सास और पति 17 साल बाद हत्या के मामले से बरी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

 

हाईकोर्ट ने निबटाया दहेज हत्या का मामला

: निचली अदालत सुना चुकी है मां-बेटी को सजा : हाईकोर्ट ने कहा कि पेश किये गये साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं : केवल सुनी-कही बातों पर ही नहीं दिया जा सकता है फैसला :

नई दिल्ली : तो अब सास और पति को राहत मिल ही गयी। घर की लक्ष्मी को दहेज प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में घटना के 17 साल बाद अदालत ने आरोपी पति और सास को बरी कर दिया है। हाई कोर्ट ने फैसला किया कि चूंकि इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं किए और जिन सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया गया था, वे सही नहीं हैं। आपको बताते चलें कि इसके पहले इस मामले में ही निचली अदालत ने दोनों आरोपियों को 6-6 साल कैद की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला परिस्थितिजन्य सबूत और कही-सुनी बातों पर आधारित है। इस तरह आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। आरोपियों के खिलाफ सबूत पुख्ता नहीं हैं और परिस्थितिजन्य सबूतों की कड़ियां नहीं जुड़ती हैं। इस मामले में यह साबित नहीं हुआ कि दहेज की मांग की गई या दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। पुलिस ने आरोपियों के पड़ोसियों का बयान नहीं लिया जिससे उनके संबंधों के बारे में पता चल सके।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गवाहों के बयान स्पष्ट नहीं हैं। पुलिस ने मृतका के भाई की शिकायत पर केस दर्ज किया और मृतका की बड़ी बहन को गवाह बनाया। बाद में पुलिस यह बताने में असफल रही कि उन्होंने इस मामले में मृतका के पिता, अन्य भाइयों, बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों को गवाह क्यों नहीं बनाया? मृतका ने आत्महत्या से पहले दहेज प्रताड़ना से संबंधित कोई शिकायत पुलिस को नहीं दी थी। मामला शिकायतकर्ता के बयान पर बेस्ड है।

पेश मामले के मुताबिक, शादी के बाद महिला मयूर विहार स्थित ससुराल में रह रही थी। इसी दौरान 28 जनवरी, 1996 को उसने मिट्टी तेल डालकर आग लगा ली। अगले दिन 29 जनवरी को उसकी मौत हो गई। महिला की मौत के बाद महिला के भाई ने कल्याणपुरी थाने में शिकायत की और उसके बयान के आधार पर पुलिस ने मृतका के पति और सास के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज किया। शिकायती ने कहा कि उसकी बहन को स्कूटर और वीसीआर के लिए प्रताड़ित किया गया। निचली अदालत ने 2000 में महिला के पति और सास को 6-6 साल कैद की सजा सुनाई जिसे दोनों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *