: लखनऊ के सेशंस कोर्ट परिसर में वकीलों में मिर्च का पाउडर झोंक कर भागी महिलाएं : पिछले ढाई दशक में कई वकीलों का तो चरित्र ही आपराधिक बनता जा रहा : अब कानून की आयतें-श्लोक नहीं बोलते हैं अधिवक्तागण, जूता उठा कर खुद ही न्यायाधीश बन जाते हैं : अदालत में वकील- एक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : जिला सेशंस जज और उसकी अधीनस्थ अदालतों में गुरूवार तब हंगामा हो गया, जब न्याय-कक्ष के बाहर खड़ी कुछ महिलाओं ने वहां खड़े कई वकीलों की आंखों में मिर्चा का बुकनी झोंक डाला, और मौके से रफू-चक्कर हो गयीं। हड़बड़ाये वकीलों ने पहले तो माजरा तौलना चाहा, फिर उन भागती महिलाओं में से कुछ को दौड़ा कर दबोच लिया।
यह पहला मौका है जब किसी वादकारी या प्रतिवादी पक्ष ने वकीलों पर भरी अदालत परिसर में कोई हमला किया। सिर्फ इतना ही नहीं, हैरत की बात यह रही कि यह हमला किसी जघन्य अपराधी ने नहीं किया। बल्कि यह हमला चंद महिलाओं ने किया। यह महिलाएं अपने परिजनों की पैरवी को लेकर अदालत परिसर आयी थीं। उनके परिजनों को पुलिस ने कुछ धाराओं में चालान करके अदालत में पेश किया था। चोट खाये वकील इन महिलाओं के प्रतिवादी के पक्ष के वकील थे। बहरहाल, दबोचने के बाद महिलाओं की जमकर कुटम्मस की गयी, और फिर पुलिस के हवाले कर दिया गया।
यह मामला लखनऊ के कानपुर रोड स्थित सरोजनी नगर का था। इन महिलाओं के घरवालों का अपने पड़ोसी से कुछ विवाद हो गया था। मारपीट की नौबत आ गयी, तो पुलिस बुला ली गयी। प्रतिवादी गणों के घर के ही एक वकील थे। उनका भी दबाव पड़ा, तो पुलिस ने इन महिलाओं के परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश कर दिया। यह महिलाएं उन्हीं गिरफ्तार लोगों की पैरवी करने अदालत पहुंची थीं।
क्या तहसील, क्या कलेक्ट्रेट, क्या सेशंस, और क्या हाईकोर्ट।
वकीलों की कीर्ति और यश-गाथाएं लगातार किसी पद्मश्री सम्मान की तरह
काले कोट पर टंकती-सुशोभित होती जा रही हैं। अधिवक्ताओं के ऐसे ही महान
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वकीलों का दावा है कि यह महिलाओं ने उनसे झगड़ा शुरू किया और फिर अचानक उनकी आंखों में लाल-तीखी मिर्च का चूरन झोंक डाला। अचानक हुए इस हमले से वकील बौखला गये। चिल्ल-पों शुरू हो गयी। इसी बीच यह महिलाएं वहां से भाग निकलीं। लेकिन चूंकि वकीलों में भगदड़ मच चुकी थी, इसलिए कई लोगों ने भागती महिलाओं में से कुछ को दबोच लिया। उन्हें पीटा और फिर पुलिस के हवाले कर दिया।
उधर इन महिलाओं का दावा है कि वे पुलिस द्वारा पकड़े गये अपने परिजनों की पैरवी करने अदालत पहुंची थीं। लेकिन उन्हें आशंका थी कि चूंकि उनका प्रतिवादी पक्ष वकील समुदाय है, और मामला अदालत में ही आयेगा, इसलिए लिए वे आशंकित हो गयीं। उन्हें भय था कि उन वकीलों के पक्ष के कई वकील एकजुट होकर इनके साथ हमलावर रूख अपना सकते हैं। उनकी आशंका उन हादसों के इतिहासों के संदर्भ में थी, जिसमें अदालत गये लोगों पर हमला किया जाता है। इसलिए इन महिलाओं ने अपनी आत्मरक्षा के लिए लाल मिर्च का बुकनू रख लिया, कि अगर कोई हमला उन पर हो तो वे मौके से निकल भागें।
और यही हुआ। (क्रमश:)
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