आंदोलन में बाहरी घुसे लोगों ने तोड़फोड़ की, बसें फूंकी, यह बकवास

बिटिया खबर

अरे आंदोलन छेड़ा, तो उसे नियंत्रित व संभालने का माद्दा भी रखिये

कुमार सौवीर
लखनउ : आपके आंदोलन का लाभ आपके खाते में, जबकि अगर नुकसान हो तो उसकी तोहमत दूसरे पर थोपी जाए ?
जी नहीं जनाब ! आपकी बात गले से नीचे नहीं उतर रही है। जामिया में आपने आंदोलन छेड़ा तो आपकी जिम्मेदारी थी कि वहां जो कुछ भी हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी आप खुद लें। भले वह स्याह हो, अथवा सफेद। आंदोलन में बाहरी घुसे लोगों ने तोड़फोड़ की, बसें फूंकी, यह बकवास है।
अरे आंदोलन छेड़ा, तो उसे नियंत्रित व संभालने का माद्दा भी रखिये। कड़ी नजर रखना आपकी भी जिम्मेदारी है। यह कहना कि आप मासूम हैं, नहीं चलेगा।
जरा गांधी जी के आंदोलन को देखिए, जब भारत छोड़ो के नारे के साथ असहयोग आंदोलन छेड़ दिया था महात्मा गांधी ने। चौरीचौरा में उग्रवादियों ने थाना फूंका, जिसमें दर्जनभर पुलिसवाले मारे गए थे। बापू ने जिम्मेदारी पर ली और अपने आंदोलन को बिना शर्त वापस लिया। इसे बापू के राजनीतिक खात्मे की आखिरी कील माना गया, पर वे अडिग रहे।
नतीजा यह है कि गांधी जी आज भी केवल भारत ही नहीं, बल्कि अनेक देशों में जनमानस के प्रेरणा-स्रोत हैं, आदर और त्याग व सम्मान की प्रतिमूर्ति हैं।
झूठ से बचिये, और सच बोलिए।
बशर्ते आप को विश्वास हो चुका हो कि आप सच की डगर पर ही हैं।

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