कांग्रेसी डीपी त्रिपाठी का निधन

दोलत्ती बिटिया खबर

: अपने यौन-व्‍यवहार और सेक्‍स-चर्चा को लेकर चर्चित रहे डीपीटी : सोनिया गांधी से असहमति पर एनसीपी ज्‍वाइन की थी : जेएनयू के अध्‍यक्ष और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रह चुके :
दोलत्‍ती संवाददाता
नई दिल्ली : एनसीपी के सीनियर नेता और राज्‍यसभा में सदस्‍य रह चुके डीपी त्रिपाठी का गुरुवार को निधन हो गया। 67 बरस के त्रिपाठी जी लंबे समय से कई बीमारियों से पीड़ित थे। दिल्ली के अस्पताल में उनका निधन हुआ। फिलहाल डीपी त्रिपाठी एनसीपी के महासचिव के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पिछले साल ही राज्यसभा से उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था। राज्यसभा से विदाई में अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने सेक्स के मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि आज तक इस पर संसद में चर्चा नहीं हुई। एनसीपी के सीनियर नेता प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले समेत कई वरिष्‍ठ नेताओं ने पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी के निधन पर शोक जताया है।
फिलहाल डीपी त्रिपाठी एनसीपी के महासचिव के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पिछले साल ही राज्यसभा से उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था। अपने विदाई भाषण में उन्होंने सेक्स के मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि आज तक इस पर संसद में चर्चा नहीं हुई, जबकि गांधी जी और लोहिया ने भी इस पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि सेक्स से जुड़ी बीमारियों के चलते मौतें होती हैं, लेकिन कभी इस पर बात नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि जिस देश में कामसूत्र जैसी पुस्तक लिखी गई थी, वहां की संसद में सेक्स जैसे विषय पर कभी बात नहीं की गई। इस पुस्तक को लिखने वाले वात्स्यायन को ऋषि का दर्जा प्राप्त था। अजंता-अलोरा की गुफाएं और खजुराहो के स्मारक इसी पर समर्पित हैं, लेकिन कभी संसद तक में यह मसला नहीं उठा। 1968 में राजनीति में आए डीपी त्रिपाठी को संसद के अच्छे वक्ताओं में शुमार किया जाता था। आपातकाल में आंदोलन के चलते वह जेल भी रहे थे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और डीपीटी के नाम से विख्‍यात डीपी त्रिपाठी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में उन्होंने एनसीपी ज्वाइन कर लिया था। डीपी त्रिपाठी का पूरा नाम देवी प्रसाद त्रिपाठी है. उनका जन्म 6 जनवरी 1954 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था. त्रिपाठी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं. इतना ही नहीं उन्होंने बाद में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया था.
सुप्रिया सुले ने डीपी त्रिपाठी के निधन पर ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा कि डीपी त्रिपाठी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुःख हुआ। वे एनसीपी के महासचिव थे, हम सभी के मार्गदर्शक और संरक्षक थे। हम उनके परामर्श और मार्गदर्शन को याद करेंगे, जो उन्होंने उस दिन से दिया था, जिस दिन एनसीपी की स्थापना हुई थी। उनकी आत्मा को शांति मिले।
डीपी त्रिपाठी ने महज 16 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. उन्होंने राजनीति की शुरूआत कांग्रेस से की थी. वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सहयगोगियों में से एक माने जाते थे. हालांकि, सोनिया गांधी के विरोध के बाद उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी थी. उसके बाद साल 1999 में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए और बाद में पार्टी के महासचिव बन गए थे.
एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी अपने पीछे तीन बेटे छोड़ गए हैं. उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए किया था. उन्होंने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई खी थी. वो एक नेता के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक भी थे.
डीपी त्रिपाठी अप्रैल 2012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वो जून से लेकर नवंबर 2012 तक ऊर्जा कमेटी और लोकपाल व लोकायुक्त बिल पर राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के सदस्य रहे. डीपी त्रिपाठी विदेश मामलों की कमेटी, रेलवे कंवेन्शन कमेटी और हिंदी सलाहकार समिति के भी सदस्य रहे. उन्होंने कई किताबें भी लिखी, जिनमें प्ररूप, कांग्रेस एंड इंडिपेंडेंट इंडिया, जवाहर सतकाम, सेलिब्रेटिंग फैज और नेपाल ट्रांजिशन-ए वे फॉरवर्ड समेत अन्य हैं.

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