थाने पर लगी पंचायत के फैसले से दहल गया इलाका
माया-सरकार के मुलाजिम कीमत लगा रहा है आबरू की
पंचायत जुर्माना ज्यादा लुभाता है, न्याय के बजाय
देवरिया में पांच मास तक शादी के नाम पर किया दुराचार
एसओ ने करायी पंचायत, अब फैसले से मुकरे
देवरिया: मायावती की सरकार में महिलाओं की इज्जत और आबरू की कीमत तय की जाने लगी है। दबंग, हैसियतदार और पैसे वालों के लिए अब किसी भी युवती से दुराचार करने पर सजा देने का अधिकार कानून से छीन कर पुलिसवाले सीधे अपने हाथ में लेने लगे हैं। ताजा घटना यूपी के दवरिया जिले के मईल थाना इलाके में महीनों तक शादी का झांसा देकर एक युवती के साथ दुराचार करने का मामला प्रकाश में आया है। जिसमें थानाध्यक्ष ने खुद ही सरपंच बन कर इस मामले को सुलटा दिया और मुआवजे के तौर पर महज एक लाख रूपया दिलाने की बात कह कर अपना दामन छिपा लिया।
देवरिया में पांच महीने तक एक युवती की आबरू लूटे जाने की हुई इस शर्मनाक घटना के बाद मामला निपटाने के लिए थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों के बीच पंचायत करायी और लड़की वालों के सख्त विरोध के बावजूद तय किया गया कि दुराचारी लड़की वालों को अपने कुकर्म की एवज में एक लाख रूपयों का मुआवजा अदा करे। हालांकि थानाध्यक्ष की चौधराहट में हुए इस फैसले में इस बात का कोई भी जिक्र नहीं किया गया कि आखिर पीडि़त युवती को क्या न्याय मिलेगा या फिर उसके साथ हुए दुराचार की कीमत एक लाख लगायी जा रही है। बहरहाल इस सनसनी खेज फैसले से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।
यह घटना बलिया दक्षिण नामक गांव में हुई बतायी जाती है। घटनाक्रम के अनुसार यहां के एक युवक द्वारा शादी का झांसा देकर ग्राम बलिया उत्तर की युवती के भागकर शादी रचा लेने की बात सामने आयी है। पिछले 19 जुलाई को युवती के पिता ने मईल पुलिस को तहरीर देकर युवक द्वारा भगा ले जाने की शिकायत की। मामले में अभी पुलिस तहकीकात कर रही थी कि 22 जुलाई को दोनों प्रेमीयुगल घर वापस लौट आए। युवती ने परिजनों से युवक के साथ पिछले पांच माह से संबंध होने व तीन माह पूर्व शादी रचा लेने की बात कही, लेकिन साथ ही बताया कि अब वह युवक उसे अपने साथ में रखने से मुकर रहा है। युवती की इस शिकायत पर गांव के कुछ लोग युवती व उसके पिता को लेकर शनिवार को युवक के घर पहुंचे लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। युवती को घर पर रखने से युवक और उसके घरवालों ने साफ तौर पर मना कर दिया। इतना ही नहीं, युवक के परिजनों ने युवती व उसके पिता की जमकर पिटाई भी कर दी।
मामला उसी दिन थाने पहुंचा। थानाध्यक्ष राजकुमार चौधरी ने पूरे मामले को सुना और युवक के परिवारवालों को थाने पर बुलाया। लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ वह दहला देने वाला था। पीडि़त युवती की शिकायत पर कानूनी कार्रवाई करने के बजाय थानाध्यक्ष ने दोपहर को थाने पर ही पंचायत शुरू करायी। सरपंच बने थानाध्यक्ष राजकुमार चौधरी। दो घंटे की इस पंचायत में सरपंच ने युवक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया और उसके बाद उसे मुक्त करने का आदेश दिया। हालांकि तय हुआ कि यह जुर्माना दो दिनों के भीतर अदा किया जाए।
खास बात यह रही कि पंचायत में एक जिला पंचायत सदस्य व दो ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व अन्य तथाकथित गणमान्य लोग उपस्थित रहे। हालांकि इस मामले को लेकर जब इलाके में हंगामा खड़ा होने लगा तो सरपंच रहे थानाध्यक्ष राजकुमार चौधरी ने पूरे मामले से ही अपना पल्ला झाड़ते हुए ऐसी किसी पंचायत के फैसले पर अनभिज्ञता प्रदर्शित कर दी। सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अगर पीडि़त पक्ष किसी की शिकायत करता है तो उसकी कानूनन जांच कर कठोर कार्रवाई की जाएगी।