साइना का मतलब…प्रवाह और निरंतरता
अनंत मिश्र
लखनऊ : 1983 में अमीघिया बैडमिंटन की राष्ट्रीय चैंपियन बनी थीं। तबसे मैं बैडमिंटन निरंतर देख रहा हूं। इसके बाद सत्ता संभाली मधुमिता बिष्ट ने। वह सात बार राष्ट्रीय चैंपियन बनीं। इसके बाद मंजुषा, पीवीवी लक्ष्मी भी चैंपियन बनी। पर अपर्णा पोपट ने बैडमिंटन का नया इतिहास लिखा। अपर्णा ने मीना शाह और मधुमिता बिष्ट को पीछे छोड़ते हुए लगातार नौ बार राष्ट्रीय चैंपियन बनने का नया कीर्तिमान बनाया।
इसके बाद युग आया साइना नेहवाल का। भले ही साइना नेहवाल सबसे ज्यादा बार राष्ट्रीय चैंपियन बनने का कीर्तिमान अपने नाम नहीं कर पाईं लेकिन उन्होंने बैडमिंटन की नई परिभाषा गढ़ी। बैडमिंटन के नए-नए आयाम गढ़े। विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची। आल इंग्लैण्ड के फाइनल में खेलने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। लंदन ओलंपिक में पदक जीतकर नया इतिहास रचा।
बीच में कुछ दिन व अनफिट रहीं। उनके प्रदर्शन में गिरावट आई। लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि…साइना के दिन चले गए…। पर उन्होंने ऐसा कहने वालों को एक बार फिर … वाह..साइना…वाह… कहने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने इस साल की शुरुआत में कोर्ट पर शानदार वापसी की। विश्व चैंपियनशिप, सुपर सीरीज और एशियाई खेल में शानदार प्रदर्शन किया।
बैडमिंटन खिलाड़ी बहुत हुए पर साइना जैसी निरंतरता और प्रवाह किसी में नहीं दिखा। मेरी बात पर यकीन हो तो राजधानी में 21 नवम्बर से उनका जलवा बाबू बैडमिंटन अकादमी में सैयद मोदी बैडमिंटन में देख सकते हैं।
( अनंत मिश्र की फेसबुक वाल से)