मितरों ! विकास के लिए अब ‘किसान मुक्त भारत अभियान’

दोलत्ती

: पहली बार हम खेतों में उगायेंगे सोने की बालियां : लोकतंत्र को मंत्रिमंडल तक सीमित किया जाएगा : भारत को ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ और ‘कांग्रेस मुक्त’ के बाद अब विपक्ष मुक्‍त भारत बनायेंगे :

देवेंद्र आर्य

नई दिल्‍ली : मितरों ! आपको याद हो कि न याद हो हमने ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ भारत का सपना पूरा करने के लिए ‘कांग्रेस मुक्त’ भारत का लक्ष्य तय किया था। इस काम में हमें समय समय पर अकालियों समाजवादियों और वैश्विक बर्बादियों का भी सहयोग मिलता रहा है। हम वोकल हो रही लोकल शक्तियों के भी आभारी रहे हैं। सत्तर सालों के अपने संघर्ष और आप सबकी भक्ति भावना पूर्ण सहयोग से हम ‘कांग्रेस मुक्त’ भारत से आगे ‘विपक्ष मुक्त’ भारत की दिशा में अग्रसर हैं।

हमारे इस लक्ष्य में कुछ फ़र्ज़ी विदेशी फंडिंग आधारित किसान टाइप लोग बाधा पहुंचा रहे हैं। इसलिए अब देश के हित में ‘किसान मुक्त’ भारत का निर्माण आवश्यक हो गया है। अब तक की सरकारें गेहूं पर सोने की पालिश से आगे नहीं बढ़ पाईं थीं। उनमें इच्छा शक्ति का अभाव रहा है। इतिहास में पहली बार हम खेतों में सोने की बालियां पैदा करने की दिशा में अग्रसर हैं। परंतु यह बात टुकड़े टुकड़े गैंग को पसंद नहीं आ रही है। क्योंकि अब ये चूहे फसल कुतर नहीं पाएंगे। हमें अगले चार वर्षों में सोने की चिड़िया रहे विश्वगुरु भारत को सोने का भव्य गिद्ध बनाना है। ताकि कोई उसे कमज़ोर समझने की भूल न करे

मितरों ! इसके लिए हर देशभक्त नागरिक को अपनी कमर ढीली करनी पड़ेगी । सूचना तंत्र पर सरकारी राष्ट्रवादी कब्जे के बावज़ूद मत पेटिकाओं द्वारा नकार दिए गए विरोधियों की ओर से भ्रम फैलाया जा रहा है। चाहे वह दिल्ली की सीमा के बारे में हो चाहे देश की सीमा सुरक्षा के बारे में हो। परंतु आप चिंतित न हो । सरकार का हर कदम आपके भले के लिए है

भले ही इसके लिए हमें चुपचाप और कड़े कदम क्यों न उठाने पड़ें। भले ही इसके लिए हमें सड़क पर उतर रहे लोकतंत्र को मंत्रिमंडल तक ही सीमित क्यों न करना पड़े। भले ही इसके लिए हमें वन डोर इंट्री वाली नई संसद क्यों न बनानी पड़े। हम उन्हीं सपनों को पूरा कर रहे हैं। जिन्हें हम देख रहे हैं। हम देखेंगे वाली सरकारों ने देखा था। हम देश की जनता के लिए हर बलिदान देने को तैयार हैं। हम भूले नहीं हैं कि विरोध विकास का दुश्मन है।
जय भारत !

(इस व्‍यंग्‍य के लेखक देवेंद्र आर्य  गोरखपुर में बसे हैं। उनका नाम प्रखर चिंतक, लेखक, कवि और चुटीले कटाक्ष करने वाले साहित्‍यकारों में शुमार है।)

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