: तुलसी, अदरक, काली मिर्च, नींबू, जरंकुश, और गुड़ की चाय सुड़ुकियेगा : बेहतर हो कि आपके घरवाले तात्या-टोपे की तरह दिखने लगें :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पता नहीं कि यह हकीकत है, या फिर मेरा भ्रम। लेकिन यह तो सच है ही कि इस बार मौसम बेरहम है। पिछले सात दिनों से सर्दी, खांसी से बेहाल हूं। गला चोक है। हर खांसी में लगता है कि नीरव मोदी और माल्या जैसे लोग मेरी सैकड़ों-हजारों लॉकरों में बंद दमचक और भव्य सम्पदा-जायदाद, बैंक-बैलेंस, कैश, गहने, आभूषण और सारा माल-मत्ता लेकर हमेशा-हमेशा के लिए छीन लेकर भाग जाएंगे। कमजोरी बेइंतिहा महसूस हो रही है। मेरे मोहल्ले ही नहीं, सारे परिचित-मित्रों के घर भी खों-खों वाला हल्ला-दंगा चल रहा है।
सोचता हूं कि अगर इसी हालत में अगर कोरोना वायरस का हमला कर देता, तो क्या होता। जब मैं फ्लू और सर्दी को नहीं सम्भाल पा रहा हूं, तो कोरोना वायरस को कैसे झेलता। बात-बात पर दूसरों पर दोलत्ती लगाने वालों पर करारी दोलत्ती कैसे महसूस होती होगी, अब पता चला रहा है दोलत्ती वाले बच्चू को।
मुझे नहीं लगता कि मौसम का यह माहौल दो-तीन हफ्ते तक बदलेगा। ऐसी हालत में मेरी सलाह है आप सब को। मानना या न मानना आप पर निर्भर है।
रात बारह बजे के बाद से कपड़ों के साथ कोई रियायत मत कीजिएगा। सुबह बिस्तर से तब ही उतरियेगा, जब स्वेटर-जैकेट से पैक हों, और केजरीवाल की तरह गले में ठीक से मफलर लपेट लें। खास तौर पर नन्हें बच्चों को तो घुग्घू-बंदर की तरह बनाये रखियेगा। बुजुर्ग बहुत नाटक करते हैं, उन्हें खास तौर पर पैक किये रखियेगा। वरना वे लम्बा झेलेंगे। बेहतर तो यही होगा कि आप समेत आपका पूरा घर तात्या-टोपे की तरह दिखने लगे।
घर में कुछ चीजें अनिवार्य रूप से जुटा लीजिए। तुलसी, अदरक, काली मिर्च, नींबू, जरंकुश, और गुड़। बस इसकी चाय दिन में कम से कम सात बार सुड़ुकियेगा। हौंक-हौंक कर पीजिएगा। हमारे आयुर्वेदिक, ऐलोपैथिक और होम्योपैथिक डॉक्टर-मित्रों की सलाह है कि अगर आपको संक्रमण हो चुका है, तो रामदेव की तरह उछलकूद मत कीजिएगा। शरीर बेहाल है, तो विश्राम कीजिए। शरीरिक और मानसिक तसल्ली जरूरी है। रामदेव बाबा तो धंध-फंदी हैं। पिछले हफ्ते से ही कोरोना वायरस का इलाज गिलोय-फिलोय में खोज लिये हैं। मतलब दुनिया भर के वैज्ञानिक बकलोल हैं। साफ समझ लीजिएगा कि हर मर्ज पर गिलोय असर नहीं करता, जैसे एवरेस्ट फतह करने के लिए जेसीबी-क्रेन कारगर नहीं हो सकती।
वरना आप का भला और आपके परिवार का कल्याण भोलेनाथ तो कर ही रहेंगे।
जरंकुश किसे कहते हैं? इसका दूसरा नाम क्या है? कहां पैदा होता है?
जरंकुश एक ओषधि है। इसको लेमन ग्रास भी कहा जाता है। अवध के इलाके में इसे सरपतिया चाय भी पुकारते हैं। एक खास घास का झुण्ड जैसा होता है।
नींबू घास (लेमन ग्रास) काफी भारतीय घरों में उगाई जाती है। इसे लेमन ग्रास/चायना ग्रास/भारतीय नींबू घास/मालाबार घास अथवा कोचीन घास भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम सिम्बेपोगोन फ्लक्सुओसस है। यह मूल रूप से भारत तथा अन्य गरम देशों का पौधा है। लगातार उगता रहता है। लंबा होता है और हमेशा हरा रहता है।
लेमन ग्रास को दक्षिण-पूर्व एशिया के बाहर कोई नहीं जनता था, लेकिन आज विश्व के कई हिस्सों में इसे उगाया जाता है। कुछ इसे हर्ब कहते हैं और कुछ लोग ग्रास (घास)। लेमन ग्रास, ग्रास और हर्ब दोनों ही है।
इसकी पत्तियां चाय में डालने हेतु उपयोग में लेते हैं। पत्तियों में एक मधुर तीक्षण गंध होती है जो चाय में डालकर उबलकर पीने से ताजगी के साथ साथ सर्दी आदि से भी राहत देती है। इसकी खेती के लिए डूंगरपुर, बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ के कुछ हिस्से उपयुक्त हैं। जहाँ यह प्राकृतिक रूप से पैदा होती है। इसकी विधिवत खेती केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों में हो रही है|