: कल ही अखिलेश ने इशारा कर दिया था कि वे अपनी पतंग खुद ही तान सकते हैं : मामला चूंकि पारिवारिक कलह का है, इसलिए मुलायम को अब कम सुनाई पड़ता है : बर्खास्त सपाइयों के सवाल को मुलायम ने टाला, गायत्री को प्रभारी बना दिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : मुलायम सिंह यादव ने आज साफ कर दिया कि समाजवादी पार्टी की राह पर अखिलेश यादव के कदम ही सब कुछ नहीं हैं। चाहे वह सपा के जीतने मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव के चेहरे की जरूरत हो या फिर सरकार में बिलकुल किनारे की जा चुके गायत्री प्रजापति की गंदली छवि को मांजने की, जरूरत पड़ी तो मुलायम कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद इसके बावजूद यह तय हो गया है कि समाजवादी पार्टी अन्तर्कलह के एक नये भीषण मोड़ तक पहुंच चुकी है, जहां सम्पत्ति के अधिकारों का विवाद भीषण होता जाता है।
सपा में भीतरी कलह है, अगले चुनाव में अखिलेश के चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाएगा, जिन युवा सपा कार्यकर्ताओं को सपा ने बर्खास्त कर दिया है उनका भविष्य क्या होगा, सरकार और पार्टी के बीच तनाव खासा बढ़ चुका है, सपा के ताजा तनाव के चलते अखिलेश यादव खुद ही अपनी चुनावी नइया सम्भालेंगे, तीन तलाक के मसले पर उनकी राय क्या है, वगैरह-वगैरह।
ऐसे ही सवाल आज पत्रकारों ने मुलायम सिंह यादव से पूछे, तो जाहिर है कि मुलायम कचकचा गये। सोचने के लिए वक्त हासिल करने के लिए मुलायम ने आंय-आंय का अपना चिर-परिचित नारा उछालना शुरू कर दिया। बगल में बैठे अपने साथियों से सवालों को दोबारा पूछने के लिए इशारा किया। हालांकि यह जरूर है कि मुलायम सिंह यादव के कान अब उनका ज्यादा साथ नहीं दे पाते हैं, लेकिन यह भी सच ही है कि उन्हें कान ने उतना दिक्कत नहीं है, जितना पारिवार में चलते भीतर गृह-संघर्ष से है। यह भी सच ही है कि मुलायम अपनी छवि के लगातार गिरते स्तर को लेकर भी खासे चिन्तित हैं।
कल अचानक अखिलेश यादव ने अपने नश्तर, तेजे और तलवारें भांजते हुए जिस तरह यह बयान नुमा ऐलान कर दिया कि वे चुनावी राह पर अकेले ही निकल पड़ने को तैयार हैं, मुलायम सिंह यादव ही नहीं, पूरी सपा ही दहल गयी। अखिलेश के यह तेवर बाकायदा किसी खुले बगावत का ऐलान करते दिखे। एक अखबार में छपे अखिलेश यादव के इस बयान के प्रसारित होते ही मुलायम सिंह यादव ने आनन-फानन दोपहर एक बजे प्रेस-कांफ्रेंस बुलायी। यह पहला मौका था कि मुलायम सिंह की प्रेस-कांफ्रेंस में पत्रकार केवल चुनिंदा ही दिखे।
सवालों के जवाब में मुलायम ने यह साफ करने की कोशिश की, कि सपा में सब ठीक-ठाक है। लेकिन जिस तरह युवा नेताओं को बर्खास्त किया गया, उस बारे में मुलायम सिंह ने अचकचाते हुए जवाब दिया। यही बात चुनाव तैयारी में अखिलेश के चेहरे के इस्तेमाल को लेकर उठी, मुलायम ने अगले मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश के नाम पर कुछ भी साफ नहीं किया। बल्कि वे बोले कि चुनाव के बाद सपा संसदीय मंडल ही तय करेगा कि सपा के चुनाव जीतने पर कौन मुख्यमंत्री बनेगा।
सरकार से हाल ही बर्खास्त गायत्री प्रजापति को दोबारा में मंत्रिमंडल में शामिल करने, तथा उन्हें खनन के बजाय हल्के विभाग थमाने के विवादों पर मुलायम ने अलग पैंतरा चलाया। उन्होंने पांच नवम्बर को होने वाले सपा सम्मेलन के संयोजक के तौर पर गायत्री प्रजापति को नियुक्त करने का ऐलान कर अखिलेश को करारा जवाब देने की कोशिश की, जाहिर है कि मुलायम का यह पैंतरा शिवपाल सिंह खेमे की मजबूती का संकेत है।
लेकिन मुलायम के ऐसे पैंतरों को पहचानने वालों का साफ मानना है कि मुलायम सिंह अब सेफ-मोड पर आ चुके हैं। सपा में अब चचा-भतीजा का युद्ध चरम तक पहुंच चुका है। खास बात यह रही कि हमेशा भारी खचाखच भरी रहने वाली मुलायम सिंह यादव की प्रेस-कांफ्रेंस आज बेहद हल्की दिखी। मुलायम ने अपनी इस बदलाव को खूब सूंघा और उस पर कटाक्ष भी किया।