देखो न, कैसे-कैसे डीएफओ भर्ती हैं वन विभाग में

बिटिया खबर

: मछलीनगर में हाईटेंशन तार से चिपक कर हाथी की मौत : पता है कि इलाहाबाद के एक व्‍यक्ति का हाथी था, लेकिन फिर भी बयान तो देखिये : पूरा पूर्वांचल भांग छाने मस्‍त है, जौनपुर नम्‍बर एक :

कुमार सौवीर
जौनपुर : एक हाथी था। एक पेड़ से बंधा हुआ था। रात को उसने अपनी जंजीर तोड़ डाली। सूंड़ उठाये और चिंघाड़ते हुए भाग निकला। रास्‍ते में एक हाईटेंशन लाइन से उसकी सूंड़ छू गयी। नतीजा यह कि वह हाथी चिपक कर मर गया। अब उसकी लाश का पोस्‍टमार्टम कराने के लिए और फिर उसकी कब्र खोदने की आशंका में अपनी संभावित सहभागिता से भयभीत लोग अपनी-अपनी बगलें झांक रहे हैं। सवाल तो यह है कि हाथी की कब्र कौन खोदेगा।
यह तो किस्‍सा है हाथी का, जो अब इस दुनिया में नहीं है।
लेकिन अब अगला किस्‍सा सुनिये जो आज भी इस दुनिया को अपनी मूर्खताओं से जिन्‍दा हैं, सूंड़ उठाये, चिंघाड़ते हुए, दौड़ते हुए। बेहताशा रफ्तार में। रास्‍ते में जो भी दिख रहा है, उसे आंय-बांय बोल रहे हैं, चिल्‍ल-पों कर रहे हैं। ऐसे लोगों की तादात पूर्वांचल में खूब है, लेकिन जौनपुर में तो हर चप्‍पे-चप्‍पे में हैं। रग-रग में है और नस-नस में हैं। इनमें पत्रकार से लेकर अफसर तक शामिल हैं। नागरिक तो आशंकित हैं कि कहीं उस हाथी को पोस्‍टमार्टम के लिए उलटने-पलटने की बेगारी वाला भारी-भरकम काम उनके माथे पर न थोप दिया जाए।
तो पहले दोलत्‍ती संवाददता की खबर देख लीजिए। यहां के मीरगंज थाना अंतर्गत भटहर गांव स्थित साई मंदिर के पास एक हाथी की हाई टेंशन तार की चपेट में आने से मौत हो गई। उसे एक पेड़ से बांधा गया था। बुधवार को जंजीर तोड़ तार के पास पहुंच गया। ख़बर फैली तो मौके पर लोग जुट गए।
इस खबर पर पत्रकार जब डीएफओ एपी पाठक से मिलने गये, तो पाठक जी ठने-बने बैठे मिले। बोले कि उनको खबर मिल गयी है कि बरना निवासी सभाशंकर पांडेय का एक पालतू हाथी मंगलवार की शाम महावत बैजूनाथ के साथ गांव में पहुचा था। गांव के बाहर थोड़ी दूर स्थित साईं मन्दिर के पास एक पेड़ से हाथी बांध कर वहीं पर महावत सो गया। इसी दौरान रात में हाथी जंजीर तोड़ कर पास से गुजरे विद्युत तार के पास पहुंच गया। चपेट में आने से उसकी तड़प तड़प कर घटना स्थल पर ही मौत हो गयी। सुबह खबर फैली तो ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। किसी ने वन विभाग को फोन किया तो टीम पहुंची।
इसके बाद भी सुनिये कि डीएफओ एपी पाठक बताते हैं कि जांच चल रही है कि पता किया जा रहा है कि यह हाथी प्राइवेट था या नहीं। उनका कहना है कि अगर यह हाथी प्राइवेट था तो उस पर अलग तरह की कार्रवाई होगी। लेकिन न तो पाठक ने बताया, और न ही पत्रकारों ने बताया कि जौनपुर में अगर प्राइवेट हाथी नहीं होगा, तो क्‍या जंगली हाथी जौनपुर में आयेगा। आप को बता दें कि जौनपुर से करीब तीन सौ किलोमीटर कतर्नियाघाट और सात सौ किलोमीटर दूर ही जिम कार्बेट पार्क है, जहां जंगली हाथी होते हैं। और ऐसी हालत में वहां से जंगली हाथी जौनपुर तक पहुंच गया, इसका न सवाल है और न ही जवाब है पाठक जी के पास। वैसे पाठक जी, यह तो बताते जाओ कि अगर यह हाथी जंगली मिला, तो फिर क्‍या पूरे जंगल और उसके जंगली जानवरों पर मुकदमा दर्ज करा दोगे।
दोलत्‍ती का सुझाव है कि वैसे लखीमपुर में तैनात रही मेकअप-गर्ल आईएएस अफसर से अगर पूछ लिया जाए, कि यह हाथी कहां से आया तो शायद काफी पता चल सकता है। यह मेकअप-गर्ल दुधवा जंगल में बोन-फॉयर करने जैसा बवाल, लड़ाई और झंझट करने के लिए कुख्‍यात है, जाहिर है कि उसे इस बारे में खूब बारीक जानकारियां जरूर होंगी। लेकिन इन जानकारियों का इस्‍तेमाल एपी पाठक क्‍या करेंगे, यह असल सवाल होगा।
दिलचस्‍प बात यह है कि पत्रकारों के दिमाग में ईंटा-पत्‍थर भरा पड़ा है। पुल्लिंग हाथी को वे स्‍त्रीलिंग हाथी बताते हैं। सवाल तो उठाते ही नहीं।

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