: आंख से जाले साफ कीजिए, फिर सारे संदेह आपके पश्चाताप के आंसुओं में बह जाएंगे : भाखड़ा नंगल बांध और सोनभद्र जैसे नीरस-शुष्क क्षेत्र में रिहंद जैसे विशालतम बांध बनवा दिया, जिसके दम पर रेणकूट जैसा विशाल ओद्योगिक नगर विकसित हो गया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पूरी दुनिया में भारतीय कूटनीति का परचम फैलाया, और देश में अपनी पहचान एक घरेलू आत्मीय स्नेह-धारा बहा डाली। हर देशवासी के चाचा बन गये।
सुदूर सीमान्त अरूणाचल में पहले तिब्बती या चीनी ही प्रचलित थी, लेकिन नेहरू ने नेफा में केंद्रीय विद्यालयों की वह श्रंखला बना दी, कि आज वहां की हिन्दी की मृदुता देश के किसी भी राज्य से ज्यादा है। अपनी बेटी को समझाने के लिए नेहरू ने जेल में रह कर भी दो खण्ड में विश्व इतिहास की झलक नामक पुस्तकें लिख डालीं।
चाहे पंत विश्वविद्यालय रहा हो या पूसा संस्थान, कृषि सुधार के लिए अप्रतिम योगदान था नेहरू का, वरना इतिहास के पन्ने पलट लीजिए। दुर्भिक्षु का ब्योरा तो गूगल भी बता देगा। मैंने तो सिर्फ इतना ही देखा है कि आरआर-21 और के-67 नामक गेहूं की प्रजाति आने के पहले तो हम केवल पीएल-84 नामक अमरीकियों की भीख से मिलने वाले आस्ट्रेलिया से आने वाले लाल गेहूं से बनी रोटी को देखते ही उबकाई लेना शुरू कर देते थे। आप नेहरू को गालियां देना चाहते हैं, तो खूब दीजिए, लेकिन आप इस सचाई से मुंह नहीं मोड़ सकते कि जवाहर लाल नेहरू की सोच अगर नहीं होती, तो आज हम स्वादिष्ट मुलायम रोटियों की कल्पना तक नहीं कर सकते। कृषि-विकास के लिए भाखड़ा नंगल बांध और सोनभद्र जैसे नीरस-शुष्क क्षेत्र में रिहंद जैसे विशालतम बांध बनवा दिया, जिसके दम पर रेणकूट जैसा विशाल ओद्योगिक नगर विकसित हो गया।
नेहरू जी ने टाटा, बिड़ला, बांगड़ जैसे उद्योगपतियों को हमेशा औकात में रखा, और इसके लिए विभिन्न स्टील कॉरपोरेशन जैसे निगम, या सार्वजनिक उद्यम भी खड़े किये। ताकि बाजार पर निजी क्षेत्र की बपौती या एकाधिकार न हो पाये। हां, सच यह है कि उनमें कुछ कमियां भी थीं। लेकिन दिल पर हाथ रख कर बताइये कि किस में कमी नहीं होती है? क्या आपमें कमियां नहीं हैं, क्या आपके सारे फैसले बिलकुल दुरूस्त ही थे?
अब बात कीजिए सेक्स पर, जिसको लेकर सबसे बड़ा हमला नेहरू पर किया जाता है कि उनका लेडी माउंटबेटन से रिश्ता था। मगर आप ऐसा आरोप किस आधार पर लगाते हैं? कोई सुबूत या प्रत्यक्षदर्शी है इसका? आरोप लगाने के पहले जरा यह तो देख लीजिए कि यह आरोप किस महिला पर आप लगा रहे हैं। लॉर्ड माउंटबेटन भारत के राष्ट्राध्यक्ष थे, वायसराय थे। और नेहरू जी गांधी जी के बाद दूसरे नम्बर के नेता था। ऐसी दो शख्सियतों की एकांत भेंट असम्भव थी।
खैर, आइये आपको मैं दिल्ली के त्रिमूर्ति भवन ले चलता हूं, जिसे नेहरू स्मारक के तौर पर केंद्र सरकार ने विकसित किया है। इसमें नेहरू जी के शयनकक्ष के एक कोने पर एक तख्त है, जिस पर नेहरू जी सोते थे। जरा उसे निहार लीजिएगा, तो आपके सारे संदेह आपके पश्चाताप के आंसुओं में बह जाएंगे।