज कर दें कि एबीपी चैनल को छोड़ने का फैसला उनका निजी था, तो ऐसी हालत में गिल्ड क्या करेगा।
बहरहाल, आइये हम आपको बताते हैं कि दोलत्ती डॉट कॉम से बातचीत में एनके सिंह ने क्या-क्या नहीं कहा। इस वीडियो को देखने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
अभिव्यक्ति पर आशंका के खतरे सिर पर मंडराते
जबरदस्त!!