पत्रकारिता की चुल्ल है इन लौंडों में

बिटिया खबर

: महानगरों में तो होता है दलाली का धंधा, पत्रकारिता देखनी है? शाहगंज कस्बा में पधारिये : गंगा-जमुनी पत्रकारिता है रविशंकर-एखलाक की दोस्ती : सवा तीन करोड़ विजिटर्स हैं तहलका 24×7 में :

एखलाक खान

शाहगंज : “हज़ारों ग़म सहे लेकिन न आया आंख में आंसू
हम अहल ए ज़र्फ हैं, पीते हैं छलकाया नहीं करते।”
ये शेर एक कहानी है दो “मासूम” युवाओं की, जो जौनपुर के शाहगंज तहसील क्षेत्र में अपनी दोस्ती और भाईचारा के नाम पर गंगा-जमुनी संस्कृति का उदाहरण बने हुए हैं। इसी कड़ी में लंबे समय तक पत्रकारीय जीवन के धूप की तपिश को झेलने के बाद कुंदन बने लड़कों ने वरिष्ठ बलिष्ठ टाइप के सारे पत्रकारों को पीछे धकेलते हुए शाहगंज तहसील में पत्रकारिता की नई इबारत लिखने की ओर अग्रसर इन लौंडों का है नाम रविशंकर वर्मा और एखलाक खान।
रविशंकर ने अमर उजाला जौनपुर कार्यालय से तत्कालीन ब्यूरो कैलाश सिंह की छत्रछाया में पत्रकारिता की शुरूआत की। रविशंकर के व्यवहार ने कम समय में ही राजकुमार सिंह, रमेश सोनी, अखिलेश सिंह, हिम्मत बहादुर सिंह, खुर्शीद अनवर, रवि श्रीवास्तव राजन का चहेता बना दिया। लेकिन रविशंकर को निजी मसलों के कारण शाहगंज की तरफ कूच करना पड़ा और शाहगंज के पत्रकारों की टीम का हिस्सा बना। वहीं सामान्य घर के एखलाक खान ने वर्ष 1999 में पत्रकारिता की चकाचौंध में दैनिक मान्यवर से शुरुआत की। सभी का एक खेमा था। जिस खेमे में काम तो सभी लोग मिलकर करते रहे लेकिन ईनाम सेना के सरदार के खाते तक सीमित रहा। यहीं से शुरू हुआ रविशंकर और एख़लाक की जुगलबंदी का अध्याय
वर्ष 2014 में सरदार की नीतियों को धता बताकर एखलाक ने अपना रास्ता अलग किया तो सरदार सेना का टाईप बाबू बना रविशंकर जिसने दो साल तक पूरे मनोयोग से सरदार की बाबूगिरी की। लेकिन रविशंकर की चाहत कुछ कर गुजरने की थी और इसी चाहत ने अपना पोर्टल लांच करने की ठानी। 2017 में अम्बेडकर नगर के मालीपुर निवासी रविशंकर का मौसेरा भाई रवि धौरवी मिला जिसने रविशंकर की मदद कर 23 अप्रैल 2017 को Tahalka24x7 न्यूज़ पोर्टल की बुनियाद रखी। Tahalka24x7 को अभी एक ही साल हुए थे कि Tahalka24x7 एक जगमगाता सितारा बन बैठा। इधर एख़लाक ने चांडाल चौकड़ी से किनारा कर लिया था। सेना के सरदार की मौजूदगी में रविशंकर और एख़लाक कभी भी एक दूसरे के मुखातिब नहीं हुआ लेकिन चांडाल चौकड़ी के सरदार की गैर मौजूदगी में दोनों लौंडे हमेशा एक-दूसरे का कुशलक्षेम जरुर पूछते। Tahalka24x7 के वजूद में आने पर रविशंकर ने बाकायदा एक आफिस खोला। जिसका फायदा सेना के सरदार ने बखूबी उठाया। 30 सितम्बर 2018 को एक खबर के चलते रविशंकर भी चांडाल के पंडाल को लात मारकर अलग हो गया और अपनी नई आफिस का उद्घाटन 19 जनवरी 2019 को किया। Tahalka24x7 को पंख देने का काम सोशल मीडिया के भीष्मपितामह कहे जाने वाले एसएम मासूम के बखूबी किया जिसके बारे में रविशंकर ने सार्वजनिक रूप से की बार कहा है। जिसका परिणाम आज यह है कि Tahalka24x7 को तीन करोड़ पांच लाख से अधिक विजिटर्स वाला पोर्टल बना दिया।
बहरहाल, रविशंकर के जीवन में नवम्बर 2019 मनहूस खबर लेकर आया। रविशंकर कैंसर जैसे भयावह रोग की गिरफ्त में आ चुका था लेकिन लौंडे ने एख़लाक से बराबर कहा कि मैं शाहगंज का युवराज सिंह बनकर दिखाऊंगा। जैसे क्रिकेटर युवराज सिंह ने कैंसर को हराया है मैं भी हराऊंगा। रविशंकर नवोदय विद्यालय मड़ियाहूं का छात्र रहा है और उसके कई मित्र लखनऊ के केजीएमयू में डाक्टर हैं। सभी ने राय थी कि कैंसर स्पेशलिस्ट मुम्बई के डॉ सुल्तान प्रधान से ही आपरेशन कराना है। 13 दिसंबर को रविशंकर आपरेशन थियेटर जाने को तैयार था।
इधर शाहगंज में एख़लाक रविशंकर के परिवार की देखभाल में लगा रहा। तभी किसी पुरोहित ने रविशंकर के जीवनदान के लिए “महामृत्युंजय जाप” कराने की सलाह दी। एख़लाक ने पशु चिकित्सक डॉ आलोक पालीवाल, अध्यापक राजेश चौबे और गुलाम साबिर के साथ मिलकर “महामृत्युंजय जाप” सम्पन्न कराया जो चर्चा का विषय बना। लोगों के जुबां पर था कि यारी हो तो एख़लाक रविशंकर जैसे लौंडों की हो। आज रविशंकर कैंसर से जीत चुका है और लगभग ढाई साल से उसकी कैंसर की दवा बंद हो चुकी है। कैंसर से उबरने के बाद रविशंकर ने अपना जुझारूपन जारी रखा और अपना अखबार लाने की चुल्ल को एख़लाक से साझा किया तब एख़लाक ने हौसला अफजाई कर कहा कि चलो मिलकर एक और इतिहास रचा जाए। रविशंकर और एख़लाक अखबार की बुनियाद रखने में जुट गये जिसमें तेजस टुडे के सम्पादक रामजी जायसवाल ने बखूबी साथ दिया।
इसी दरमियान अमर उजाला की सेवा में लगे एखलाक खान ने अपने ब्यूरो चीफ अंकुर शुक्ला की बेईमानी, लूट, खसोट को लेकर दो दो हाथ करने का संकल्प लिया। अमर उजाला के जिलेभर के प्रतिनिधियों के सम्मान की लड़ाई में अमर उजाला को तिलांजलि देकर सम्पादक और अखबार के मालिक राजुल महेश्वरी तक अपनी बात को दमदारी से रखते हुए अंकुर शुक्ला की लुटेरी नीति का खात्मा करने में सफल हुआ।
रविशंकर वर्मा और एखलाक खान की जोड़ी ने अखबार की नौकरी से हटकर अखबार का मालिक बनने के विचार मन में पैदा किया। खूब मेहनत भी किया। पुरानी टीम के बूते नए लोगों को साथ लिया। अखबार के संचालन के सपने को साकार करने में जौनपुर जिले के सम्पादक मंडल अध्यक्ष रामजी जायसवाल ने भरपूर सहयोग किया और दोनों लड़कों की मेहनत का फल रहा कि मंगलवार को तहलका संवाद नामक अखबार का प्रथम अंक आ रहा है।
खास बात तो ये है कि वर्तमान पत्रकारिता में जहाँ दलाल, बेईमान, मक्कार और बदमाशों का वर्चस्व है वहीं ये दोनों लड़के अखबारी जीवन में भी और उसके पहले भी बेदाग छवि के मालिक रहे। मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाले रविशंकर वर्मा और एखलाक खान अपने बलबूते क्षेत्रीय पत्रकार से सम्पादक की यात्रा कर रहे हैं। साप्ताहिक तहलका संवाद अखबार को कुमार सौवीर के अलावा फैजान अंसारी, जेया अनवर, एस. एम. मासूम, आनंद देव यादव, विश्व प्रकाश श्रीवास्तव “दीपक”, खुर्शीद अनवर खान, अजीम सिद्दीकी, शीलेश बरनवाल, मो. आसिफ़, शाकिब खान जैसे लोगों ने ऊँचाई तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।

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