: 12 साल पहले सलोनी अरोड़ा बतौर फ्रीलांस रिपोर्टर सिटी भास्कर इंदौर से जुडी, कल्पेश ज्ञाग्निक ने उसे उरूज पर चढ़ाया : भास्कर में एकछत्र राज, कई प्रमोशन और मनमाने ढंग से काम : आदित्य चौकसे उसे मुंबई ले गया : कलम में छिनरपन- तीन :
दोलत्ती संवाददाता
इंदौर : (गतांक से आगे) इस कहानी की शुरुआत होती है करीब 12 साल पहले, जब सलोनी अरोड़ा बतौर फ्रीलांस रिपोर्टर सिटी भास्कर इंदौर से जुडी। आम फ्रीलांसर की तरह वो भी इस कोशिश में रहती थी कि उसकी ज्यादा से ज्यादा खबरें लगें, ताकि उसे ज्यादा पैसे मिल सकें। जाहिर है, वो एक सिंगल मदर थी। अपने छोटे से बेटे की बेहतर परवरिश के लिए उसे पैसों की जरूरत थी। हालांकि इस जरूरत को पूरा करने के लिए उसने सही की बजाय गलत रास्ते को अपनाया। उसने दैनिक भास्कर के इंदौर एडिशन के सीनियर्स के साथ अपने सम्बन्ध बढ़ाने शुरू किए और बस यहीं से वो ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के सम्पर्क में आई।
ऐसा बताया जाता है कि उनके दम पर वो इसी इंदौर सिटी भास्कर की हेड बन गई, जहां वो कुछ दिन पहले तक अपनी एक-एक खबर लगवाने के लिए मशक्कत करती थी। जाहिर है, जिन 10-11 लोगों की टीम का उसे हेड बनाया गया था, उनमें से कुछ लोग इस पद के लिए सलोनी से ज्यादा काबिल थे, तो वहीं कुछ उसके समकक्ष और सीनियर। प्रबंधन के इस बेतुके निर्णय के विरोध में पूरी टीम ने एक साथ इस्तीफा दे दिया और आनन-फानन में दैनिक भास्कर के भोपाल एडिशन से कुछ लोगों को बुलाकर इंदौर सिटी भास्कर की व्यवस्था संभालने का जिम्मा सौंपा गया।
इसके बाद सलोनी अरोड़ा का दैनिक भास्कर में पद भी बढ़ता गया और कद भी। ऐसे ही एक प्रमोशन को सेलिब्रेट करने के लिए वो भोपाल गई और इस सेलिब्रेशन का हिस्सा बनने के लिए उसने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को आमंत्रित किया। संभव है कि इसके लिए सलोनी ने वैन्यू भी तय कर रखा था, जो कथित तौर पर होटल का एक कमरा था। यही वो समय था, जब ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक से एक मानवीय गलती हो गई और उसके बाद सलोनी उन पर इस कदर हावी हुई कि फिर वो पूरी जिंदगी उससे अपना पिंड नहीं छुड़ा पाए। अब ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने उस दिन क्या किया या ऐसा क्या हुआ कि वे सलोनी के सामने इतने मजबूर हो गए, यह रहस्य तो उनके साथ ही इस दुनिया से चला गया।
लेकिन उस रहस्य को जानने वाला दूसरा व्यक्ति हमारे बीच मौजूद है और वह है सलोनी, उस सेलिब्रेशन के दौरान उसके और ग्रुप एडिटर कल्पेश के बीच क्या हुआ अब यह तो वही बता सकती है। उस दिन ने सलोनी द्वारा ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को ब्लैकमेल करने की नींव जरूर रख दी। हालांकि सलोनी अब तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं दे पाई है कि उसने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को धमकाने के पीछे जिन शारीरिक सम्बन्धों का हवाला दिया है, उसका कोई भी सुबूत उसके पास है। जाहिर है, उस समय टेक्नोलॉजी इतनी अच्छी नहीं थी कि वो ऐसा कर पाती, लेकिन उसने मन ही मन इस मौके को भुनाने की पूरी तैयारी जरूर कर ली थी।
रिलायंस के फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन हेड आदित्य चौकसे, सलोनी और साज़िश
सलोनी ने कुछ साल तक इंदौर सिटी भास्कर में एकछत्र राज किया। कई प्रमोशन लिए और मनमाने ढंग से काम भी किया। उस समय तक वो फिल्म वितरक एवं भास्कर के स्तंभकार जयप्रकाश चौकसे के बेटे रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे के संपर्क में आ चुकी थी। फिल्म वितरण के क्षेत्र में जितने तरीके अपनाए जाते हैं, उन सबका वह मास्टर था। कई अन्य लोगों की तरह सलोनी का झुकाव भी फिल्म इंडस्ट्री और उससे जुड़ी खबरों की दुनिया की ओर था। लिहाजा वो रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे से संपर्क बढ़ाती गई और फिर उसने मुंबई जाने का मन बना लिया। उसका यह सपना पूरा करने में मदद की ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने। उसे फिल्म इंडस्ट्री की खबरें करने के लिए मुंबई पोस्टिंग दी गई। वहीं उसके रहने से लेकर हर सुख-सुविधा का इंतजाम किया उसके मित्र रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने, जो कि उसका लिव-इन पार्टनर बन चुका था। (क्रमश:)
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1 thought on “सलोनी एक बेरोजगार मां थी, कल्पेश एक गिद्ध। शिकार बना गिद्ध”