अमर उजाला: पहले गांजा, फिर बेसिर-पैर की खबर

दोलत्ती

 

: मुख्‍यमंत्री के सूचना सलाहकार मुर्ग-मुसल्‍लम की तरह पेश कर दिया : रईस पर सहमति बनी, क्‍योंकि घोड़ा-सेवक सईस के साथ सिंह सरनेम अटपटा : बात करो तो खौखियाता है संपादक :

कुमार सौवीर :

लखनऊ : अरे नहीं। यह कोई गम्‍भीर अखबार नहीं है। गंजेडि़यों की टोली है। क्‍या सम्‍पादक और क्‍या रिपोर्टर और क्‍या डेस्‍क पर काम करने का नाटक करने वाले पत्रकार। हालत साबित करती है कि सब के सब गंजेड़ी हैं। टोटल गांजा का दम लगाते हैं, और उसके बाद ही खबर के नाम पर हो-हल्‍ला स्‍टार्ट कर देते हैं। खबर क्‍या है, तथ्‍य क्‍या है, पुष्टि कैसे की जाए, कैसे लिखना है, सम्‍पादन क्‍या होता है, ऐसे जमीनी सवालों से कोसों दूर रहते हैं इस अखबार के पत्रकार। और तो और, सम्‍पादक को पता ही नहीं चलता कि उसके अधीनस्‍थ पत्रकार क्‍या लिख और क्‍या छाप रहे हैं। बस, चरसी, गंजेड़ी और मदकचियों की तरह दो-चार दम लगाया, और फिर मन में जो भी अंट-शंट आया, छाप दिया।

अरे नहीं, अमर उजाला नाम से क्‍या होता है? अब देखिये न मुख्‍यमंत्री के सूचना सलाहकार है रहीस सिंह। अमर उजाला अखबार के संपादक राजीव सिंह ने इन्‍हीं रहीस सिंह को अपने मुगलिया-तन्‍दूर पर चटपटा-लटपटा रईस सिंह जैसा मुर्ग-मुसल्‍लम की या शोरबादार रोगनजोश की तरह अपने पाठकों के सामने पेश कर दिया। इस तरह का नामान्‍तरण सीना ठोंकते हुए कर डाला, कि धर्मान्‍तरण करने वाले लोग भी शर्म से गीले-गीले हो जाएं। मगर इस अखबार ने अपनी इस बेहूदगी पर शर्मसार होने की जरूरत नहीं समझी।

हालांकि चर्चाओं के अनुसार यह खबर लिखने वाले रिपोर्टर ने अपने साथियों से चर्चा की थी कि रईस लिखना उचित होगा, अथवा सईस। बाद में तय हुआ कि रईस ही उचित लगता है, क्‍यों कि रईस के साथ सिंह तो चल सकता है, लेकिन घोड़े की सेवा करने वाले सईस के साथ सिंह जैसा सरनेम जोड़ना अटपटा लगेगा।

यह कोई पहली हरकत नहीं है। अमर उजाला इसी तरह की ऊटपटांग की चीजों को परोसने में माहिर है। कोई तीन महीना पहले गोमती नगर में एक मकान से जुड़ी खबर में अमर उजाला ने छाप दिया था कि यह मकान प्रदेश के पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर सिंह का है और वयोवृद्ध शशांक शेखर सिंह नोएडा में रहते हैं। जबकि शशांक शेखर सिंह की मृत्‍यु सात बरस पहले ही हो चुकी थी।

इस खबर पर जब दोलत्‍ती संवाददाता ने अमर उजाला के लखनऊ सम्‍पादक राजीव सिंह से पूछताछ की, तो राजीव सिंह अंटशंट बोलने लगे। पलटवार करते हुए राजीव सिंह ने सवाल जड़ दिया कि दोलत्‍ती डॉट कॉम का मकसद राजीव सिंह को बदनाम करना है, या फिर अमर उजाला को।

बहरहाल, अब आप रईस सिंह बन चुके रहीस सिंह वाली खबर पढ़ लें:-

‘मुख्‍यमंत्री के सूचना सलाहकार की बनायी फेसबुक पर फर्जी आईडी, मांगे रुपये
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार रईस सिंह की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर साइबर जालसाजों ने उनके परिचितों से जालसाजों ने रुपये मांगे। इसकी जानकारी जब सूचना सलाहकार को हुई तो उन्होंने अपने परिचित से मुकदमा दर्ज कराने को कहा। गोमतीनगर विस्तार थाने में केस दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है।
लखनऊ जनकल्याण महासिमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे गोमतीनगर विस्तार इलाके में रहते हैं। उमाशंकर दुबे के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार रईस सिंह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मफेसबुक पर दोस्त हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार सुबह फेसबुक मैसेंजर पर रईस सिंह केआईडी से मेसेज आया। मेसेज में हालचाल पूछने के बाद उनसे 25 हजार रुपये की मांग की गई। उस मेसेज में एक मोबाइल नंबर 7662868718 दिया गया। इस पर गूगल पे करने को कहा गया। उमाशंकर दुबे के मुताबिक, उनके मोबाइल में गूगल पे नहीं है। तो उन्होंने पेटीएम का विकल्प दिया। इस पर मेसेज भेजने वाले जालसाज ने पेटीएम का दूसरा नंबर 9759345495 दिया। वह नंबर किसी कपिल कुमार के नाम से रजिस्टर्ड था। संदेह होने पर उन्होंने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार रईस सिंह को दी। रईस सिंह ने बताया कि किसी ने उनकी तस्वीर लगाकर फर्जी तरीके से उनके नाम से फेसबुक आईडी बनाई है। उन्होंने कोई रुपये की मांग नहीं की है। इस मामले में उन्होंने तत्काल मुकदमा दर्ज कराने को कहा। इसके बाद उमाशंकर दुबे ने गोमतीनगर विस्तार थाने में तहरीर दी जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।‘

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