: देवरिया में पुलिस का नया आतंक, फिलहाल सब तो खमोश ही हैं : पुलिसिया वर्दी की ताकत और मर्दानगी के दम में गर्भवती को बीच-सड़क पीटा : पहले सिपाही, फिर यादव और अब कनौजिया। राहुल तो शातिर ठग निकला : सिपाही को पता है कि कैसे ठेंगे पर रखा जाता है कानून, अदालत और जज के साथ किसी औरत को : नितिका के गोरखपुर मकान पर हाथ-पैर तोड़ देने की धमकी दी योगी-पुलिस ने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यहां प्रवृत्तियों और मुद्दों का मसला है। एक ओर तो है नितिका यानी नितिका पांडेय। संस्कृति में एमए पास है नितिका, लेकिन हर विषय में प्रकाण्ड भी नहीं है। यह दीगर है कि कुछ ऐसे मसले में वह मूर्ख नहीं है, लेकिन भावुक बहुत है। कुछ में तो पूरी तरह लुट गयी। खास कर प्रेम में। उस प्रेम में जिसे वह किसी धर्म, आध्यात्म और जीवन के सर्वोच्च पायदान को समझती थी। लेकिन अचानक ही जिसके बल पर वह सपने बुनती रही थी, उसने ही उसके पंखों को काट कर उसे फेंक दिया। इसके बावजूद उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ ऐसा क्यों हो गया। उसे यह यह सब एक कटु-स्वप्न की तरह दिख रहा था, लेकिन दूसरी ओर उसकी सारा आस्था और विश्वास एक के बाद एक होती हुई टूटती रही, वह लगातार लुटती रही।
हालत यह हुई कि उसके घर से निकाल बाहर कर दिया गया। जब उसने दरिंदगी का विरोध करना शुरू किया, तो उसके पेट पर लातें मारी गयीं। नतीजा यह हुआ कि गर्भवती नीतिका दर्द से बिलख कर जमीन पर तड़पने लगी, उसका गर्भ गिर गया। अस्पताल में जांच में पाया किया गया पेट में भारी प्रहार होने से यह दर्दनाक हादसा हुआ है। हताशा, गुस्सा और आक्रोश में भरी नितिका ने पुलिस में इस हादसे का मुकदमा दर्ज करने की अर्जी लगायी। यह भनक लगते ही उसका प्रेमी सकपका गया। उसने अपने परिचितों को भेज कर मामला निपटाने की कोशिश की। वे लोग नितिका के पास गये, बहलाया। कहा कि पुलिस-कचेहरी के चक्कर में तो वह अंतत: बर्बाद हो जाएगी। किसी के जेल जाने से उसे क्या लाभ होगा, इससे बेहतर होगा कि वह विवाद खत्मकर ले और मामला यहीं पर खत्म कर दे। विश्वास दिलाने के लिए नितिका को एक लाख का चेक और दो लाख तीस हजार रुपया नकद दिया गया।
भावुकता में वह मूर्खता के पाले में गिर पड़ी। उसे लगा कि उसके संकट अब खत्म होने वाले हैं, और उसके बाद वह अपनी जिन्दगी फिर नये तरीके से शुरू करेगी। लेकिन इस के बाद फिर से प्रेमी ने पलटवार करना शुरू कर दिया। उसने नितिका को फिर बेइज्जत किया। नीतिका फिर पुलिस के पास गयी। यह देख कर राहुल के हाथ-पांव ठंडे होने लगे। समझौतों को नया दौर शुरू होगा। पक्का वायदा किया गया कि नितिका अदालत में बयान बदल दे, तो उसके फौरन उसकी परस्पर शादी करा दी जाएगी। नितिका ने बात मान ली। जज के सामने बयान दिया कि वह अब इस मामले पर कोई कार्रवाई करना नहीं चाहती है और उसी व्यक्ति के साथ ही शादी कर लेगी। अदालत में मामला रफा-दफा हो गया, तो नितिका ने चेक उसे वापस कर दिया। इसी बीच उसके प्रेमी ने अपनी एक सख्त जरूरत बता कर उसे दी गयी सवा दो लाख रुपयों की रकम वापस मांग ली। जिन्दगी को सुनहले ढर्रे पर आती जिन्दगी का अहसास होता देख नितिका ने वह रकम वापस कर दी।
लेकिन भावुकता से सराबोर भीगती नीतिका यहां एक बार फिर मूर्ख साबित हुई।
उसे तनिक भी अहसास नहीं था कि उसका प्रेमी पुलिस का एक सिपाही है। लेकिन सिर्फ नाम और वर्दी भर का ही जवान है। दरअसल, वह तो वहशी निकला था। उसकी असलियत का अहसास हो गया कि उसमें पुलिस की वर्दी का घमंड वाली ताकत है और उसी पागलपन में उसमें जवान नहीं, बल्कि एक क्रूर हत्यारे और धोखेबाज जैसी मर्दानगी का दम है। ऐसे धोखाबाज मर्दानगी, जो किसी भी महिला को सरेआम पीट सकती है। उसकी पुलिस की सिपाही-गिरी का मतलब जन-सुरक्षा, व्यवस्था का जिम्मा और कानून को लागू कराने के लिए पोलिसिंग करना नहीं, बल्कि वर्दी के बल पर हर मनमर्जी कर डालना और इसके लिए अपनी मर्दानगी का प्रदर्शन करना ही रह गया है। उसने एक बार फिर अपनी शैतानी ताकत दिखाना शुरू किया। वह चाहता था कि नितिका उसकी जिन्दगी में दखल न करे, और अलग हो जाए। नितिका ने फिर विरोध किया, तो उसे कई बार सड़क पर सरेआम पीटा गया, और एक बार तो पुलिस अधीक्षक के दफ्तर में भी उसे पीटा।
नीतिका पाण्डेय गोरखपुर की रहने वाली है। उसी गोरखपुर की, जहां के योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम हैं। वहीं, जहां गोरखनाथ का मठ है। वहीं के लोगों की सुरक्षा का दम भरती है योगी की पुलिस। नितिका के पिता एक छोटा सा काम करते हैं। मेडिकल कालेज में एक मरीज की देखभाल के दौरान उसकी मुलाकात संतकबीर नगर के रहने वाले राहुल यादव से हुई। राहुल यादव ने उसे बताया कि वह यहीं पर ड्यूटी पर आया हुआ है। यह परिचय कुछ ही दिनों में प्रेम में तब्दील हो गया, तो राहुल ने बताया कि उसका तबादला देवरिया हो गया है। गोरखपुर से देवरिया की दूरी सिर्फ 40 किलोमीटर ही तो है, नितिका अब जब-तब देवरिया जाने लगी। इसी में चार बरस हो गये। इसी बीच नितिका ने कई बार राहुल यादव से जिद की, कि वह परस्पर शादी कर लें। लेकिन राहुल उसे लगातार टालता ही रहा। नितिका ने एक दिन जब इस पर जिद पकड़ ली, तो यह झगड़ा सारे बंधन को तोड़ कर वहशियाना हो गया। इससे बदतर और क्या हो सकता है कि राहुल अपने साथी पुलिसवालों के साथ नितिका के गोरखपुर वाले मकान और पिता के दफ्तर तक पर पहुंचे। घरवालों और परिचितों को भी धमकाया और हाथ-पैर तोड़ कर मौत की घाट तक उतार देने की धमकी तक दी।
बाकी चींजें तो आप जान ही चुके हैं। मूलत: भावुक है नीतिका। इसी भावुकता में वह मूर्ख भी बन गयी। लेकिन जिन्दगी में चार बरसों ने उसे बुरी तरह तोड़ा-झकझोरा है। वह बार-बार राहुल पर समर्पित होती रही, जबकि राहुल लगातार उसको बेवकूफ बनाता रहा, झूठ बोलता ही रहा। इतना तक झूठ बोला कि वह यादव नहीं, बल्कि कन्नौजिया है। यह भी कि वह उसकी मौत नहीं, बल्कि उसकी जिन्दगी बन कर रहेगी। जिस अपने पिता और अपने परिवार के हाथों में वह बचपन से अब तक पली है, उसको मौत के कगार तक पहुंचाने और उसको मार डालने पर आमादा है राहुल। जो हाथ और पैर नितिका ने उसे अपना भगवान माना था, उसी पैर और हाथ ने नितिका के पेट में पल रहे बच्चे की जान ले ली।
ऐसे में बचा ही क्या, पूछती है नितिका। उसका फैसला है कि अब जिन्दगी भर लड़ेगी।
चाहे कुछ हो, नितिका ने तय कर लिया है कि उसे अपनी जिन्दगी की तनिक भी चिंता नहीं। लेकिन अब वह राहुल को चैन से रहने नहीं देगी। इसलिए कि उसे राहुल को सजा देनी है। नहीं, हरगिज नहीं। राहुल से प्रेम करना तो उसकी भूल थी, भावुकता थी और मूर्खता थी। लेकिन वह कुछ ऐसा जरूर करेगी कि सारी युवतियां ऐसे राहुलों से बचें और उसे सबक दिखायें।
इस मसले पर बातचीत करने के लिए दोलत्ती ने देवरिया के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को फोन किया, लेकिन दोनों के ही फोन पर उनके सहायकों से बात हुई, जिन्होंने वायदा किया कि वे अपने-अपने साहबों से बात करायेंगे। लेकिन अब तक न डीएम का फोन आया, और न ही एसपी का।