मुलायम का समाजवाद केवल परिवार है, वहां भी धोखाबाजी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: मुलायम सिंह यादव पर यह कहावत बिलकुल फिट है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे : चाहे चंद्रशेखर रहे हों अथवा मायावती, मुलायम ने तो हमेशा सब को धोखा ही दिया है : समाजवाद के नाम पर केवल अपने परिवार बढ़ाया, और उसमें भी मिला धोखा :

संजय तिवारी

नई दिल्‍ली : मुलायम सिंह यादव ने जो धोखा चंद्रशेखर को दिया, चंद्रशेखर अपनी बाकी जिन्दगी कभी उससे उबर नहीं पाये। मुलायम सिंह के अलग जाने के निर्णय से उनका राजनीतिक कैरियर एक तरह से खत्म हो गया। समाजवादी जनता पार्टी एक एमपी की पार्टी बनकर रह गयी क्योंकि चंद्रशेखर की सारी कमाई रातों रात मुलायम सिंह यादव लेकर निकल गये और समाजवादी पार्टी बना ली।

लेकिन मुलायम सिंह के राजनीतिक कैरियर में यह कोई नयी बात नहीं थी। उन्होंने लोहिया को धोखा देकर चरण सिंह के चरण पकड़े फिर चरण सिंह को धोखा देकर वीपी सिंह के साथ चले गये फिर वीपी सिंह को धोखा देकर चंद्रशेखर के साथ चले गये, फिर चंद्रशेखर को धोखा देकर मायावती के साथ चले गये और फिर मायावती को धक्का देकर खुद खड़े हो गये। जिस मायावती से राजनीतिक मिलन के लिए चंद्रशेखर की पीठ में छूरा घोंपा था उन्हीं मायावती पर कैसा हमला हुआ यह उस दौर के लोग भली भांति जानते हैं।

उन्होंने राजनीति को हमेशा अवसरवाद समझा और आज उसी अवसरवाद के फंदे में खुद फंस गये हैं। जिन तरीकों का इस्तेमाल करके वे बड़े हुए थे आज वही तरीके उनको बौना बना रहे हैं। समाजवाद के नाम पर उन्होंने जो परिवारवाद विकसित किया वही परिवार आज उनके लिए संकट बन गया है। हमारे यहां कहा जाता है, जैसा करोगे वैसा भरोगे। मुलायम सिंह यादव आज अपनी करनी का फल भर रहे हैं। आह लगी है उन्हें लोहिया की, चरण सिंह की, वीपी की, चंद्रशेखर की। नहीं तो छिहत्तर साल की उम्र में अपने ही घर में ऐसी छीछालेदर किसी भले इंसान की नहीं होती।

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