संविदा कर्मियों पर सरकारी हिकारत देखनी हो, तो इस डीएम से सुनिये

बिटिया खबर
: एक जुल्फी जिलाधिकारी ने एक संविदा कर्मचारी को कार्य में स्थाई कर्मचारियों द्वारा सहयोग न मिलने की शिकायत पर कहा था कि “संविदा वालों की इतनी औकात ” : संविदा कर्मचारी नहीं बँधुआ मजदूर मिले हैं सरकार को :

दोलत्‍ती रिपोर्टर 

जौनपुर : जनपद जौनपुर के जिलाधिकारी की सोच तानाशाही है या सरकार की ये तो कहना मुश्किल है मगर टीकाकरण से संबंधित एक मीटिंग में जिलाधिकारी ने कहा संविदा कर्मचारियों के लिए कैसी छुट्टी उनके लिए कोई सीएल भी नहीं होती।सरकार से शाबाशी लेने के चक्कर में ये नौकरशाह दीवाली की छुट्टियों में भी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को स्कूलों का ताला तोड़ कर वहां से टीकाकरण से संबंधित फॉर्म भरवाने के लिए आदेश दे रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग में सबसे अधिक संख्या वाले संविदा कर्मचारियों के पास, यह भी कह सकते हैं कि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ संविदा कर्मचारियों के पास न बोनस हैं न भत्ता और काम तो जो चाहे अपना बोझा दे दे, उफ भी नहीं करेंगे। बेरोजगारी से अच्छा है बँधुआ मजदूरी जब सरकार ऐसे पद बनाकर नौकरी पर रख सकती है तो नौकरशाह एक चाबुक भी न चला सकें तो ये उनकी तौहीन होगी। कुछ वर्षों पहले भी इसी जनपद में “जुल्फी” जिलाधिकारी ने एक संविदा कर्मचारी को कार्य में स्थाई कर्मचारियों द्वारा सहयोग न मिलने की शिकायत पर कहा था कि “संविदा वालों की इतनी औकात ” और उस बेचारे को बेरोजगार बना दिया।
जब इतनी ही तकलीफ है संविदा कर्मचारियों से तो यह पद ही खत्म क्यों नहीं कर देते जनाब क्यों इनके सहारे अपनी नैया पार लगा रहे हैं।

( मीटिंग में डीएम की इस अभद्रता से आहत एक कर्मचारी ने यह चिट्ठी दोलत्‍ती को भेजी है। )

1 thought on “संविदा कर्मियों पर सरकारी हिकारत देखनी हो, तो इस डीएम से सुनिये

  1. उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में नेशनल हेल्थ मिशन के संविदा कर्मियों के यही हालत हैं । ये न राज्य कर्मचारियों में आते हैं न ही केंद्र सरकार इन्हें अपना कर्मचारी मानती है ।पुराने नियमों का हवाला देकर इन्हें फुटबॉल बना दिया गया है।एनएचएम कर्मचारीयों के रूप में सरकार को ऐसे मानव संसाधन मिल जाते हैं जिनसे सम्पूर्ण कार्य तो स्थाई कर्मचारियों की तरह लिए जाते हैं मगर पगार उनकी आधी भी नहीं, कुछ कर्मचारियों की पगार तो एक दिहाड़ी मजदूर से भी कम है। एनएचएम कर्मियों की एनएचएम पदों के सापेक्ष मानदेय में असमानता तो है ही साथ ही मानदेय वृद्धि में भी असमानता है । आज एनएचएम योजना राजनीति का शिकार हो गयी और करोङो के बजट को कागजों में पूरा करने की कोशिश सभी कार्यालय स्तर पर हो रही है और जन मानस और एनएचएम संविदा कर्मचारियों के हाथ क्या आया बाबा जी का ठुल्लू……..

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