मेरठ कांड पर इस खबर से थरथर कांपने लगी भाषा

बिटिया खबर

: इस संपादक का आलेख पढि़ये, पत्रकारों से विश्‍वास उठ जाएगा : राजनीतिक हस्‍तक्षेप में पत्रकारिता की टांग का इससे बेहतर इस्‍तेमाल की बेमिसाल नजीर है सच्चिदानंद गुप्‍ता सच्‍चे : आलेख को पढ़ कर भाषा ही मैदान छोड़ कर भाग गयी है :
कुमार सौवीर
लखनऊ : लखनऊ में एक हैं सच्चिदानंद गुप्‍ता उर्फ सच्‍चे। समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं में उनकी खासी पहुंच है। सपा सरकारों में सच्‍चे बहुत असरदार हो जाते हैं। बहरहाल, बातचीत को विस्‍तार हम आपको बाद में समझायेंगे कि यह सच्चिदानंद गुप्‍ता उर्फ सच्‍चे मूलत: क्‍या चीज हैं, लेकिन फिलहाल उनका संक्षिप्‍त परिचय तो उनके इस आलेख में समझा जा सकता है, जो उन्‍होंने मेरठ के एएसपी सिटी पर वाट्सऐप पर लिखा है। इस आलेख में इस पत्रकार ने अपनी पत्रकारिता की एक-एक हड्डी तोड़ी हैं, हर जोड़ को अलग-अलग बिखेर कर उसे न जाने कहां-कहां जोड़ डाला है। इस आलेख को पढ़ कर भाषा ही मैदान छोड़ कर भाग गयी है। कहीं की रोड़ी कहीं का रोड़ा, संपादक सच्‍चे ने जोड़ा। आइये, आप भी इस भयावह आलेख का रसास्‍वादन कर लीजिए:-
मेरठ के ए एस पी के एक बयान से 19 दिसंबर वा उसके बाद पढे जुमे को हुऐ मेरठ समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों मै सी ए ए के खिलाफ हुए हिंसक के दौरान उपदरियो द्वारा सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया उसकी बसूली एवम उपदरियो पर की पुलिस द्वारा निशपचछ और सख्त की गई कार्यवाई उचित है पर प्रश्नचिन्ह लग गया है लेकिन अपर पुलिस अधीक्षक मेरठ *अखिलेश नारायण सिंह* का यह कृत्य न केवल निंदनीय है, वरन भारतीय दंड संहिता की धारा *295A एवं 504* के अंतर्गत एक दंडनीय कृत्य है। कर्मचारी का यह कृत्य *उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रस्तर ४* का भी उल्लंघन है। दंगाइयों और बलवाइयों को चिन्हित करना और उनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करना उतना ही आवश्यक है जितना निर्दोषों की सुरक्षा करना। ए एस पी के इस बयान का बचाव ए डी जी वा आई जी मेरठ द्धारा यह कर किया जा रहा है कि उपदरियो द्वारा पाकिस्तान जिन्दाबाद वा भारत के खिलाफ नारे लगाये जा रहे थे उसकी पतकिरिया मै ए एस पी ने बाते कही ए एस पी को पतकिरिया इस तरह प्रकट ना कर आई पी सी एवम सीआरपीसी मै असीमित अधिकार दिए है उसका इस्तेमाल कर अपराधियों को गिरफ्तार कर रासुका, एन एस ए लगाकर देश विरोधी नारे लगाने वालो सबक सिखाते यदि देश विरोधी नारे लगाने वाले पकड मै नहीं आ रहे थे तो उन्हे खोली मार देते तो कोई कुछ कहता लेकिन ए एस पी उक्त बयान संविधान वा सर्विस रूलस के अनुसार नहीं है भावनाओं मै भय कर इस बयान का समर्थन करना उचित नहीं यदि इस तरह के बयान का समर्थन किया गया तो प्रदेश मै बढी संखया मै रहने वाली आवादी के दिल मै पुलिस निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा जो पुलिसे निश्चिपता के लिये अच्छा नहीं होंगा ए एस पी मेरठ को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए था सच्चे।

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