मुम्‍बई में खूब खेली-खायी सलोनी, चोट लगी तो पंजे मार दिया

बिटिया खबर
: भास्कर जैसा ब्रैंड के दम पर उसने पेड-रिव्यू भी लिखे और मनमर्जी की खबरें भी छपवाईं : श्रवण गर्ग ने उसे नौकरी से निकाला था, कल्पेश याग्निक ने उसे वापस बहाल कराया : ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक पर लगातार दबाव डाल रही थी : कलम में छिनरपन- चार :

दोलत्‍ती संवाददाता
इंदौर : (गतांक से आगे ) 2013 के आस पास सलोनी मुंबई चली गई और वहां रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे और उसके फिल्म इंडस्ट्री के बैकग्राउंड के दम पर डायरेक्टर्स, प्रडयूसर्स से सम्बन्ध बनाए। दैनिक भास्कर जैसा ब्रैंड तो उसके पास था ही। उसके दम पर उसने पेड-रिव्यू भी लिखे और मनमर्जी की खबरें भी छपवाईं।
दैनिक भास्कर से जुड़े लोग बताते हैं कि उसकी मनमानी की खबरें समय-समय पर मैनेजमेंट तक पहुंचती रहीं। अपने सहकर्मिंयों के साथ झगड़े और उनके साथ अभद्र व्यवहार करना तो उसकी आदत बन चुकी थी। जिस किसी ने उसका विरोध किया, उसे अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी। ऐसे कई किस्से उसके साथ काम कर चुके लोग सुनाते हैं। पानी सिर से ऊपर गुजरता देख सलोनी को नौकरी से भी निकाल दिया गया। एक बार तो स्वयं श्रवण गर्ग ने उसे नौकरी से निकाल दिया था, लेकिन ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के सपोर्ट के चलते वो वापस बहाल हो गई। ऐसा दो बार हुआ, जब सलोनी को निकाला गया और ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने बीच में पड़कर उसे नौकरी वापस दिलवाई।
सलोनी कहीं भी रही, ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के संपर्क में रही और उनसे फोन पर हुई हर बातचीत का रिकॉर्ड रखती गई। उसकी जिंदगी आराम से तब तक चलती रही, जब तक कि मुंबई में उसके ऊपर लोग अपॉइंट नहीं किए गए। दैनिक भास्कर मैनेजमेंट ने पॉलिसी में कुछ बदलाव किए और उसके तहत मुंबई एडिशन में खबरों और स्टाफ को लेकर कई फेरबदल हुए। ऐसा सुना गया कि दैनिक भास्कर ग्रुप के मार्केटिंग एंड रिलेटेड ऑपरेशंस के हेड गिरीश अग्रवाल जो कि खुद मुंबई ऑफिस पर नजर रखते हैं, उन्होंने वहां कुछ नए लोगों को अपॉइंट किया, जो पद में सलोनी से ऊपर थे। लिहाजा सलोनी को अब उन्हें रिपोर्ट करना था।
सलोनी को अपना साम्राज्य छिनता हुआ नजर आया और आदतन उसने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। बात बनते न देख पिछले साल की तीसरी तिमाही में उसने ऑफिस जाना बंद कर दिया और 2 महीने की लंबी छुट्‌टी लेकर घर बैठ गई। छुट्टियां खत्म होने के बाद भी जब वह ऑफिस नहीं लौटी, तो मैनेजमेंट ने उसे हटा दिया। इस घटना से सलोनी बौखला गई। इस दौरान वह पिछले पौने दो साल से ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक पर लगातार दबाव डाल रही थी, ताकि वो मुंबई ऑफिस में अपना रूतबा और काम करने की पूरी आजादी पा सके। लेकिन जब नौकरी ही चली गई, तो उसने अपना आपा खो दिया। 14 जनवरी को दैनिक भास्कर से टर्मिनेट होने के बाद उसने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पौने दो साल से भास्कर के ग्रुप एडिटर पर बन रहा दबाव अब बम बनकर फूटने को तैयार था। (क्रमश:)

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