: कुछ लाशें “अवसर” की तरह होती हैं और कुछ लाशें “अवसर” बनाने के लिए : “राजनैतिक चिता” पर है सुशांत की लाश : बिहार में भी खेल, महाराष्ट्र में हलचल :
पवन सिंह
लखनऊ : स्मरण हो, मैंने लिखा था कि राजनीति में कुछ लाशें “अवसर” की तरह होती हैं और कुछ लाशें “अवसर” बनाने के लिए गिरवाई जाती हैं। मृत मानव देह का राजनीति हित साधना में साध्य हो जाना भी कम अद्भुत नहीं होता। बिहार में चुनाव हैं और सुशांत सिंह की लाश कैरम की गोट बन चुकी है। महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे की नकेल का एक सिरा केंद्र सरकार पकड़ चुकी है और दूसरा सिरा बिहार सरकार. पुत्र और पिता या पिता व पुत्र के संबंधों पर जब “अवसर नामक एक्सीलेटर” पर सत्ता का हाथी पांव दबेगा तभी महाराष्ट्र की सरकार का जूस निकलेगा. सुशांत की मौत को सरकार ने जूसर बना दिया है जिसमें से देर सबेर आदित्य ठाकरे व रिया चक्रवर्ती जैसी दो “मुसब्बियां” दबाई जाएंगी. इसमें से एक “मुसम्बी” आज ई0डी0 के चक्के के पास बुलाई गई है…
सूत्र यह बताते हैं कि जल्दी ही दूसरी “मुसम्बी” यानी आदित्य ठाकरे भी ई०डी० के चक्के के पास खड़े होने के लिए बुलाए जाएंगे. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे साहेब के भीतर का धृतराष्ट्र जाग्रत होगा और फिर महाराष्ट्र सरकार का जूस निकलेगा. मतलब चक्की के दो पत्थर छेनी से छिदाए जा चुके हैं इनमें से एक पत्थर सीबीआई के रूप में है और दूसरा ईडी के रूप में।
आइए आपको थोड़ा सा हरियाणा टहला कर लाते हैं और आप को बताते हैं कि राजनीति में चाल-चरित्र और चिंतन व राजनीति में नैतिकता व शुचिता जैसे शब्द कैसे “शौंचक्रिया” करते हैं. भारतीय राजनीति दरअसल एक गटर की तरह है. शौचालय की तरह . जहां केवल व केवल सड़ांध के सिवा कुछ नहीं है। यहां तो जनता की आस्था और भावनाओं तक का सौदा कर दिया जाता है फिर भी जनता बेखबर होकर तालियां बजाती रहती है…खैर! आपको स्मरण होगा जननायक जनता पार्टी JJP के प्रमुख दुष्यंत चौटाला का नाम। यह शख्स पूरे हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी को पानी पी पी कर गालियां देता रहा। फिर वह समय भी आया जब मतगणना हुई और दुष्यंत चौटाला नामक यह शख्स जिस भाजपा और जिस नरेंद्र मोदी को अपशब्द तक कहता रहा उसी के साथ अपनी दस सीटों के साथ जा मिला। आप यह सोच रहे होंगे कि इससे सुशांत की मौत से क्या रिलेशन है? यह रिश्ता कैसे आगे जाकर सुशांत की लाश के अवसर से जुड़ेगा, यह अभी आगे स्पष्ट हो जाएगा.
दुष्यंत चौटाला के पिता श्री अजय चौटाला लंबे समय तक जेल में बंद थे और हरियाणा की भाजपा सरकार ने जेल में अजय चौटाला की “छुछ्छी” ढीली कर रखी थी. चुनाव बाद हरियाणा में पुनः भाजपा को सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की जरूरत थी। देखिए यहां पर पुत्र दुष्यंत चौटाला का पित्र मोह कैसे जाग्रत हो गया. जिस मोदी व भाजपा को ये बंदा चुनाव में गरियाता था उसी से जुड़ गया और जुड़ते ही चमत्कार हो गया।
कृपा बस इसी रास्ते में “निर्मल” हो गई. दुष्यंत चौटाला भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री हो गया और बाप खटाक से 14 दिन की पेरोल पर जेल से रिहा हो गया। बाप अजय चौटाला अपने बेटे दुष्यंत चौटाला के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। दुष्यंत चौटाला ने मनोहर लाल खट्टर सरकार सरकार में डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली।
जेल से रिहा होने पर अजय चौटाला ने कहा, ‘बेटा तो बाप के नाम से जाना जाएगा. उसकी मेहनत है, अकेले साथियों की मदद से 11 महीने पहले पार्टी खड़ी कर बड़े बड़े लोगों को बता दिया किया तुम क्या हो?’ कांग्रेस के साथ जाने के सवाल पर अजय चौटाला ने कहा, ‘कांग्रेस के साथ में नहीं जा सकते हैं जिसके विरोध में पैदा हुए हैं उसके साथ कैसे जा सकते हैं. लेकिन बेटा जिस भाजपा को गरियाता रहा उससे लिपट कर बाप को छुड़ा लाया. अब आपको सुशांत की लाश, बिहार का चुनाव, सीबीआई व ईडी की सक्रियता और आदित्य ठाकरे की रिया चक्रवर्ती से नज़दीकियां “बाप” को आंच महसूस कराएंगी. फिर “बाप” के भीतर का “धृतराष्ट्र” जाग्रत होगा और फिर महाराष्ट्र सरकार की वाट लगेगी. बस! खेल देखिए . एक लाश कैसे “अवसरों” के दरवाजे खोलती है।
वैसे इस बीच बहुत सी लाशें गिरी हैं लेकिन वो किसी काम की नहीं रहीं उनको गिरवाया गया था क्योंकि उनका जिंदा रहना ख़तरनाक था और कुछ लाशें थोक में गिरवाई जाती हैं जिससे राष्ट्रवाद उबाल मार दे.
( लखनऊ के लिक्खाड़ पत्रकार है पवन सिंह। सवाल उम्र की नहीं, तेवर जवां ही हैं।)