विवाहेतर संबंधों के झूठे आरोप पर पति को तलाक का हक

बिटिया खबर

पति पर मानसिक क्रूरता है अनर्गल आरोप: मुम्बई हाईकोर्ट

मुंबई : मुम्बई हाईकोर्ट ने आज स्पष्ट व्यवस्था दे दी है कि यदि कोई महिला अपने पति पर विवाहेतर संबंधों का झूठा आरोप लगाती है तो पति को इस आधार पर तलाक मांगने का हक है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जी एस पटेल और न्यायमूर्ति ओ एस ओका ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया है। इसी आधार पर दो सदस्यीय खंडपीठ ने महेश व मोहिनी पैगुडे के बीच तलाक को मंजूरी दे दी।

बांबे हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व में दिए गए पुणे के परिवार न्यायालय के उस निर्णय को पलट दिया जिसमें पत्‍‌नी की ओर से लगाए गए विवाहेतर संबंधों के झूठे आरोपों के आधार पर महेश को तलाक नहीं दिया गया था। महेश ने झूठे आरोपों के आधार पर ही पत्नी से तलाक मांगा था। न्यायालय ने उसकी दलील खारिज कर दी थी।

अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा लगाए गए विवाहेतर संबंधों के झूठे आरोपों के बाद पति तलाक की मांग कर सकता है। कोर्ट ने इस तरह के झूठे आरोपों को मानसिक क्रूरता करार दिया। महेश और मोहिनी पैगुडे का विवाह 13 मार्च 2001 को हुआ था। लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद सामने आने लगे और नौबत तलाक तक आ पहुंची। महेश ने पुणे के परिवार न्यायालय में याचिका दायर कर तलाक की मांग की। उसने कहा कि पत्नी ने उस पर विवाहेतर संबंधों के बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। लेकिन निचली अदालत ने उसकी इस दलील को खारिज करते हुए तलाक की मंजूरी नहीं दी। इसके बाद महेश ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आरोप झूठे होने पर व्यक्ति को मानसिक वेदना सहनी पड़ती है। इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि पत्नी की ओर से पति पर लगाए गए बेबुनियाद आरोप याचिकाकर्ता के चरित्र और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं और यह मानसिक क्रूरता के बराबर हैं, जिसके कारण याचिकाकर्ता तलाक के आदेश की मांग करने का हकदार है।

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