: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ढहाने की साजिश में उप सूचना निदेशक : लोकतांत्रिक चुनाव हुआ, एक गुट तो विरोध करेगा ही : जांघिया उतार कर प्रेस क्लब की छवि बिगाड़ने का युद्ध :
ओमप्रकाश सिंह और कुमार सौवीर
अयोध्या : नाम है मुरलीधर सिंह। पद है उप्र सूचना विभाग में अयोध्या मंडल का डिप्टी डायरेक्टर। कार्य-दायित्व है सरकारी काम छोड़ कर बाकी सब कुल-कर्म के साथ निठल्ला-चिंतन और ठेलुहों के साथ रंगबाजी। निशाना है पत्रकारिता और अभिव्यक्ति के सारे प्रतिमानों को धूल-धूसरित कर देना। ध्येय और लक्ष्य है राम-नगरी अयोध्या में पत्रकारिता का राम-नाम-सत्त कर रावण की तरह अट्ठहास करना।
जी हां । अयोध्या में तो यही चल रहा है। दुनिया भले ही यही मानती-जानती रहे कि पत्रकारिता ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होता है, लेकिन रामनगरी में इस स्तंभ को ही ढहाने में खुद उप्र सूचना विभाग का एक अधिकारी साजिश रच रहा है। ताज़ा खबर यह है कि अयोध्या के डिप्टी डायरेक्टर मुरलीधर सिंह ने बकायदा विभागीय पत्र लिखकर मंडल और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्रकारों के कार्यक्रम में जाने से करतूत को अंजाम दे डाला है।
तमाम स्वरुपों के साथ मीडिया अपने उजले और स्याह पक्ष के साथ सक्रिय रहती है। समाज के दुखदर्द को सत्ता तक पहुंचाने व समाजविरोधी ताकतों को बेनकाब करने में पत्रकारों को प्राण तक गंवानी पड़ती है। अपने दुखदर्द को साझा करने, पत्रकारिता के संदर्भ में विचार विमर्श के लिए कलमकारों ने भी जनपद से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संगठनों का गठन किया है। प्रेस क्लब बनाए गए हैं।
अयोध्या (फैजाबाद) में भी पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में एक प्रेस क्लब का निर्माण हुआ था। प्रेस क्लब के निर्माण में शासकीय सहायता भी प्राप्त हुई थी। हालांकि इस पर विरोधी पक्ष ने कुछ आपत्तियां कर रखी थीं, लेकिन सोसायटीज एक्ट से बने इस प्रेस क्लब को चयनित कार्यकारिणी ने उसे ख़ारिज कर दिया।कामधाम चल ही रहा था, कि सूचना विभाग से यहां आए उपनिदेशक मुरलीधर सिंह ने चंद लोगों की मदद कर प्रेस क्लब को नेस्तनाबूत करने की साजिश रचनी शुरू कर दी। उप सूचना निदेशक ने शासन को पत्र लिखकर प्रेस क्लब पर प्रशासक बैठाने की बात कही है। मालूम हो कि प्रेस क्लब सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है जिस पर सरकारी नियंत्रण नहीं हो सकता है। प्रेस क्लब पर सरकारी नियंत्रण बनने में इस बाधा को दूर करने के लिए उप सूचना निदेशक फूट डालो राज करो की नीति पर काम कर रहा है।
उप सूचना निदेशक ने अपनी साजिशों को अमली जामा पहनाने के लिए एक अपराधिक किस्म के पत्रकार को मोहरा बना लिया, जिसके माध्यम से प्रेस क्लब के बारे में तथ्यहीन शिकायतें भी कर दी गयी। अयोध्या जनपद के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की जांच रिपोर्ट में उक्त शिकायतकर्ता पत्रकार का देह व्यापार में भी लिप्त होने की बात जगजाहिर है। लेकिन बेलगाम उप सूचना निदेशक की मंशा इसी से समझी जा सकती है कि मुरलीधर ने कमिश्नर को भी प्रेस क्लब न जाने के लिए पत्र लिख तक डाला है।
चौदह सिंतबर 2022 को मंडलायुक्त का प्रेस से मिलिए कार्यक्रम था। तेरह तारीख को उप सूचना निदेशक ने आयुक्त के नाम विभागीय पत्र लिखकर उन्हें कार्यक्रम में जाने से रोकने का प्रयास किया था। हालांकि इसी दिन अचानक से पड़ोसी जनपद में मुख्यमंत्री का अचानक कार्यक्रम आयोजित हो जाने से मंडलायुक्त नहीं आ सके थे। खबर है कि मुरलीधर सिंह इसी को अपनी जीत के तौर पर सिंह-नाद कर तांडव मचा रहे हैं।
उप सूचना निदेशक ने पत्र में लिखा है कि प्रेस क्लब पर पत्रकारों के एक समूह का कब्जा है। सवाल तो यह है कि जब किसी पर कोई निर्वाचित कार्यकारिणी मौजूद है तो उसे एक समूह के तौर पर कैसे घोषित किया जा सकता है? लेकिन मुरलीधर ने एक व्यक्ति के बयान को ही आईं सत्य मान कर प्रेस क्लब की अस्मिता और प्रतिष्ठा पर लात मार डाली है।