सृजन की शक्ति

मेरा कोना

सृजन की शक्ति- बेटी
हां मैं सृजन की शक्ति हूं 
मेरी मां भी सृजन की शक्ति है!

सृष्टि के निर्माण में मां का बहुत बडा योगदान है
मैनें दुनिया को पूर्ण किया है,
मैं क्षमाशील हूं, सबको क्षमा करती हूं,
चाहे वो भाई हो, पिता हो, पति हो, पुत्र हो

पर….

अपनी किसी बहन का दुख मैं ना हर पाई 
क्योंकि विदा हो कर मैं बन गयी पराई!!

हां! मैं कोमल हूं इसलिये टूट जाती हूं
हां! मैं शुद्ध हूं इसलिये धूल में भी गन्दी हो जाती हूं!

मैने त्याग किया अपने बचपन के घर का,
मैने त्याग किया अपने शाम-ओ-सहर का!

पर अपने पिता के आंसू मैं ना पौंछ पायी
क्योंकि विदा हो कर मैं बन गयी पराई!!

हां! मैं अक्स हूं अपने परिवार की मर्यादा का
हां! मैं मुश्किल में सबकी साथी हूं!!

फिर भी जीवन साथी की शरण में हूं,
सीता बन के श्री राम के चरण में हूं!!

मैं त्याग करती हूं फिर भी त्याग दी जाती हूं,
देती रहती हूं मैं अपने सच की दुहाई!!

पिता ने विदा कर के मुझे कर दिया पराई……..

मैं पराई नहीं हूं, मैं पराई नहीं हूं…
फिर भी कहलाती हूं पराई ……….

पिता मेरे, मुझसे अपना दुख छिपाते हैं
ससुराल में कई बार झूठी इज्जत भी दिखाते हैं!

मेरी कमी को मह्सूस करके, कितनी ही बार आंखे बहाई
क्योंकि विदा हो कर मैं बन गयी पराई!!

आप कहते हो मैं शक्ति हूं, तपस्या का फल हूं मैं
मैनें दुनिया को पूर्ण किया है, किस्मत का अक़्स हूं मैं

फिर क्यूं नहीं आपकी बहन बेटियां आपके घर में रहती
और आप भी बन जाते घर जमाई!
विदा हो कर मैं ही क्यूं बन गयी पराई!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *