: सवाल का जवाब तो कोई दे कि एक बुजुर्ग शिक्षाविद और नाबालिग नौकरानी बच्ची के बीच गलतफहमी क्या पनपी : अध्यक्ष हाशिम ने बोले कि कोई विवाद नहीं, प्रो शर्मा का भी टिप्पणी करने से इंकार : मामले को दबाने को 3 पत्रकारों की भी मुट्ठी गरम : बहुत संदिग्ध है सुलहनामा के बिन्दु और उसकी जरूरत :
कुमार सौवीर
लखनऊ : ( गतांक से आगे) जी हां, गिरि इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा ने अपनी घरेलू नौकरानी के साथ जो व्यवहार किया व शर्मनाक सीमा से भी परे है। खासतौर से तब, जब यह हादसा उस एक नाबालिग बच्ची को लेकर हुआ, जो अपनी पारिवारिक आर्थिक संकट के चलते संस्थान के निदेशक के घर काम करने पर मजबूर थी। करें और उससे भी बड़ी बात यह किस संस्थान में हु इस हादसे को दबाने मैं लखनऊ से लेकर दिल्ली तक आईसीएसएसआर और मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार के बड़े और प्रभावशाली लोग शामिल है।
तो पहले यह समझ लीजिए कि मैं हवा में खबरें नहीं लिखता हूं। गिरी इंस्टीच्यूट ऑफ साइंसेस जो कुछ भी हुआ, उसके प्रमाण मेरे पास हैं। सारे तो नहीं, लेकिन इस मामले का खुलासा करने लायक पर्याप्त प्रमाण मेरे पास मौजूद है। आपको बता दें कि गिरि इंस्टीट्यूट के मौजूदा निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र शर्मा पर अपनी घरेलू नौकरानी के साथ दुराचरण का मामला करीब डेढ़ महीना पहले मेरे संज्ञान में आया था। मुझे यह मसला संगीन लगा, तो मैंने उस पर काम करना शुरू कर दिया। पता चला कि इस मामले को दबाने के लिए 3 पत्रकारों ने भी अपनी मुट्ठी गरम कर ली थी।
सच है कि शुरुआती दौर में मेरे पास कोई भी साक्ष्य नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे मेरी पूछताछ का क्रम आगे बढ़ा, सहज दिखने वाली बातें निहायत क्लिष्ट दीखने लगीं। यहां के 5 शिक्षकों के अलावा तीन अन्य शिक्षकों से मैंने बातचीत की, जो या तो संस्थान में कार्यरत हैं, या फिर उनका करीबी लेना-देना संस्थान से है। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे इस बारे में कई सटीक और पर्याप्त सूचना मुहैया कर दी। एक अन्य व्यक्ति के बारे में मुझे खबर मिली थी कि वह इस मामले में गहरे तक जानकारी रखता है। लेकिन जब मैंने उससे बातचीत की तो तो उसने मुझसे इस मामले में कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया।
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प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता ने इस बारे में बातचीत के दौरान गिरि इंस्टिट्यूट के निदेशक प्रोफेसर सुनील कुमार शर्मा ने यह तो स्वीकार किया कि उन्होंने और उनकी नौकरानी के बीच ऐसा एक सुलहनामा तैयार किया गया था, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई भी खुलासा करने से इंकार कर दिया। जब मैंने पूछा उस सुलहनामा की आवश्यकता किन कारणों से पड़ी, और उसमें क्या-क्या बिन्दु थे, प्रोफेसर शर्मा ने उसका खुलासा करने से इंकार कर दिया। हालांकि सुनील शर्मा ने बताया कि उनके बीच केवल एक गलतफहमी थी जो अब दूर हो गई।
लेकिन प्रोफेसर शर्मा के इस सुलहनामा के बाद दो सबसे बड़े सवाल उठ रहे थे। पहला तो यह कि प्रो शर्मा उस उनकी नौकरानी के बीच उस गलतफहमी का मूल आधार क्या था। और दूसरा सवाल यह कि उस गलतफहमी के आधार पर तैयार किए गए ऐसे सुलहनामा में उस बच्ची के पिता की नौकरी के आने या जाने का औचित्य क्या था। जाहिर है इस पूरे मामले में एक बहुत बड़ा अंध-कूप मौजूद है जिसका जवाब देने को तो कोई भी तैयार नहीं।
इस मामले में प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम ने प्रोफेसर आरएस हाशिम से भी बातचीत की। गिरी इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष और मूलतः बलिया के रहने वाले प्रोफेसर हाशिम दिल्ली में रहते हैं। उनका नाम शिक्षा जगत में खासा मशहूर है। योजना आयोग में सदस्य रह चुके है हाशिम, और केंद्रीय लोकसेवा आयोग में भी। कजाखस्तान समेत कुछेक अन्य देशों में भारत के राजदूत रह चुके हैं हाशिम। लेकिन गिरि इंस्टिट्यूट के निदेशक सुरेंद्र शर्मा के साथ उनकी बच्ची को लेकर उठे विवाद पर कोई भी जानकारी होने की बात उन्होंने खारिज कर दिया। उन्होंने साफ इनकार किया कि गिरी इंस्टिट्यूट में ऐसा कोई विवाद हुआ भी था।
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