: नाम है आनंद सिन्हा, पद है ब्यूरोचीफ, काम है भाजपा पर दिन-रात तेल-मालिश : देख लो यह क्या अण्ड-बण्ड खबर छाप दी है हिन्दुस्तान के ग्रुप एडीटर शशि शेखर के चेले ने : ट्विटर पर अपनी हर खबर को योगी, सूचना प्रमुख सचिव, बीजेपी, सूचना विभाग वगैरह को भी टैग करने का सबब :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पत्रकारों को समाज में वॉच-डॉग नाम देना केवल इसीलिए दिया गया था कि वे समाज की हर हरकत पर सतर्क निगाह रखें। पत्रकारिता में शामिल होने वाले लोगों से अपेक्षा किया जाता है कि वे अपनी निगाह लगातार तेज रखें और जहां भी कोई स्पंदन उन्हें दिखायी पड़े, उस पर कड़ी निगाह रखें, उस पर लिखें लेकिन उसका क्या कहा जाए जो वॉच-डॉग के बजाय असली भांड़ होने का तमगा अपनी छाती पर टांगे घूम रहा हो।
पत्रकारिता-जगत में वॉच-डॉग कहे गये इस शख्स का नाम है आनंद सिन्हा। हिन्दुस्तान टाइम्स के सहयोगी प्रकाशन हिन्दुस्तान अखबार के समूह संपादक शशि शेखर के लखनऊ में ब्यूरो चीफ हैं यह सज्जन। लखनऊ संस्करण के स्थानीय संपादक हैं सुनील द्विवेदी। लेकिन इस खबर को देखिये तो पत्रकारिता और पराड़कर जी की आत्मा भी शर्म से रसातल में घुस जाए। पढ़ने वाले बता रहे हैं कि इसमें खबर नहीं लिखी गयह है, बल्कि अपने मालिक का तलुआ चाट लिया गया है। हैरत की बात है कि यह ऐसी हरकत पर स्थानीय संपादक सुनील द्विवेदी ने खबर को प्रकाशित करने से पहले उस पर हस्तक्षेप क्यों नहीं किया। और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उसका साफ जाहिर है कि सुनील द्विवेदी की इसमें पूरी संलिप्तता थी।
प्रमाण है ट्विटर, जिसमें आनंद सिन्हा भाजपा की लिखी गयी अपनी हर खबर को योगी, सूचना प्रमुख सचिव, बीजेपी, सूचना विभाग वगैरह को भी टैग कर अपनी दूकान चमकाते रहते हैं। अब यह दीगर बात है कि आनंद सिन्हा की ऐसी किसी भी टैगियाना हरकता पर कोई धेला भर भाव नहीं देता। आप देख लें इस खबर को, जिसे ट्विटर पर आनंद सिन्हा ने लगाया, लेकिन टैग लगाने के छह घंटे बाद भी किसी ज्ञानी अथवा किसी मूर्ख ने उस पर एक लाइक तक नहीं किया।
आप इस खबर को देख लीजिए। यह हिमाचल प्रदेश की है। मसला है वहां के चुनाव की गतिविधियों का, लेकिन इस खबर को लखनऊ से ठेल दिया गया है। यह कोई संघी, भाजपाई, आईटी-सेल या कोई अंधभक्त ने हिमाचल प्रदेश पर अपनी कलम वाट्सऐप पर ठेल दी हो, तो समझ में आता है, लेकिन बिड़ला द्वारा संस्थापित हिन्दुस्तान और उनकी पौत्री शोभना भरतिया के इस अखबार में यह सब लिखा-छापा जाएगा, यह कल्पना से परे है। खबर पूरी निष्पक्षता के साथ लिखी जाए, यह अपेक्षा की जाती है किसी अखबार और उसके रिपोर्टर की। लेकिन लखनऊ में डेढ़ हजार किलोमीटर दूर हो रही किसी घटनाक्रम पर केवल कल्पनाओं पर पहले पन्ने पर यह 64 पेजी ग्रंथ पाठकों के कपार पर फोड़ देने का लाभ संघ, भाजपा, अंधभक्त, आईटी-सेल और वाट्सऐप से जुड़े लोगों पर तो लाभ पहुंचा सकता है, लेकिन भारतीय जनमानस पर इस अखबार की यह करतूत किसी घिनौनी हरकत से कम नहीं है।
आप गौर कीजिए कि यह पूरा खर्रा केवल कांग्रेस विरोध में लिखा गया है। हिमाचल चुनाव पर जो खबर लिखी गयी, वह है निहायत अराजक और शर्मनाक। और तो और, पाठकों की समझ में ही नहीं आ रहा है कि इसमें हिमाचल में रिपीट का क्या अर्थ निकाला जाए। 37 बरस पहले योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में कौन सा रिपीट करने जैसा काम कर डाला था।