: जौनपुर में नंगा होकर प्राइवेट प्रैक्टिस करता था सर्जन, अब सीएमएस बन गया : मेडिकल स्टोर में किया था अपेंडिक्स का ऑपरेशन, मरीज मर गया : छेड़खानी में दस हजार का जुर्माना दे चुका यह सर्जन :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी के स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री को दुराचारी, लुच्चे-लफंगे और हत्यारे डॉक्टर बहुत प्रिय हैं। यही वजह है कि हेल्थ मिनिस्टर साहब ने सरकारी अस्पतालों में ऐसे ही डॉक्टरों को किसी तमगे की तरह टांग लिया है। कई अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक की कुर्सी थमा दी है, उसका इतिहास ही किसी घिनौनी कालिख से पुता पड़ा है। ऐसे डॉक्टरों में ऐसे लोग खूब हैं, जिनका दीन और ईमान मरीज की चिकित्सा या उपचार करना हर्गिज नहीं है, बल्कि वे सरकारी अस्पताल में आने वाले गरीब मरीज की जेब खंगालने के लिए मरीज का गला भी काट सकते हैं।
ताजा मामला है जौनपुर जिला अस्पताल का, और उस व्यक्ति को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की कुर्सी थमा दी है चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ने। इस इतना ही नहीं, इस व्यक्ति पर एक युवती के साथ छेड़खानी का आरोप भी लग चुका है और इस अपराध पर उसे दस हजार रूपयों का जुर्माना भी लगाया गया था।
स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री के इस चहेता डॉक्टर का नाम है डॉक्टर अनिल कुमार शर्मा। अनिल शर्मा इसके पहले तक वरिष्ठ सर्जन के पद पर तैनात था। पूरी नौकरी में अधिकांश समय तक जौनपुर में बिताने वाले इस डॉक्टर का नाम यूपी के सबसे घटिया, नृशंस और सर्वाधिक बेईमान व्यक्ति के तौर पर दर्ज हो चुका है। इतना ही नहीं, इस डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल में भर्ती एक मरीज अस्पताल के बाहर नाले के किनारे पर एक व्यक्ति का अपैंडिक्स का ऑपरेशन कर दिया था। मरीज को सरकारी अस्पताल से हटाना ही नहीं, बल्कि प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए मोटी रकम भी उगाही गयी थी। मरीज के तीमारदारों को बताया गया था कि बिना किसी सुविधा के चल रहे सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं हो सकता। लेकिन आपरेशन के बाद उस मरीज की मौत भी हो गयी थी। उपभोक्ता फोरम ने डॉ अनिल कुमार शर्मा पर तीन लाख रूपयों का जुर्माना ठोंका था। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता।
आपको बता दें कि अनिल शर्मा नामक यह डॉक्टर यूपी में सरकारी डॉक्टरों की सेवा में बाकायदा नृशंस, घटिया और पेसा के लिए कुछ भी कर डालने के लिए कुख्यात माना जाता है। कुछ बरस पहले जौनपुर के वरिष्ठ सर्जन अनिल कुमार शर्मा ने एक लाले यादव नामक एक मरीज को सरकारी अस्पताल से रेफर करवा कर उसका आपरेशन कर डाला था, जिसमें चौथे दिन ही लाले यादव की मौत हो गयी थी। पता चला था कि उस मरीज को अपेंडिक्स की शिकायत ही नहीं थी, लेकिन अनिल शर्मा ने केवल मोटी रकम उगाहने के चक्कर में यह फर्जी केस आपरेट कर दिया था। हैरत की बात है कि यह आपरेशन किसी अस्पताल में नहीं, बल्कि जिला अस्पताल के गेट के ठीक सामने माता केवला मार्ग पर कोने पर नाले पर खुले एक मेडिकल स्टोर के स्ट्रेचर पर कर डाला था।
इस सर्जन डॉ अनिल कुमार शर्मा की इस हत्यारी-करतूत पर लाले यादव के घरवालों ने शासन और प्रशासन के आला अफसरों से की थी। उपभोक्ता फोरम में भी डॉ अनिल शर्मा को घसीटा गया था, जिस पर डॉ शर्मा पर तीन लाख रूपयों को जुर्माना लगाया गया था। इस पर हंगामा हुआ तो अखिलेश सरकार ने डॉ शर्मा को सोनभद्र व मिर्जापुर भेज दिया था, लेकिन जल्दी ही उसे वापस जौनपुर बुला लिया गया और उसे जिला जेल का डॉक्टर बना लिया गया। इतना ही नहीं, इस मामले पर जब मीडिया ने हंगामा किया, तो समाजवादी पार्टी की सरकार ने उसे मिर्जापुर और सोनभद्र में तबादले पर भेज दिया। इसके बावजूद यह डॉक्टर जौनपुर में ही प्राइवेट प्रैक्टिस करता ही रहा। लेकिन योगी-सरकार बनते ही डॉक्टर अनिल शर्मा की जौनपुर में वापसी हो गयी। पहले तो उसे जेल का डॉक्टर बनाया गया, लेकिन अब प्राइज-पोस्टिंग करते हुए उसका जिला सदर अस्पताल का मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बना लिया है यूपी के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री ने।
इतना ही नहीं, डॉ अनिल शर्मा ने सरकारी अस्पताल में नौकरी के दौरान एक इलाज कराने आयी महिला को अपने निजी नर्सिंग होम में भेज दिया। और उसके बाद उस महिला के साथ छेड़खानी शुरू कर दी। इस पर मामला पारिवारिक अदालत तक पहुंचा और उसकी इस हरकत पर अदालत ने उस पर दस हजार रूपयों का जुर्माना लगा दिया।
दरअसल, दो घटनाओं के चलते सरकारी महकमे के मंत्री की आंख खुली है। और अब डॉ अनिल कुमार शर्मा को दायित्व दिया गया है कि वे सीएमएस के पद की कुर्सी पर बैठ कर अस्पताल के सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट-प्रैक्टिस के साथ ही साथ सरकारी अस्पताल आने वाली महिलाओं के साथ खूब ठीक से छेड़खानी करते रहें।