: महिला पत्रकार को ही धंधे बाज कहा, यही नहीं, चेनल को ही बंद करने की धमकी दे दी : कहां गया चौथा स्तंभ, कहां गए पत्रकार संगठन :
दोलत्ती रिपोर्टर
प्रतापगढ़ : सच कहा है सोमनाथ ने कि पत्रकारिता भड़वागिरी करते हैं। एक महिला पत्रकार के मात्र यह पूछने पर कि दिल्ली की जनता नाराज है जो केजरीवाल पर मिर्ची अटेक किया, उसका जवाब तो सोमनाथ ने नहीं दिया, उल्टे महिला पत्रकार को ही धंधे बाज कहा। यही नहीं, चेनल को ही बंद करने की धमकी दे दी। कहां गया चौथा स्तंभ, कहां गए पत्रकार संगठन।
लाइव टीवी चैनल पर खुले आम एक महिला पत्रकार की बेइज्जती देखने के बाद भी समाज की आवाज खुद को कहने वाला मीडिया कहां चला गया, अब तक तो सोमनाथ को ही नहीं केजरीवाल का इस्तीफा लिया जाना चाहिए था,यह प्रकरण लाइव नहीं होता तो उसपर ज्यादा विवाद नहीं होता तो समझ आता,लेकिन लाइव महिला पत्रकार को ये कहना कि आप धंधा कर लो,तमाम महिला पत्रकारों का ही नहीं ,महिलाओं का भी घोर अपमान है, लेकिन दिन रात हमारे खरीदे टीवी पर मनमाने तरीके से न्यूज के नाम पर लंबी लंबी तकरीर झाड़ने वाले टीवी एंकर कहां चले गए। क्या ये ही महिला सम्मान है,क्या ये ही लोकतंत्र है, धिक्कार है ऐसे मीडिया पर व ऐसे पत्रकार संगठनों पर जो सरे आम एक पत्रकार की इज्जत पर हुए हमले पर खामोश बैठा है।
अगर ये ही चौथा स्तंभ है तो तोड़ दो इस स्तंभ को जो पत्रकारिता का लाइव चीरहरण देख के खामोश है,और कहां गए वो राजनेता जो हर बात पर महिला सुरक्षा की दुहाई देते नहीं थकते हैं। आज सब के मुंह पर सिलाई केसे लग गई। कहां गया राहुल का महिला सम्मान कहां गए मोदी जी के महिला सम्मान के प्रवचन, कहां गए,बुद्धिजीवी समाज सुधारक,अफसोस सीधे टेलीविजन पर हुए टीवी एंकर पर आप्तिजनक बेहूदे बोल पर व टीवी चैनल बंद करने की धमकी देने पर भी समस्त प्रमाणिक लाइसेंस धारी पत्रकार, एन जी ओ,राजनेता खामोश हैं। मै समझता हू इससे बड़ा आक्रमण मीडिया पर कभी नहीं हुआ।
कहाँ गए 20-30 हजार पत्रकारों को जोड़ने बाले वो संगठन जो दावा करते हैं कि हमारे साथ इतने हजार पत्रकार जुड़े हैं। किस चूहे के बिल में घुस गए। पत्रकारों के हितों के लिए संगठन बनाये थे या पत्रकारों की जमात दिखा कर लाइजनिंग करने के लिए या ब्लेक मैल करने के लिए। कहाँ गए वो ढोंगी संगठन जो पत्रकारों को 50 रुपये की शील्ड देकर अपने पाले मे करने की होड़ करते हैं।
वैसे केवल पत्रकार और एंकर ही नहीं, कई चैनल तो बाकायदा हिन्दुत्व का झंडा उठाये घूम रहे हैं। सुदर्शन नाम का एक चैनल है। कट्टर हिन्दूवादी चरित्र वाला चैनल, जिसका मालिक-सम्पादक खुद ही कभी हनुमान बन कर नौटंकी करता है, तो कभी देशप्रेम का नाटक के लिए गीत-नृत्य बुनता घूमता है। ऐसे में अगर ऐसे चैनलों के पत्रकार भी यही ड्रामा करते घूम रहे होंगे, तो पत्रकार भी यही करेंगे।
बहरहाल, डूब मरो चुल्लू भर पानी में। एक महिला पत्रकार से लाइव शो में इतनी घिनोनी हरकत हो गयी और कोई आवाज नहीं उठा रहा। छोटे -मोटे को तो छोड़ो नेशनल चैनल कहाँ चले गए जो चैनलो में बैठ कर बड़ी -बड़ी दहाड़े मारते हैं। मुझे तो अब साफ -साफ ऐ नज़र आता है कि सब का एक सूत्रीय कार्य क्रम है पैसा। चिंता मत करो या ये मत भूलो कि अगला नम्बर तुम्हारा भी हो सकता है।
( दोलत्ती को मिले एक पत्र के अनुसार)