: गोशाला में गाय-माताओं की दर्दनाक मौतों की खबर, खंडन में जुटे डीएम : अब या तो सारे पत्रकार झूठे हैं या फिर तुम्हारा घोड़ा-डॉक्टर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : गाय-माताओं की सच पर झूठ का बोरा डाल दिया है अफसरों ने। जौनपुर की गौशाला में आधा दर्जन से ज्यादा मरी गायों के मामले में यही यही हालत है जौनपुर के डीएम दिनेश कुमार सिंह की। जानकार बताते हैं कि यह हालत स्ट्रिच-बिहैवियर सी है। ठीक उसी तरह जैसे कोई शुतुरमुर्ग किसी शिकारी से डरते हुए अपना मुंह बालू में घुसेड़ देता है। मतलब यह कि जब मैं तुमको नहीं देख रहा हूं, तो तुम भी हमको नहीं देख पाओगे।
तो खबर है कि यहां के सुइथाकलां ब्लॉक के ठीक पीछे बनायी गयी एक गोशाला में आधा से ज्यादा गौ-माताओं ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया है। स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक यहां रोजाना दो से तीन गायों की मौत हो रही है। गायों को रखने वाला शेड ध्वस्त होता जा रहा है। वजह है कि इसका ढांचा ही कमजोर है। जाहिर है कि अब सर्दी का कहर टूट रहा है। यहां पर तैनात किये गये दो कर्मचारियों को पिछले दस महीनों से एक धेला तक नहीं दिया गया है। इस बारे में यहां के अमर उजाला और हिन्दुस्तान अखबार ने जम कर झूठ की धज्जियां उधेड़नी शुरू कर दीं। हिन्दुस्तान ने तो एक विशेष पड़ताल भी की और उसकी भी जोरदार खबर छापी।
बस, इस पर ही अफसर भड़क गये। डीएम ने जांच का आदेश बीडीओ और पशु चिकित्सक को दिया। मगर अपनी खाल को कैसे खींचते यह अफसर लोग। ऐसी हालत में जो भी समझ में आया इनको, डीएम को भेज दिया कि साहब पूरा काम चोखा चल रहा है। बीडीओ का दावा है कि वहां 122 गाय मौजूद हैं, जबकि वहां मौजूद कर्मचारियों का बयान है कि इस वक्त वहां 140 गाय मौजूद हैं। गोशाला कर्मचारी बताता है कि दस महीने से धेला तक नहीं मिला, लेकिन बीडीओ बताता है कि भुगतान कम्प्लीट हो चुका है।
पता चला है कि डीएम दिनेश कुमार सिंह ने अपने अफसरों की पीठ ठोंकी है और उनकी जांच रिपोर्ट को ही सच मान कर यहां के अखबारों को उन खबरों का खंडन करने को कहा है। पता तो यहां तक चला है कि हिन्दुस्तान अखबार में डीएम का यह खंडन अब तीन जनवरी-2020 को प्रकाशित किया जाना है।
इस मामले पर दोलत्ती संवाददाता ने जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह से बात करने की कोशिश की। फोन उठाने वाले ने बताया कि डीएम साहब कहीं बाहर गये हैं। लेकिन उनका मोबाइल उनके साथ नहीं है। यह तो अपने आप में गजब डीएमगिरी चल रही है यहां। फोन उठाने वाले ने बताया कि उसे यह भी नहीं पता है कि साहब कहां गये हैं। उसका कहना है कि आज अवकाश होने के चलते साहब सुबह से ही कहीं निकल गये हैं और उनसे संपर्क तीन जनवरी की सुबह साढ़े नौ बजे के बाद ही हो पायेगा।
कुछ भी हो, लेकिन इतना तो तय ही है कि जौनपुर के इस गौशाला अब बेजुबान गायों का कत्लगाह बन चुकी हैं। अब सवाल यह है कि इस मामले में कौन झूठ बोल रहा है। डीएम, पत्रकार, बीडीओ, गोशाला के कर्मचारी या फिर बेमौत मारी जा रहीं बेजुबान गायें।